आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

04 सितंबर 2020

इबादतों के लिए पूजा के लिए भी , आम आदमी शामिल नहीं रहा ,,बढ़ी बढ़ी गाड़ियों वालो ,बंगलों वाले ,अहमियत वाले लोगों को इसमें शामिल किया गया ,

 अल्लाह का शुक्र है ,, कोरोना संक्रमण के चलते ,मज़हबी  इबादतों के तोर तरीक़ो के लिए ,अल्लाह के बने घरों में ,आगामी सात सितम्बर से फिर से एहतियाती गाइड लाइन के साथ ,इबादतों का दौर शुरू  होगा , मंदिर हो , मस्जिद हो ,,गुरुद्वारे हों , चर्च  हों ,,, यक़ीनन इनके दरवाज़े फिर से आम आदमियों के लिए इबादत के लिए ,पूजा के लिए वाहेगुरु खालसा के लिए , जिसस के लिए फिर से खुल जाएंगे ,, छः माह का यह वक़्त ,हमे त्योहारों के मेल मिलाप ,अल्लाह , खुदा ,भगवान ,वाहेगुरु ,,ईश्वर ,जीसस , की इबादत ,पूजा पाठ ,भजन कीर्तन से ,अलग थलग तो कर गया , लेकिन इस मौके पर हम ,आप ,पहले से ज़्यादा ,ईश्वर , अल्लाह ,वाहेगुरु ,जीसस से जुड़े है ,सभी ने पहले से बेहतर तरीके से , साफ सुथरे ,पाक साफ़ तरीके से ,दिलों में इस  खुदा के खौफ को रखते हुए ,, अपनी अपनी इबादत की है ,, कहते है ,खौफ के वातावरण में जब सभी दरवाज़े बंद होते है तो ,इबादत का दरवाज़ा खुलता है , लेकिन इससे बढ़ा अज़ाब और क्या होगा के , खौफ का वातावरण भी बना ,घरों से निकलना दुश्वार हुआ , आपसे में एक दसूरे से झगडे भी नहीं फिर भी अल्लाह के अज़ाब में मुब्तिला रहे , ख़ौफ़ज़दा रहे ,खुद अल्लाह ने अपने दरवाज़े हमारी  इबादतों के लिए इस तरह से बंद किये के वहां जाने पर कई लोगों के खिलाफ मुक़दमे दर्ज हुए तो ,कई लोगों को  पुलिस की लाठियां खाना पढ़ी ,इस मौके पर भी हमारे इमाम ,गुरुओं  का सरकार से ,सरकारी गठबंधन लगातार बना रहा , या यूँ कहिये के , ऐसे लोगों का सरकार से गठबंधन का एक नया दौर नए तरीके से शुरू हुआ ,धार्मिक गुरु ,किसी भी मज़हब के हों , वोह जिला कलेक्टर , या मुख्यमंत्री के पास कभी भी , अपने समाज के लोगों की दुःख तकलीफ ,कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र के लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने की व्यवस्था को लेकर नहीं गए ,यह लोग कभी भी इन अधिकारीयों ,मंत्रियों के पास मरीज़ों की असुविधा ,व्यवस्थाओं को लेकर नहीं गए ,मोत के बाद अंतिम संस्कार के वक़्त की व्यवस्थाओं में ,,मज़हबी रीती रिवाजों की व्यवस्था के लिए नहीं गए , हाँ गए तो उन बातों के लिए जो , यह लोग एक पत्र के माध्यम से , अख़बार के माध्यम से , या फिर टेलीफोन के माध्यम से कह सकते थे वोह बात ,,  जैसे , हम बस पांच आदमी नमाज़ पढ़ेंगे ,, हम बस पांच आदमी पूजा करेंगे ,, हम बस अपना त्यौहार  बाहर नहीं मनाएंगे ,सिर्फ घरों में ही मनाएंगे ,है न अजीब बात जो बात फोन पर की जा सकती थी वोह बात कहने लिए एक ग्रुप बनाकर , ,फोटो खिचवाकर ,इन लोगों को सरकारी अधिकारीयों के दफ्तर में लोकडाउन कार्यकाल में जाकर कहना पढ़ी ,, खेर कह दी तो कह दी ,फोटो खिंच गए तो खिच गए , अखबारों की खबर बनी तो बनी ,लेकिन  , इबादतों के लिए पूजा के लिए भी , आम आदमी शामिल नहीं रहा ,,बढ़ी बढ़ी गाड़ियों वालो ,बंगलों वाले ,अहमियत वाले लोगों को इसमें शामिल किया गया ,कोई भी गरीब ,,सामने व्यक्ति को इस इबादत ,पूजा के सिस्टम में शामिल नहीं किया ,,अल्लाह तो अल्लाह है ,भगवान तो भगवान है ,सभी को एक आँख से देखता है ,उसे इबादत के लिए पूजा के लिए बढ़ी बढ़ी महंगी गाड़ियों के सवार नहीं चाहिए ,, बैंकों की तिजोरियों में  जिनके रूपये भरे वोह भी नहीं चाहिए ,इन मोको पर भी इबादत , पूजा दुआ में ज़रूरतमंद ,गरीबों को तिरस्कृत कर सिर्फ अहमियत वाले लोगों को तरजीह दी गयी ,ज़ाहिर ऐसी पक्षपात पूर्ण हरकतों को अल्लाह या भगवान क़तई बर्दाश्त करने वाला नहीं ,, हमारी दुआओं को इबादतों को इसीलिए अभी तक क़ुबूल नहीं किया ,गया हम खोफ के वातावरण में है ,लेकिन इन गलतियों को इन भूलों को अब हम सुधार सकते है ,, जो भी धर्मस्थल खुले ,जिनमे सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो ,,जिनके घर महलों जैसे है वोह तो वहां अपनी पूजा , अपनी इबादत कर सकते है  ,. अगर संख्या के हिसाब से चयन हो तो इस मामले में ,,अमीरों का चयन जैसा होता आया है ,ऐसा हरगिज़ नहीं , पहला हक़ गरीबों का है , मंदिर हो ,मस्जिद हो या कोई भी धर्मस्थल हो , पहली इबादत का हक़ ऐसे मज़लूम   ,  ज़रूरतमंद लोगों  को है ,जो  मस्जिदों में इबादत के लिए तरस गए है ,मंदिरों में पूजा के लिए तरस गए है ,इसमें पक्षपात ,वी आई पी गिरी न हो ,,अगर कम संख्या में लोगों की आवक मजबूरी हो तो पहले ऐसा तबक़ा  आगे हो  ,,  जिन्हे इस सफ में शामिल होने पर खुशियां हों ,,वी आई पी गिरी ,नमाज़  , इबादतों , पूजा पाठ में हरगिज़ नहीं ,वहां तो सभी बराबर है ,,वी आई पी गिरी ,पक्षपात के लिए तो सियासी लोग ही काफी है ,, तो अल्लाह के करम से , अल्लाह फिर मेहरबान हो रहा है , पूरे देश के मज़हबी स्थलों में ,अपने अपने तरीके से पूजा ,इबादत करने के लिए वी आई पी गिरी हरगिज़ न हो ,,सभी लोगों को खासकर ऐसे लोग जो प्रताड़ित है ,ज़रूरतमंद है ,जिनके चेहरे खौफ से सफेद पढ़े हुए है ,जो घरों में लगातार  तोबा कर इबादत कर रहे है ,उन्हें भी  इस इबादत की खुसूसी गिनती में शामिल करना ही चाहिए ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...