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24 जुलाई 2020

मुकंदरा टाइगर रिज़र्व एम टी 3 टाइगर की जिन हालातों में मोत हुई वोह ,वन विभाग के अधिकारीयों , चिकित्सकों , वन्य जीव प्रेमियों,, वन्य जीव मूवमेंट रिपोर्टर्स की सजगता ,सतर्कता पर ,, कई सवाल पैदा करते है

मुकंदरा टाइगर रिज़र्व एम टी 3 टाइगर की जिन हालातों में मोत हुई वोह ,वन विभाग के अधिकारीयों , चिकित्सकों , वन्य जीव प्रेमियों,, वन्य जीव मूवमेंट रिपोर्टर्स की सजगता ,सतर्कता पर ,, कई सवाल पैदा करते है ,,सभी जानते है ,,मुकंदरा टाइगर रिज़र्व को लाने में ,सरकार के करोड़ों करोड़ रूपये ख़र्च हुए है ,यहाँ अरबों अरब रूपये की वन सम्पदा को ,आम जनता के उपयोग के लिए रोक दिया गया है ,,वन क्षेत्र में आम लोगों के मूवमेंट पर रोक है ,गावं के गांव इस नाम पर बेगर हो गए ,,कई लोग बेरोज़गार हुए है ,,नियमित अख़बारों ,,न्यूज़ रिपोर्टर्स की वन्य जीव रिपोर्टर्स की स्पेशल बीट , वन्य जीव के काँटा लगने से , हंसने ,चलने , फिरने तक की खबरों के मूवमेंट की खबरे देती रही है ,फारेस्ट के कई अधिकारी कर्मचारी ,यहाँ लगातर सजग सतर्क रहकर , खुद निगरानी के दावे करते रहे है ,,लेकिन एम टी 3 टाइगर की बिमारी ,फेफड़ों का संक्रमण ,सांस की परेशानी ,,एक दिन में नहीं होता ,,इस बिमारी के संक्रमित होने में कई दिन लगते है ,, वन विभाग ,,पर्यावरण प्रेमी , टाइगर मूवमेनेट रिपोर्टर्स अगर ,एम टी 3 टाइगर के मूवमेंट की सही खबरों पर नज़र रखते , उसके खाने पीने ,,दौड़ने ,थकान ,बैठने की खबरे देखते , तो पूर्व में ही उसकी बीमारी के सिम्पटम्स का पता चलता ,,,,,हक़ीक़त तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट ,चिकित्सकों की विशेषज्ञ रिपोर्ट से ही पता चलेगा ,, लेकिन पर्यावरण ,वन्य जीव प्रेमीयों को इस मामले में सभी दस्तावेज एकत्रित कर , वन विभाग के अधिकारीयों से मिलीभगत ,उनकी प्रशंसा करने की जगह ,उनके खिलाफ खुला मोर्चा लेना होगा ,,इन दस्तावेजों के आधार पर ,,परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर ,, टाइगर की पूर्व मूवमेंट व्यवस्था की ,रिकॉर्डिंग रिपोर्टिंग के आधार पर ,,संबंधित रिपोर्ट्स देखकर ,, किसी तीसरी एजेंसी से जांच करवाना ज़रूरी है ,जांच में स्वतंत्र व्यक्ति के अलावा ,वन विभाग के स्वतंत्र अधिकारी ,चिकित्सक ,वकील ,पत्रकार को भी आवश्यक रूप से जांच एजेंसी में रखा जाए ,,, सभी दस्तावेज इन्हे उपलब्ध हो ,, अगर ऐसा नहीं हुआ ,तो लापरवाह वन अधिकारी ,,कुछ लोगों की सांठगांठ ,,रिपोर्टर्स की चुप्पी ,वन्यजीव प्रेमियों की चुप्पी के चलते ,इस वन्य जीव अभ्यारण्य का हाल ,,सी एफ सी एल गढ़ेपान के पास स्थित गोडावण सेंचुरी की तरह लुप्त करने की दिशा में क़दम बढ़ा रहे है ,,गोडावण सेंचुरी के लिए भरत सिंह विधायक मंत्री काल में चाहे प्रयास नहीं कर सके हों ,लेकिन अब विधायक काल में वोह इस गोडावण सेंचुरी के लुप्त ,होने ,लापता होने के प्रति गंभीर है ,सजग ,है ,,, सतर्क है, नियमित चिंता ज़ाहिर कर रहे है ,इस गोडावण सेंचुरी की तबाही की कहानी ,तबाही की वजह ,, गोडावणों को ज़हरीले दाने खिलाकर वहां मार देने की कई खबरें , मेने लगातार प्रकाशित कर वन्य जीव प्रेमियों ,सी एफ सी एल गढ़ेपान के