तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 अगस्त 2020
कोटा मे बाघ के बाद बाघिन की वन अधिकारियों की लापरवाही की मोत के बाद ,, कथित वन्य जीव प्रेमी , वन्य जीव रिपोर्टर्स जिनकी सुबह शाम ,, वन अधिकारियों के साथ मोज मस्ती मे रहती रही है
कोटा मे बाघ के बाद बाघिन की वन अधिकारियों की लापरवाही की मोत के बाद ,,
कथित वन्य जीव प्रेमी , वन्य जीव रिपोर्टर्स जिनकी सुबह शाम ,, वन
अधिकारियों के साथ मोज मस्ती मे रहती रही है ,अब उन लोगों ने भी ,, इस
मामले मे गंभीरता से रिपोर्टिंग की है ,, बाघिन के मोत पर सभी अखबारों ने
आज बिन्दुवार कई प्रश्न उठाए है ,, कई ज़िम्मेददारों की गेरज़िम्मेदाराना
हरकतों का खुलासा किया है ,, सबसे पहले मे मुबारकबाद देना चाहूँगा ,,भाई
,भंवर एस चारण को ,, जिनहोने फर्स्ट इंडिया चेनल मे ,, इस खबर को सभी बिन्दुओं
का विश्लेषण कर ,, लाख दबाव के बाद भी निष्पक्ष रूप से चलाया , ,, चाहे
कथित वन्य जीव प्रेमियों ,, वन अधिकारियों , उनेक दलालों ने ,भंवर एस चारण
पर अगर , मगर , किन्तु , लेकिन परंतु का जितना भी दबाव बनाया हो ,,, ,वोह
उनके दबाव मे नहीं आए उन्होने पत्रकारिता का निष्पक्ष ,बहू विश्लेषणात्मक
,, खबर प्रसारित कर पत्रकारिता का धर्म निभाया है ,, देनिक भास्कर के
रिपोर्टर ,, संपादक विजेंदर सिंह शेखावत सहित दूसरे देनिक अखबारों ने भी
अपना धर्म बखूबी निभा कर ,वर्तमान हालातों मे वन्य जीव पालन मे लापरवाही के
खिलाफ ,, खुली पत्रकारिता का सुबूत दिया है ,, लेकिन इसके पूर्व जब एक बाघ
की वन अधिकारियों की लापरवाही से मोत हुई , तब मेनें मेरे अपने वन्य जीव
संरक्षण ,,रख रखाव , के अनुभव ,फ्री लोंसिंग पत्रकारिता के तुच्छ ज्ञान ,,
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के विधिक प्रावधानों सहित ,,, एक खबर बनाई थी ,,
देनिक कोटा ब्यूरो ,भारत की महिमा ने इस खबर को प्र्मुखता दी , लेकिन
टिप्पणी मे एक वन्य जीव बीट के पत्रकार ने मेरी खबर पर सवाल उठाते हुए ,,
वन अधिकारियों को परफेक्ट बताकर ,,,,अपनी प्रतिकृया दी ,एक वन्य जीव प्रेमी
ने ,, वन अधिकारी को ,क्लीन चिट देते हुए ,,कसीदे पढ़ दिये ,,अच्छी बात है
,,लेकिन अगर उस वक़्त , कोटा के पत्रकार जागे होते ,अगर उस वक़्त ,वन
प्रशासन ,, वन्य जीव प्रेमी ,, स्माजसेवी ,कोटा का ज़िला प्रशासन ने गंभीर
कदम उठाए होते , सजगता ,सतर्कता बताई होती ,तो यकीनन , यह बाघिन की मोत को
रोका जा सकता था ,एक शावक जो अभी भी लापता है ,दूसरा शावक जो घायल है ,, उस
हादसे को रोका जा सकता था , खेर जो हुआ सो हुआ ,अब ,,पत्रकारों ने अंगड़ाई
ली है ,तो यह खबर एक दिन की खबर बनकर न रह जाये , इस पर दोषी लोगों को सजा
मिलने तक , नियमित फोलोअप रहना चाहिए ,, अधिकारी तो आते है ,जाते है ,,
लेकिन जाने के बाद किसी भी वन्य जीव प्रेमी को ,समाजसेवक को , पत्रकार को
पुंछते तक नहीं ,ऐसे मे उनसे क्या यारी ,, जो वस्तुस्थिति है ,वोह सामने
होना चाहिए ,, पोस्त्मार्टम रिपोर्ट ,, मूवमेंट रिपोर्ट ,म्र्त्यु पूर्व
बॉडी इंजरी ,, बाद की इंजरी , वन विभाग के आधुनिक उपकरणों का फेलयोर सिस्टम
,, लापरवाही ,,, जो भी हो ,सार्वजनिक होना दोनों बाघों की पोस्त्टमार्टम
रिपोर्ट अखबार मे प्रकाशित हो ,, ताकि कई विशेषज्ञ अपनी राय ,,दे सके ,,
तो जनाब ,,कोटा की पत्रकारिता को एक बार फिर , एक माह मे , दूसरी बार
,,बाघिन की हुई मोत की जीवंत रिपोर्टिंग के लिए बधाई ,, मुबारकबाद ,, ,, अवलोकन के लिए मेरी पूर्व प्रकाशित खबर कोटा ब्यूरो अखबार सेवा मे पेश है ,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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