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12 सितंबर 2020

बेशक खु़दा बड़ा माफ करने वाला बख़शने वाला है ये (मदद) इस वजह से दी जाएगी कि खु़दा (बड़ा क़ादिर है

 बेशक खु़दा बड़ा माफ करने वाला बख़शने वाला है ये (मदद) इस वजह से दी जाएगी कि खु़दा (बड़ा क़ादिर है वही) तो रात को दिन में दाखि़ल करता है और दिन को रात में दाखि़ल करता है और इसमें भी शक नहीं कि खु़दा सब कुछ जानता है (61)
(और) इस वजह से (भी) कि यक़ीनन खु़दा ही बरहक़ है और उसके सिवा जिनको लोग (वक़्ते मुसीबत) पुकारा करते हैं (सबके सब) बातिल हैं और (ये भी) यक़ीनी (है कि) खु़दा ही (सबसे) बुलन्द मर्तबा बुज़ुर्ग है (62)
अरे क्या तूने इतना भी नहीं देखा कि खु़दा ही आसमान से पानी बरसाता है तो ज़मीन सर सब्ज़ (व शादाब) हो जाती है बेशक खु़दा (बन्दों के हाल पर) बड़ा मेहरबान वाकि़फ़कार है (63)
जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है और इसमें तो शक ही नहीं कि खु़दा (सबसे) बेपरवाह (और) सज़ावार हम्द है (64)
क्या तूने उस पर भी नज़र न डाली कि जो कुछ रूए ज़मीन में है सबको खु़दा ही ने तुम्हारे क़ाबू में कर दिया है और कश्ती को (भी) जो उसके हुक्म से दरिया में चलती है और वही तो आसमान को रोके हुए है कि ज़मीन पर न गिर पड़े मगर (जब) उसका हुक्म होगा (तो गिर पडे़गा) इसमें शक नहीं कि खु़दा लोगों पर बड़ा मेहरबान व रहमवाला है (65)
और वही तो क़ादिर मुत्तलिक़ है जिसने तुमको (पहली बार माँ के पेट में) जिला उठाया फिर वही तुमको मार डालेगा फिर वही तुमको दोबारा जि़न्दगी देगा (66)
इसमें शक नहीं कि इन्सान बड़ा ही नाशुक्रा है (ऐ रसूल) हमने हर उम्मत के वास्ते एक तरीक़ा मुक़र्रर कर दिया कि वह इस पर चलते हैं फिर तो उन्हें इस दीन (इस्लाम) में तुम से झगड़ा न करना चाहिए और तुम (लोगों को) अपने परवरदिगार की तरफ़ बुलाए जाओ (67)
बेशक तुम सीधे रास्ते पर हो और अगर (इस पर भी) लोग तुमसे झगड़ा करें तो तुम कह दो कि जो कुछ तुम कर रहे हो खु़दा उससे खू़ब वाकि़फ़ है (68)
जिन बातों में तुम बाहम झगड़ा करते थे क़यामत के दिन ख़ुदा तुम लोगों के दरम्यिान (ठीक) फ़ैसला कर देगा (69)
(ऐ रसूल) क्या तुम नहीं जानते कि जो कुछ आसमान और ज़मीन में है खु़दा यक़ीनन जानता है उसमें तो शक नहीं कि ये सब (बातें) किताब (लौहे महफूज़) में (लिखी हुई मौजूद) हैं (70)

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