आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

07 जुलाई 2020

कोरोना संकट के बाद ,,कोटा पुलिस के विभिन्न थानों में पुराने पेंडिंग पढ़े परिवाद ,मुक़दमे ,और पुलिस की नयी कार्यवाही मामलों की वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों ने अगर ब्योरेवार मॉनिटरिंग नहीं की

कोरोना संकट के बाद ,,कोटा पुलिस के विभिन्न थानों में पुराने पेंडिंग पढ़े परिवाद ,मुक़दमे ,और पुलिस की नयी कार्यवाही मामलों की वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों ने अगर ब्योरेवार मॉनिटरिंग नहीं की ,,कार्यालय में आम जनता के परिवादों की सीधी सुनवाई कर गैर ज़िम्मेदार पुलिस कर्मियों ,अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की ,तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पारदर्शिता ,संवेदनशीलता की पुलिस गांधीगिरी पर कुछ लापरवाह पुलिस कर्मी कलंक लगा सकते है ,,,, कोटा में वर्तमान में अनुभवी डी आई जी ,अनुभवी पुलिस अधीक्षक ,अनुभवी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक , उप अधीक्षक है , लेकिन फिर भी कई मामलों में थाना स्तर पर जांच ,सुनवाई ,परिवाद कार्यवाही ,करेक्टर सर्टीफिकिट , पासपोर्ट ,लाइसेंस तस्दीक़ सहित अनेक ऐसे मामले है ,जिसमे थानास्तर ,चौकी स्तर पर कार्यवाही सही नहीं है ,और जनता प्रताड़ित है ,,अनेक मामलों में ,लोकडाउन के तुरतं बाद से अब तक ,,पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पुराने मुक़दमों में थाना स्तर पर  जांच अधिकारी द्वारा कार्यवाही नहीं होने की शिकायत लेकर कई परिवादी पुलिस अधीक्षक के पास जा रहे है ,,कुछ मामले ऐसे आये है के एक महिला परिवादी को तो पुलिस अधीक्षक तक फरियाद पहुंचाए बगैर ही पहले यह कहकर वापस भेजा के सीधे नयापुरा थाने में जांच अधिकारी ऐ एस आई से बात कर लो ,,हफ्ते भर नहीं हो तो फिर आ जाना ,दो हफ्ते बाद फिर जब उक्त परिवादिया कुछ कार्यवाही नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक के पास सीधे मिलकर अपनी व्यथा बताना चाहती थी तो ,फिर वही बाहर बैठे साहिब ने पुलिस अधीक्षक से मिलाये बगैर ही , थाने पर फोन करके कार्यवाही के लिए कहा , और बिना लिखित परिवाद लिए वापस रवाना कर दिया ,,यह उदाहरण एक नहीं कई ऐसे उदाहरण है ,थानों में मुक़दमे परिवाद पेंडिंग है ,कोरोना का बहाना अब खत्म ,हुआ , कार्यवाही शुरू होना चाहिए ,,,कोरोना के तीन माह पूर्व कांग्रेस के एक युवा नेता ने जवाहर नगर थाना क्षेत्र में एक निजी अस्पताल के चिकित्सक द्वारा कोचिंग छात्रा को इलाज के दौरान बेहोश कर उसके साथ ज़्यादती करने की क्लिपिंग सहित शिकायत दी थी ,मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ ,परिवाद दर्ज हुआ ,,लेकिन अब तक सिर्फ जांच ,सिर्फ जांच ही हुई है ,जबकि ज़्यादती की क्लिपिंग भी परिवाद के साथ जांच अधिकारी के पास है ,,कैथूनीपोल थाने में एक बिजली अधिकारी द्वारा बिजली चोरी की   फ़र्ज़ी रिपोर्ट तैयार कर ,अवैध चौथ वसूली की शिकायत पेंडिंग पढ़ी है ,,ऐसे न जाने कितनी शिकायतें वर्तमान में पेंडिंग है ,हाल ही में कोटा पुलिस अधीक्षक गौरव यादव ने क्राइम मीटिंग में सभी थानाधिकारियों को पेंडेंसी खत्म करने को लेकर चेताया है ,,लेकिन अब वक़्त आ गया है ,,थाना स्तर पर जो अधीनस्थ पुलिस कर्मी ,अधिकारी ,परिवादी की नहीं सुनते ,त्वरित कार्यवाही नहीं ,करते अनावश्यक थानों पर बुला बुलाकर प्रताड़ित करते है ,,या  बयान बार बार रिकॉर्ड के लिए बुलाते है ,,,परिवाद लेकर बैठे रहते है ,,फौजदारी मुक़दमा दर्ज होने पर भी कोई कार्यवाही नहीं करते ,,जबरन अनावश्यक होने पर भी ,,समझौतों का दबाव बनाते है ,, ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो ,,वर्ष 2019 और फरवरी 2020 तक के हर परिवाद ,हर एफ आई आर अनुसंधान की मॉनिटरिंग ,पुलिस अधीक्षक को खुद ,, थाना स्तर पर आंकड़े एकत्रित करवाकर ,उनका निरीक्षण करना होगा ,,अब तक पेंडेंसी क्यों उसकी टालमटोल के खिलाफ सख्त होना होगा ,, पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जो भी परिवादी आये उसका परिवाद हर हाला में पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचे ,,पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बैठे किसी भी अधिकारी को यह अधिकार नहीं हो ,के वोह पुलिस अधीक्षक से अपनी फरियाद कहने आये परिवादी को , बिना पुलिस अधीक्षक से मिलाये ,टालमटोल कर के रवाना कर ,दे क्योंकि इससे भ्रांतियां सिर्फ भ्रांतियां ही फैलती है ,, एक तरफ अशोक गहलोत सरकार ,गुड गवर्नेंस के नाम पर ,त्वरति इन्साफ के लिए सजग ,सतर्क है ,हर ज़िले में ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारीयों को नियुक्त किया गया है ,फिर भी अधीनस्थ पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पारदर्शी सिद्धांत ,, पुलिस का नारा ,पुलिस का हाथ आम आदमी के साथ की धज्जियां उढ़ा रहे है , पुलिस अधीक्षक कार्यालय हो ,,उप महानिरीक्षक कार्यायल हो ,यहाँ परिवादी ,की शिकायत मामले की सुनवाई की विडिओ रिकॉर्डिंग भी होना चाहिए ताकि बाहर बैठे साहब ,पूर्व में जानकार होने से ,संबंधित थानाधिकारी ,या पुलिस अधीनस्थ जिसके खिलाफ शिकायत है ,,उसके खिलाफ परिवादी को पुलिस अधीक्षक महोदय तक पहुंचने से न रोक सके ,, खुद उप महानिरीक्षक ,, पुलिस अधीक्षक स्तर पर भी ,,ऐसे परिवादों पर स्टिंग ऑपरेशन जैसी कोई मॉनिटरिंग व्यवस्था बनाना होगी ,एक्शन प्लान तैयार करना होगा ,,छद्म परिवादियों को थानों पर ,, उनके रव्वैये को देखने के लिए भेजकर स्टिंग व्यवस्था तय्यार करना होगी ,, सी एल जी व्यवस्था ,बीट प्रणाली ,,दलालों से अलग हटकर ओरिजनल मुखबीर प्रणाली को मज़बूत करना होगा ,, हाल ही में कोटा की कई होटलों में ,,,घंटे भर के रूम के नाम पर जो कुछ हो रहा है ,वोह जग ज़ाहिर है ,इन मामलों में भी कढ़ी निगरानी में स्पेशल फ़ोर्स गठित कर ,एक अभियान बिना संबंधित क्षेत्राधिकार थानधिकारी की जानकारी में लाये छेड़ना होगा ,,, फिर चाहे सट्टे का कारोबार हो ,चाहे जुएं का कारोबार हो ,,होटलों में कारोबार हो ,सभी मामलों में पहले पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी वफादार , ईमानदार पुलिस कर्मियों से इंटरनल रिपोर्ट तैयार करवाए ,फिर छापामार कार्यवाही करे ,ताके अपराधियों के बुलंद हौसले ,, सींखचों में क़ैद हो ,, आम परिवादी ,फरियादी को ,,त्वरित इंसाफ मिल सके , पुलिस का इक़बाल फिर बुलंद से बुलंद हो सके ,,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुड़ गवर्नेंस ,,, संवेदनशील शासन का सपना सार्थक हो सके ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...