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19 अगस्त 2020

कोटा मुकन्दरा वन अभ्यारण्य में , यूँ तो बाघ ,बाघिन , उनके बच्चों की मोत के बाद वीरानी ,है

 

कोटा मुकन्दरा वन अभ्यारण्य में , यूँ तो बाघ ,बाघिन , उनके बच्चों की मोत के बाद वीरानी ,है इसके लिए ज़िम्मेदारों के खिलाफ कोई बर्खास्तगी वगेरा की कार्यवाही तो नहीं हुई है ,,बचाने के प्रयासों को हवा लगी है , लेकिन केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार फिर से इस प्रोजेक्ट को कोटा के पर्यटन व्यवस्थाओं को सकारात्मक बनाने के लिए कोई पहल नहीं कर पा रही है ,,, कहने को तो अब इस मामले में जो पत्रकार ,वन अधिकारीयों की तारीफें करते हुए नहीं थकते थे , वोह भी वन अधिकारीयों के असली लापरवाही के चेहरे को भांप गए है ,, और वन विभाग की लापरवाहियों ,कमियों को उजागर करने के प्रयासों में जुटे है ,कोटा मुकंदरा को सुधारने , विकसित करने के लिए यह महत्वपूर्ण प्रयास है ,बस अब वन्य जीव प्रेमी कहो ,या वन प्रेमी कहो इनकी जो फौज है ,इन्हे थोड़ा सकारात्मक होना होगा ,, वन अधिकारीयों की मित्रमंडली ,खुद के सेर सपाटे ,, से बाहर निकल कर ,,सिर्फ मुकंदरा के विकास के लिए सोचना होगा ,, कोटा में मुकदंरा के लिए राजस्थान सरकार ने बहुत क़ुरबानी दी है ,, खासकर यहाँ के ट्राइबल लोगों की भी इसमें क़ुर्बानी शामिल है ,जबकि रोज़गारोन्मुखी खनन , वन उपज योजनाओं के तहत यहाँ अरबों रूपये की वन सम्पदा , हमने वन विकसित करने के लिए छोड़ दी है ,ऐसे में यह क़ुर्बानी यूँ ही बेकार न जाए ,फिर से यहाँ बाघ ,बाघिन ,दूसरे वन्य जीवों की किलकारियां गूंजे इसके प्रयास करना होंगे ,, बाघ ,बाघिन तो फिर आ जाएंगे ,, लेकिन उनके रख रखाव में जो कमियां ,,जो लापरवाहियां ,जो गलतियाँ ,रही है वोह फिर से न हों ,, इसके अभी से हमे सकारात्मक प्रयास करना चाहिए ,, कैमरे ,, अन्य उपकरण कैसे हों ,कंट्रोल रूम में क्या नया सुधार हो ,,, वन अधिकारीयों , कर्मचारियों को आधुनिक उपकरणों के साथ , विशेष प्रशिक्षण की अगर ज़रूरत हो तो उन्हें सरकारी खर्च पर दिलवाया जाए ,, ट्रांसमीटर सिस्टम को और विकसित किया जाए ,, वन विभाग में डॉक्टरों का जो पेनल है ,, उसके साथ पशु चिकित्सालय के दूसरे विशेषज्ञ चिकित्सक हो ,,, वन्य जीव अभ्यारण्य को विकसित , सुरक्षित ,संरक्षित करने के लिए केंद्र और राजस्थान सरकारों को विशेषज्ञ समाज सेवक ,वन्य जीव प्रेमी ,,सहित क़ानून विद ,पत्रकारों की एक समीक्षा समिति का भी गठन करना चाहिए , ताकि समय समय पर आयोजित बैठकों में , वन्य जीव संरक्षण व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारीयों के साथ ,, हर हाल पर चर्चा हो सके ,, सरकार को इन मामलों में अब कढ़ी निगरानी की ज़रूरत है , कोटा से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ,प्रसारित होने वाले न्यूज़ चेनल्स को भी कोटा मुकंदरा हिल्स सहित ,व्यवस्थाओं को संभालने के लिए सकारात्मक रिपोर्टिंग पर ज़ोर देना होगा ,एक दिन की खबर से काम नहीं चलेगा ,वन्य जीव और वन विभाग की बीट में लगे पत्रकारों को सावचेत करना होगा के जो अधिकारी बताते है ,उसके अलावा भी कुछ सच्चाइयां होती है ,, उन तक पहुंचना होगा , पत्रकारों को भी इस मामले में रिपोर्टिंग के लिए विशेषज्ञों के साथ प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करना होंगी ,,जिन्हे वरिष्ठ वकील ,, सेवानिवृत जज , सेवानिवृत वन अधिकारी ,वन विशेषज्ञों से वन क़ानून ,वन अभ्यारण्य व्यवस्थाओं सहित सभी बिंदुओं पर रिपोर्टिंग के लिए प्रशिक्षण की ज़रूरत है ,, जो हो गया सो हो गया उसे तो भूलना ही होगा ,लेकिन भूलना ऐसा नहीं के इसमें जो लापरवाहियां रही है उसे हम नहीं सुधारें , जिन लोगों की गलतियां रही हैं उन्हें हम दण्डित नहीं करें ,, हम इस हादसे को भूलेंगे लेकिन एक सबक़ समझ कर हमे इसे भूलना होगा ,ताकि कल वन्य जीव अभ्यारण्य में , नया सवेरा हो ,, मुकदंरा हिल फिर से विकसित हो , पर्यटन का आकर्षण हो ,इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष कोटा सांसद , सहित कोटा के विधायक ,मंत्रियों से भी केंद्र , राज्य सरकार पर अतिरित्क दबाव बनवाना होगा ,ताकि मुकंदरा के लिये जो स्थानीय लोगों की क़ुर्बानियां दी गयी है ,वोह बेकार न जाए और जो सपने मुकंदरा अभ्यारण्य से पर्यटन विकास के हमने देखे है वोह साकार हो सकें ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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