सच्चाई के आईने, काले हो गये,,
बुजदिलो के घर मेँ, उजाले हो गये,,
झुठ बाजार मेँ, बेखौफ बिकता रहा,,
मैने सच कहा तो, जान के लाले हो गये.....
लहू बेच-बेच कर, जिसने परिवार को पाला ,
वो भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने वाले हो गये,,
बुजदिलो के घर मेँ, उजाले हो गये,,
झुठ बाजार मेँ, बेखौफ बिकता रहा,,
मैने सच कहा तो, जान के लाले हो गये.....
लहू बेच-बेच कर, जिसने परिवार को पाला ,
वो भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने वाले हो गये,,
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