आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

20 सितंबर 2020

सितम्बर की हवाओं में है हलचल,

सितम्बर की हवाओं में है हलचल,
थोड़े ज्यादा समझदार हो जाइए ।
तूफान आने की है आहट
थोड़े और खबरदार हो जाइए ।
बुझ ना जाए बेवक्त कहीं कोई चराग़
इन हवाओं से फिजाओं में
गुज़ारिश है सबसे यही कि,
थोड़े और होशियार हो जाइए ।
मिलने मिलाने के लिए अब
बेवजह आना जाना छोड़िए
अप्रैल के लॉक डाउन की तरह अब फिर से खुद में सिमट जाइये
कोरोना है चरम पर
दवाखाने हैं न खाली
मौत से न डरो-डराओ ,फ़क़त
बिजी अस्पतालों के इलाज़ से तो घबराइए
हरने आई ये हवाएं, चैन ओ सुकून जिंदगी का,
सब कुछ छोड़ के पहले, फिर से ख़ुद के पहरेदार हो जाइए।
कैद कर के ख़ुद को अब फिर से, घर में गुलज़ार हो जाइए ।
ठहर के अपने मुक़ाम पे,
जीत के दावेदार हो जाइए ।
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...