कोटा रेलवे कॉलोनी पुलिस ,जांच ,और जांच के नाम पर ,अपराधियों से रूपये
ऐंठने धमकाने मामले में भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस के घेरे में है ,, एक ऐ
एस आई गिरफ्तार है तो दूसरे पुलिस निरीक्षक थाना इंचार्ज को पुलिस अधीक्षक
कोटा शहर ने लाइन हाज़िर कर दिया ,, लोकडाउन के तुरंत बाद पुलिस अनुसंधान
मामलो में ,,पुलिस के बेईमानी ,लेटलतीफी , के रवैये की एक खबर मेने ,
चेतावनी स्वरूप पहले भी प्रकाशित की थी ,जब फरियादी , शिकायतकर्ता
,अधिकारीयों से दूर कर दिया जाता है तो निश्चित तोर पर पुलिस के हौसले
बढ़ते है , अभी कई थानों में ऐसी जांचे ,, ऐसे परिवाद पेंडिंग है ,जिसमे
अनुसंधान के नाम पर फरियादी को चक्कर दे रहे है तो ,अपराधियों को बचाने के
लिए फील गुड का इन्तिज़ार है ,, पुलिस अधिकारीयों को ,उनके दफ्तरों में बैठे
बाहर जो कर्मचारी बेरियर है ,उन पर कढ़ी नज़र रखना होगी ,आधे शिकायत कर्ताओं
को तो वोह बाहर से ही बिना साहब से मिले टरका देते है ,और जिस थाने से
संबंधित शिकायत होती है ,उसे सावचेत भी कर देते है ,, बहुत ज़िद्दी फरियादी
ही ,पुलिस के अला अधिकारी तक पहुंच पा रहा है ,,ऐसी शिकायतों पर भी कोई
गंभीर क़दम नहीं उठाया गया है ,नतीजन ,,रेलवे कॉलोनी ट्रेप कार्यवाही की वजह
से कोटा पुलिस की छवि बिगड़ी है ,अभी पुलिस अधिकारीयों ने ने परिवादियों से
सीधी सुनवाई , उनकी मॉनिटरिंग व्वयस्था में बदलाव नहीं किया ,पारदर्शिता
और अधीनस्थों के खिलाफ खौफ का वातावरण नहीं बनाया ,तो निश्चित पर ऐसा ही
,चलेगा फिर कुछ बचेंगे तो कुछ प्रताड़ित लोग भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस का
सहारा लेकर , फिर किसी पुलिस अधिकारी को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए
पकड़वाएंगे , इससे पुलिस की छवि ही बिगड़ रही है ,पुलिस के कामकाज में भी
बाधाएं उतपन्न हो रही है ,, एक फरियादियाँ जिसका मुक़दमा नयापुरा थाने में
दर्ज है वोह न जाने कितनी बार ,,अनुसंधान अधिकारी से उसके मुक़दमे में
अपराधी को गिरफ्तार करने की गुहार लगा चुकी ,,लेकिन कुछ नहीं होगा ,,अभी
अनुसंधान है ,समझौता कर लो ,, बाद में देखेंगे की बहाने बाज़ी से तंग आकर
इस फरियादिया ने जब , पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत के प्रयास किये तो
उसे फिर ,दो तीन बार समझाइश कर बिना पुलिस अधीक्षक से मिले वापस लोटा दिया
, दुस्साहस देखिये ,साथ प्रशिक्षण प्राप्त करने ,वाले पुलिस अधीक्षक के
वहां तैनात ,,साथी ने , अनुंधान अधिकारी को शायद चेताया भी होगा ,लेकिन
उसके कान पर जूं भी नहीं रेंगी ,,,, खेर वोह ज़िद्दी इंसाफ के लिए पीड़ित
फरियादिया , अपनी जुगत लगाकर , वरिष्ठ पुलिस अधिकारी महोदय से ,पिछले दिनों
मिलने में कामयाब भी हुई ,,पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अधिकारीयों ने इस
पीड़िता को कार्यवाही का आश्वासन भी दिया ,परिवाद की एक रसीद भी ,पकड़वाई
लेकिन वोह रसीद अभी तक कागज़ का टुकड़ा ही बनी हुई है ,,नयापुरा पुलिस ने
संबंधित अभियुक्त को न तो गिरफ्तार ही किया है ,न ही पुलिस रिपोर्ट मामले
में कोई अंतिम प्रतिवेदन दिया है ,,ढिलाई ,, लापरवाही नहीं होती ,,व्यस्तता
की मजबूरी नहीं होती ,,,डिमांड की तरफ ,,धकेलती है ,,इसलिए वरिष्ठ पुलिस
अधिकारीयों को सभी परिवाद ,फौजदारी दर्ज मुक़दमे ,अदालत से गए इस्तिगासे,,
पुलिस अधिकारीयों द्वारा दर्ज मुक़दमे आदेश ,,अनुसंधान ,,अदालत से प्रताड़ित
महिलाओं की गुज़ारा खर्च वसूली , चेक अनादरण मामलों के सम्मन , गिरफ्तारी
वारंट ,, पासपोर्ट , ;लाइसेंस ,रिनिवल ,चरित्रप्रमाणपत्र ,,शिकायतें ,सभी
के निस्तारण के लिए समयबद्ध कार्य्रकम तय कर , तत्काल निस्तारण रिकॉर्ड पर
पुरस्कार ,और लेट लतीफी पर ,सज़ा ,,निलंबन ,चार्जशीट ,की कार्यवाही का
प्रावधान होना ज़रूरी है ,,वर्ना फरियादी के लिए मुक़दमा दर्ज कराना ,,
अनुसंधान के नाम पर चक्कर खाना ,फिर अपराधी के खिलाफ कार्यवाही करवाने के
लिए अनुसंधान अधिकारी की लेटलतीफी के खिलाफ वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों के
चक्कर काटने से अनावश्यक काम भी बढ़ रहे है ,जबकि पुलिस की छवि भी खराब हो
रही है ,, बीट प्रणाली नियंत्रण कार्यक्रम के तहत ,हर बीट पुलिस की
गतिविधियां पृथक पृथक संधारित होना , ज़रूरी है ,व्यापरिक प्रतिष्ठान
आपराधिक स्पॉट ,सट्टे जुएं के स्पॉट ,,होटलों में अवांछनीय गतिविधियों की
सूचनाएं भी एकत्रित कर ,एक लिखित दस्तावेज होना चाहिये ताकि भविष्य में आने
वाले अधिकारी इनका उपयोग कर सके ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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