अधिकारीयों ,प्रदूषण पर्यावरण विभाग ,वन विभाग ,विधायक ,मंत्री ,जनप्रतिनिधियों ,दूसरे तथाकथित पर्यावरण प्रेमी पत्रकारों ,, वन्यजीव प्रेमियों को सजग सतर्क कर खबरे प्रकाशित की थीं ,किसी ने ध्यान नहीं ,,दिया और आज राजस्थान वन्य जीव अधिसूचना से ,यह गोडावण अभ्यारण्य , लुप्त कर दिया गया है ,इस क्षेत्र में उद्योगों को पर्यावरण ,प्रदूषण नियंत्रण मामले में ,चिमनी का धुंआ ,पानी का डिस्चार्ज मामले में जो सावधानियां ,जो सख्तियां झेलना पढ़ती थी ,आज यह सब आज़ाद है ,,यह तय है के , मुकदंरा टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में ,,वर्तमान हालातों में कई लोग आबादी हटाने को लेकर नाराज़ ,है यहां ,वन ,खनिज सम्पदा का अपर भंडार है ,,,ऐसे में फिर कहीं गोडावण सेंचुरी की तरह ,एक एक गोडावण की हत्या कहें या म्रत्यु कहें , या उनकी मृत्यु पर चुप्पी ,लीपापोती कहें ,,होने से ,गोडावण सेंचुरी , का अस्तित्व कोटा से समाप्त हो गया ,लुप्त हो गया ,उद्योगों ,स्थानीय लोगों की सभी बाधाएँ खत्म होने से यहाँ भू माफिया ,,खनन माफिया ,उद्योग माफियाओं का बोल बाला है ,अब विधायक भरत सिंह आवाज़ उठा रहे है , लेकिन अब तक तो कोई नतीजा नहीं निकला ,है , ऐसे में जो वन विभाग के अधिकारीयों के चमचे ,चापलूस ,नहीं है ,सिर्फ उनका प्रमुख मक़सद ,वन्य जीव को बचाना है ,,,मुकंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व की रक्षा कर यहाँ टाइगर के हर मूवमेंट पर नज़र रख ,उनके शिकार ,उनकी बिमारी पर नज़र रखना है ,उन्हें बचाये रखने के प्रति वोह गंभीर है ,तो आगे आये ,इस मामले में जिला कलेक्टर के माध्यम से ,वन्य जीव अधिनियम के विधिक प्रावधानों में जो कमियां ,जो गलतियां ,जो अंतिम संस्कार व्यवस्था में लापरवाहियां रही है ,,जो मूवमेंट के वक़्त टाइगर की बिमारी को समझने ,उसके इलाज में लापरवाही रही है , इसकी जांच करवाए ,दस्तावेज खंगाले ,स्पॉट कैमरों की जांच करे ,,वन अधिकारीयों ,के मूवमेंट रजिस्टर की एन्ट्री ,देखें , टाइगर के हर मूवमेंट की एन्ट्री खंगाले ,,पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी देखें ,,पोस्टमार्टम के मापदंड के वक़्त की क्रियान्विति , की वीडियोग्राफी का सूक्ष्म परीक्षण करें , कोशिश करें ,एक गलती हो गयी ,एक लापरवाही हो गयी ,एक टायगर की मोत हो गयी ,लेकिन यह सेंचुरी ,गोडावण सेंचुरी की तरह लुप्त न हो जाए ,यहाँ दूसरे टाइगर्स का मूवमेंट जारी रहे ,भविष्य में लापरवाही से बचने के सख्त निर्देश हों ,हर मूवमंट पर कढ़ी निगरानी ,,इलाज की व्यवस्थाओं में परिवर्तन हो ,,चिकित्सकों की विशेषग्यता बढ़ाई जाए ,,वन्य जीव प्रेमी , वन्य जीव बीट रिपोर्टर ,स्थानीय जन प्रतिनिधि , इस टाइगर की मोत को गंभीरता से लेकर ,टाइगर अभी ज़िंदा है , उनको बचाने के लिए कोई विशिष्ठ गाइड लाइन तैयार करवाकर ,उसकी शत प्रतिशत पालना की मॉनिटरिंग कर इस ,,मुकदंरा हिल्स टाइगर सेंचुरी को बचाने के लिए क्या कुछ करते है ,, उनकी अगली गतिविधियों ,आंदोलन ,, अधिकारीयों के प्रति नाराज़गी ,,व्यवस्थाएं सुधरने की मांग ,,चुप्पी या फिर क्रोध आंदोलन से ही पता लगाया जा सकेगा ,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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