आपका-अख्तर खान

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01 जून 2020

में जब घर बार छोड़ कर , खुशियों के साथ

में जब घर बार छोड़ कर , खुशियों के साथ ,आप लोगों की सेवा में ,शिक्षा क्षेत्र की सेवा में ,,बच्चों को शिक्षित करने के संकल्प के साथ आयी तो मेरा अहसास , मेरा विशवास ,,मेरा भरोसा कुछ इन अल्फ़ाज़ों की तरह था ,,,
गजरे की खुशबु को घर महकता छोड़ आयी हूँ ,
मेरी नन्हीं सी चिड़िया को चहकता छोड़ आयी हूँ ,
मुझे छाती से तू लगा ले ऐ भारत माँ ,
में अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आयी हूँ ,,
जी में  इसी संकल्प के साथ ,इसी विचार के साथ ,इसी ख़याल के साथ , ईमानदारी से ,खिदमत के जज़्बे से ,आप लोगों के बीच ,, अपने कर्तव्यों के निर्वहन का जज़्बा ,संकल्प लेकर आयी थी , यक़ीनन मुझे आप लोगों ने ,,जो प्यार दिया ,,उससे मुझे मेरी माँ के यहां होने का अहसास हुआ , खिलखिलाते मेरे बच्चों का यहां आप लोगों में होने का अहसास हुआ ,,मुझे एक भरोसा हुआ ,एक विश्वास हुआ , अपने पन का अहसास होना ,मेरे गजरे की खुशबु की महक मुझे यहाँ , आप लोगों के  प्यार में महसूस होने लगी , मेरा परिवार आप लोगों ,में अपने पन के अहसास के साथ , आप लोगों के बीच में था , मेरा हंसना ,,मेरा रोना , आप लोगों का मेरी हंसी में शामिल ,होने ,मेरे रोने पर मुझे ढांढस बंधाना , हिम्मत दिलाना , आप लोगों का मेरे साथ  पारिवारिक  होने का अहसास था ,,स्कूल के यह दर , यह दीवार ,मेरी आदत हो गए ,मेरे अपने हो गए ,,स्कूल की घंटी बजना ,,स्कूल में प्रार्थना होना ,स्कूल की क्लासों में पढ़ाई होना ,वार्षिक समारोह ,जयंतियां होना ,ऐसा लगने लगा ,जैसे  समारोह होने लगे ,स्टाफ में मेरे बुज़ुर्गों मेरे साथ आशीर्वाद रहा ,तो छोटों का प्यार ,बराबर वालों का बहन भाई की तरह साथ का अहसास में भुला नहीं पाउंगी ,मेरे स्कूल के बच्चे टॉपर भी ,है ,और टॉपर ही रहेंगे ,कुछ बच्चे नटखट ,है शरारती है ,लेकिन उनके कान उमेठने पर वोह पटरी पर भी आये है ,यह सब मेरे अपने नौनिहाल हैं ,कुछ तो स्कूल से निकल कर अपनी कामयाबियों की दास्तान के साथ ,इतिहास लिख रहे ,है , तो कुछ कामयाबी की दास्ताँ लिखने की कोशिशों में जुटे ,हैं ,मेरी बेशुमार दुआए , मेरे इन स्टूडेंट्स के साथ हैं ,,खुदा इन्हे हर जगह , मान , सम्मान के साथ ,कामयाबी दे ,भारत का सम्पूर्ण नागरिक बनाये ,ऐसा अहसास हो के इनकी वजह से हमारे स्कूल का नाम रोशन हो ,, में जानती हूँ ,एक परवरिश घर पर अपने बच्चों की होती है ,लेकिन एक शिक्षक के लिए ,,उसकी असली परवरिश स्कूल के बच्चों के लिए एक चुनौती होती है ,,एक चेलेंज होती ,है ,मुझे ख़ुशी ,है मेने ,,मेरे स्कूल के स्टाफ ने ,छोटों बढ़ो ने सभी  ने इस स्कूल में , बच्चों की आदर्श परवरिश के इस चेलेंज को स्वीकार किया और ,कामयाबी के साथ ,,हमारे स्कूल के  बच्चों की माशा अल्लाह ऐसी परवरिश के , आज  हमारा स्कूल सर्वोत्तम है ,सर्वश्रेष्ठ है ,यह सब मेरे स्कूल के इन बच्चों  का अनुशासन ,,महनत लगन के साथ ,,मेरे स्टाफ के बुज़ुर्ग ,छोटे ,बराबर के साथियों की कोशिशों का नतीजा है ,,, स्कूल की हरखुशियाँ ,इन दर ओ दीवार में किलकारियां बनकर गूंजती रहे ,स्कूल के स्टाफ में यही प्यार ,सद्भाव ,एक दूसरे के मदद का जज़्बा बना रहे ,,स्कूल के मेरे इन स्टूडेंट्स , आने वाले स्टूडेंट्स में ,अनुशासन ,पढ़ाई , कामयाबी का  यही जज़्बा बल्कि इससे भी कई गुना ज़्यादा जज़्बा बना रहे ,मेरे इस स्कूल का नाम ,साँझा प्रयासों से