आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

19 अगस्त 2020

क्या काबा , क्या काशी

 तुम्हारे लिये
क्या काबा , क्या काशी
तुम्हारे लिये
क्या अल्लाह , क्या राम
तुम्हारे लिये
क्या हज , क्या तीरथ,
रोज़ रोज़ तो तुम
यूं ही बेवजह दिल दुखाते हो , अख़्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...