आपका-अख्तर खान

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05 सितंबर 2020

दोस्तों आज शिक्षक दिवस है ..... और .. इस दिवस पर ..सभी शिक्षकों को सलाम ..उन सभी शिक्षको को नमस्ते ...जिन्होंने बिना किसी लोभ लालच ......व्यवसायीकरण के अपने छात्र छात्राओं को सम्मान के साथ शिक्षा दी है

 दोस्तों आज शिक्षक दिवस है ..... और .. इस दिवस पर ..सभी शिक्षकों को सलाम ..उन सभी शिक्षको को नमस्ते ...जिन्होंने बिना किसी लोभ लालच ......व्यवसायीकरण के अपने छात्र छात्राओं को सम्मान के साथ शिक्षा दी है ...और काबिल बनाया है ...लेकिन दोस्तों मुझे दूर दराज़ तक ....ऐसा शिक्षक नज़र नहीं आया ...कोई सरकार से वेतन प्राप्त कर रहा था ...तो कोई कोचिंग गुरु के नाम पर छात्र छात्राओं से मोटी फीस वसूल रहा था ..ऐसे में मुझे मेरी अम्मी जान .....मेरे वालिद ....जिन्हें में साहब जी कहता हूँ .....वही मुझे मेरे बहतर शिक्षक लगे ...उन्हें पुर खुलूस दिल से सलाम ..दोस्तों ....में जब छोटा था ....रोता था ...तब रात भर जाग जाग कर ...इन माँ बाप ने ही मुझे सुलाने की कोशिश की ...में जब बिस्तर गीला कर देता था .... तब मेरी माँ ...खुद गीले में होकर ...मुझे सूखे में सुलाती थी ..में जब रोता था ...तो मुझे थपकिया .. देकर बढ़े प्यार से सुलाने की कोशिश में ....वोह रात भर जागती थी ..में जब भूखा रहता था ..तब यही माँ ....मेरे आगे ....पीछे घूम कर ....मुझे खाना खिलाती थी ..मुझे इसी माँ ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया ..खाना ... कपड़े पहनना ..जीना ..संघर्ष करना ..सिखाया ...बोलना ..लिखना ...तहज़ीब ..तमद्दुन ...सिखाया ...मेरी माँ ने मुझे बचपन में ...सात साल की उम्र में ही ...कुरान मजीद पढना और समझना सिखाया ..तर्जुमा यानी हिंदी अनुवाद सिखाया ...जी हां दोस्तों मुझे दीन की दुनिया की तरबियत ...मेरी माँ ने मुझे दी ...आज भी मेरी माँ ...मेरी शिक्षक है ...मेरी मार्ग दर्शक है ... मेरी पथ प्रदर्शक है ...मेरी माँ ...आज भी दस मिनट देरी हो जाने पर .. तड़प उठती है ....जरा सा सर में दर्द होने पर चीख उठती है ...सोचती है ...मेरी तकलीफ छुपा कर पहले मेरे बच्चो की तकलीफ दूर करूँ ...मेरी माँ ...मुझे शिक्षा देने के बाद ...मेरे बच्चो यानी पोता पोतियों को दुनिया की उंच नीच बताती है ..उन्हें सही राह दिखाती है ....उन्हें बोलना सिखाती है ...दुनिया से केसे मुकाबला करे ...इसका पाठ उन्हें सिखाती है ......दादी माँ के नुस्खे सिखाती है ... तो दुनियादरी केसी होती है ...इसकी शिक्षा भी मेरी माँ मुझे देती है ...मेरी माँ ने मुझे एक नई शिक्षिका ....श्रीमती रिजवाना उमर के रूप में मेरी शरीके हयात बनाकर मुझे लाकर दी ...और वोह शिक्षिका जब स्कूल में पढ़ा कर आती है ...तो कभी कभी मुझे भी कहीं कोई रास्ता दिखाती है ....मेरे बच्चों को पढाती है .. तो उन्हें जिंदगी की राह सुझाती है ...वही माँ की शिक्षा ...वही मार्गदर्शन का दोर फिर से चला है .....दोस्तों इसी लियें तो में ..अक्सर ...मेरी माँ के कदमों में बेठ कर .. कई बार घर बेठे मुफ्त में जन्नत को तलाशता हूँ ...और जन्नत का सफर कर खुद को धन्य समझता हूँ .....लेकिन एक कडवा सच है ..मेरी माँ ..मेरे पिता ..और मेरी माँ की तलाश की गई मेरी शरीके हयात .. शिक्षिका श्रीमती रिजवाना अख्तर बहतर से बहतर शिक्षक होने के बाद भी ...में ... उनका निकम्मा ..नाकारा ...फिसड्डी छात्र ही बना रहा हु ...और उनकी कसोटी पर खरा उतरने की कोशिश मात्र कर रहा हूँ ...पूरी तरह से कामयाब बेस्ट स्टूडेंट नहीं बन पाया हूँ ... इस शिक्षक दिवस पर मेरे इन राहबर ..मार्गदर्शक शिक्षकों को मेरा सलाम ... खुदा इन्हें सह्त्याब रखे ...सलामत रखे खुशहाल रखे ...आमीन सुम्मा आमीन ...शिक्षक दिवस पर सभी को मुबारकबाद ..........

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