बुलंदियों पर लिखा जाए ,,,दूसरे लोगों के लिए कामयाबी का एक सबक़ बनकर ,पढ़ाया जाए ,यह मेरी ख्वाहिश ,है यह मेरी दुआएं है ,,,, यक़ीनन आपकी यादें ,  आपका अहसास हर पल मेरे साथ रहेगा ,,रिटारयमेंट ,,सेवानिवृत्ति एक सतत प्रक्रिया है ,,सरकारी व्यवस्था है ,, लेकिन इस व्वयस्था से मुझे ज़रा भी चिंता ,ज़रा भी फ़िक्र नहीं है , क्योंकि नौकरी से सेवानिवृति एक व्यवस्था हो सकती है ,,यह व्यवस्था मुझे मेरे स्कूल परिवार ,स्कूल स्टाफ ,स्कूल की दर ओ दीवार , मेरे स्टूडेंट ,, मेरे बच्चों के प्यार से मुझे अलग नहीं रख सकती ,, सेवानिवृति के वक़्त लोग ,ग्रजुएटी ,पेंशन  प्लान ,में ,यह करुँगी ,में वोह करुँगी ,इस अहसास की व्यस्तता में जुट जाते ,है लेकिन में ऐसी नहीं हूँ , में हमेशा आपके ,साथ आपके आसपास ,आपके बीच में रहूंगी ,आपके अहसास को ,आपके प्यार को , आपके साथ गुज़ारे हुए हर क्षण को में जियूँगी ,हर साल ,साल के हर कार्यक्रम में में आप लोगों के साथ मौजूद रहूंगी ,,आपसे भी इल्तिजा ,है गुज़ारिश ,है आप मुझे भूल मत जाना ,,मुझे अपनी हर ख़ुशी में हर कार्यक्रम में इसी तरह याद करते रहना ,खुदा से , अल्लाह से ,ईश्वर से ,वाहे गुरु से ,जिसस से , महावीर स्वामी से मेरी प्रार्थना है , के मेरे इन प्यारे स्टाफ के साथियों ,स्टूडेंट के चेहरे हमेशा यूँ ही सह्तयाबी , खुशहाली , कामयाबी ,उम्रदराज़ी के साथ मुस्कुराते रहे ,ज़रा सी भी ,तकलीफ ज़रा सा भी दुःख ,कोई भी अनहोनी इन तक नहीं पहुंचे ,,अल्लाह मेरी यह दुआएं , इंशा अल्लाह ज़रूर क़ुबूल करेंगा ,,मेरी भीगी हुई यह आँखे , यह न समझना ,आपसे बिछड़ने का गम ,है ,,यह एक अहसास ,है एक ख़ुशी है ,,एक सिस्टम ,सरकारी सिस्टम के रिटायरमेंट के बाद भी में आप लोगों के बीच , आप लोगों के साथ रहूंगी ,,आपका अहसास ,प्यार मेरे साथ रहेगा ,,यह आंसू  इसी ख़ुशी का अहसास है ,,,आप लोग मेरा स्वाभिमान भी हो ,मेरा अभिमान भी हो ,मेरा अहसास  भी हो , मेरी रूह ,मेरी आत्मा भी हो ,में कहीं नहीं जा रही हूँ ,यह रिटायरमेंट ,यह सेवानिवृत्ति ,यह विदाई समारोह सिर्फ एक रस्म ,है  , जो आप  और हम मिलकर निभा रहे है ,,इस रस्म अदायगी के ,लिए आपके साथ ,आपके अहसास ,आपके ,प्यार , आपके सम्मान के लिए में  आपकी क़र्ज़दार हूँ ,आपकी ऋणी हूँ ,आपकी शुक्रगुज़ार हूँ ,,आपका दिल की गहराइयों से शुक्रिया ,,,बस हम थे साथ साथ ,हम हैं ,साथ साथ , इंशा अल्लाह हम रहेंगे ,साथ साथ ,का अहसास बनाये रखना ,इस मौके पर में मेरे शोहर मेरे पति डॉक्टर अनीस अहमद सिद्दीक़ी को भी बेस्ट पति , हर दुःख दर्द के मार्गदर्शक साथी बन कर रहे , ,जबकि मेरी बेटी , मेरे बेटे ,मेरी बहु ,मेरी पोती ,मेरी नावासिया नातिन जो मुझे हर थकान भरे बोझिल माहौल में खुशियों का अहसास देते हैं उनकी भी शुक्रगुज़ार ,हूँ  ,  मेरी ,माँ मेरे वालिद ,मेरी सासु ,माँ , मेरे ससुर भी मेरे हर संकट की घड़ी में हिम्मत बनकर मेरे साथ रहे ,में  उनका शुक्रिया इसलिए अदा नहीं कर रही क्योंकि उनका यह अहसान नहीं ,उनका फ़र्ज़ था ,,, मेने भी आपके साथ अपना फ़र्ज़  निभाया ,है ,, ,लेकिन आपका प्यार , आपकी मोहब्बत , हर क़दम पर आपकी मदद ,मेरे स्टूडेंट्स का अनुशासन , मुझ पर क़र्ज़ ,है जिसे में चाहकर भी उतार नहीं पाउंगी ,और ,यह क़र्ज़ में उतारूँ भी क्यों ,,क्योंकि यही तो अपने पन का अहसास है ,जो मेरी ज़िंदगी बनकर मुझ में शामिल हो गया है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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