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29 जून 2020

*गुलज़ार साहब ने कितनी खूबसूरती से बता दिया कि जिंदगी क्या है

*गुलज़ार साहब ने कितनी खूबसूरती से बता दिया कि जिंदगी क्या है।*
*-कभी तानों में कटेगी,*
*कभी तारीफों में;*
*ये जिंदगी है यारों,*
*पल पल घटेगी !!*

*-पाने को कुछ नहीं,*
*ले जाने को कुछ नहीं;*
*फिर भी क्यों चिंता करते हो,*
*इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,*
*ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी!*
*बार बार रफू करता रहता हूँ,*
*..जिन्दगी की जेब !!*
*कम्बखत फिर भी,*
*निकल जाते हैं...,*
*खुशियों के कुछ लम्हें !!*
*-ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...*
*ख़्वाहिशों का है !!*
*ना तो किसी को गम चाहिए,*
*ना ही किसी को कम चाहिए !!*
*-खटखटाते रहिए दरवाजा...,*
*एक दूसरे के मन का;*
*मुलाकातें ना सही,*
*आहटें आती रहनी चाहिए !!*
*-उड़ जाएंगे एक दिन ...,*
*तस्वीर से रंगों की तरह !*
*हम वक्त की टहनी पर...*,
*बेठे हैं परिंदों की तरह !!*
*-बोली बता देती है,इंसान कैसा है!*
*बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!*
*घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है।*
*संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!*
*-ना राज़* *है... "ज़िन्दगी",*
*ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी"
*बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!*
*-जीवन की किताबों पर,*
*बेशक नया कवर चढ़ाइये;*
*पर...बिखरे पन्नों को,*
*पहले प्यार से चिपकाइये !!*
*"गुलजार"*

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