और मेरा आम हुक्म था कि ऐ (मेरे पैग़म्बर) पाक व पाकीज़ा चीज़ें खाओ और
अच्छे अच्छे काम करो (क्योंकि) तुम जो कुछ करते हो मैं उससे बख़ूबी वाकि़फ
हूँ (51)
(लोगों ये दीन इस्लाम) तुम सबका मज़हब एक ही मज़हब है और मै तुम लोगों का परवरदिगार हूँ (52)
तो बस मुझी से डरते रहो फिर लोगों ने अपने काम (में एख़तिलाफ करके उस) को
टुकड़े टुकड़े कर डाला हर गिरोह जो कुछ उसके पास है उसी में नेहाल नेहाल
है (53)
तो (ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उन की ग़फलत में एक ख़ास वक़्त तक (पड़ा) छोड़ दो (54)
क्या ये लोग ये ख़्याल करते है कि हम जो उन्हें माल और औलाद में तरक़्क़ी
दे रहे है तो हम उनके साथ भलाईयाँ करने में जल्दी कर रहे है (55)
(ऐसा नहीं) बल्कि ये लोग समझते नहीं (56)
उसमें शक नहीं कि जो लोग अपने परवरदिगार की दहशत से लरज़ रहे है (57)
और जो लोग अपने परवरदिगार की (क़ुदरत की) निशानियों पर इमान रखते हैं (58)
और अपने परवरदिगार का किसी को शरीक नही बनाते (59)
और जो लोग (ख़ुदा की राह में) जो कुछ बन पड़ता है देते हैं और फिर उनके
दिल को इस बात का खटका लगा हुआ है कि उन्हें अपने परवरदिगार के सामने लौट
कर जाना है (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 सितंबर 2020
(लोगों ये दीन इस्लाम) तुम सबका मज़हब एक ही मज़हब है और मै तुम लोगों का परवरदिगार हूँ
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