आपका-अख्तर खान

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30 जुलाई 2020

तो वह शहर के दो यतीम लड़कों की थी

तो हमने चाहा कि (हम उसको मार डाले और) उनका परवरदिगार इसके बदले में ऐसा फरज़न्द अता फरमाए जो उससे पाक नफ़सी और पाक कराबत में बेहतर हो (81)
और वह जो दीवार थी (जिसे मैंने खड़ा कर दिया) तो वह शहर के दो यतीम लड़कों की थी और उसके नीचे उन्हीं दोनों लड़कों का ख़ज़ाना (गड़ा हुआ था) और उन लड़कों का बाप एक नेक आदमी था तो तुम्हारे परवरदिगार ने चाहा कि दोनों लड़के अपनी जवानी को पहुँचे तो तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से अपना ख़ज़ाने निकाल ले और मैंने (जो कुछ किया) कुछ अपने एखि़्तयार से नहीं किया (बल्कि खु़दा के हुक्म से) ये हक़ीक़त है उन वाक़यात की जिन पर आपसे सब्र न हो सका (82)
और (ऐ रसूल) तुमसे लोग ज़ुलक़रनैन का हाल (इम्तेहान) पूछा करते हैं तुम उनके जवाब में कह दो कि मैं भी तुम्हें उसका कुछ हाल बता देता हूँ (83)
(ख़ुदा फरमाता है कि) बेशक हमने उनको ज़मीन पर कु़दरतें हुकूमत अता की थी और हमने उसे हर चीज़ के साज़ व सामान दे रखे थे (84)
वह एक सामान (सफर के) पीछे पड़ा (85)
यहाँ तक कि जब (चलते-चलते) आफताब के ग़ुरूब होने की जगह पहुँचा तो आफताब उनको ऐसा दिखाई दिया कि (गोया) वह काली कीचड़ के चश्में में डूब रहा है और उसी चश्में के क़रीब एक क़ौम को भी आबाद पाया हमने कहा ऐ जु़लकरनैन (तुमको एखि़्तयार है) ख़्वाह इनके कुफ्र की वजह से इनकी सज़ा करो (कि ईमान लाए) या इनके साथ हुस्ने सुलूक का शेवा एखि़्तयार करो (कि खु़द इमान क़ुबूल करें) (86)
जु़लकरनैन ने अजऱ् की जो शख़्स सरकशी करेगा तो हम उसकी फौरन सज़ा कर देगें (आखि़र) फिर वह (क़यामत में) अपने परवरदिगार के सामने लौटाकर लाया ही जाएगा और वह बुरी से बुरी सज़ा देगा (87)
और जो शख़्स ईमान कु़बूल करेगा और अच्छे काम करेगा तो (वैसा ही) उसके लिए अच्छे से अच्छा बदला है और हम बहुत जल्द उसे अपने कामों में से आसान काम (करने) को कहेंगे (88)
फिर उस ने एक दूसरी राह एखि़्तयार की (89)
यहाँ तक कि जब चलते-चलते आफताब के तूलूउ होने की जगह पहुँचा तो (आफताब) से ऐसा ही दिखाई दिया (गोया) कुछ लोगों के सर पर उस तरह तुलूउ कर रहा है जिन के लिए हमने आफताब के सामने कोई आड़ नहीं बनाया था (90)

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