आपका-अख्तर खान

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05 जून 2020

महीने में एक पेढ़ लगाओ दो पेढ़ बचाओ देश और देश का भविष्य सुधार जाएगा,,,,कहने में अच्छा है लेकिन ,, खुद ही देखो , खुद ही समझो ,

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दोस्तों आज विश्व पर्यावरण दिवस की रस्म अदा की जा रही है ..सरकार ने यह रस्म अखबारी और मिडिया के विज्ञापनों से गोष्ठियों से निभाई है , तो कुछ समाजसेवी संगठनों ने श्रम दान, वेबमिनार लोकडाउन से इसकी शुरुआत की है ,,कुल मिलाकर इन सबसे ,,ना तो देश को फायदा है और न ही ,,विश्व पर्यावरण को फायदा है ,,क्योंके कोई चिंतन कोई मनन और फिर अगर इस मामले में कोई निर्णय हों तो उनकी क्रियानाविती के लियें कोई पहल नहीं है,, हम भारत देश को देखे यहाँ अलग से वन मंत्रालय ..क्रषि मंत्रालय ..प्रदूषण पर्यावरण मंत्रालय है ...करोड़ों नहीं अरबों रूपये ,,इस जाग्रति के नाम पर खर्च होते है समितियां बनाने का प्रावधान है लेकिन अभी तक कोई समिति, कोई आयोग का गठन नहीं किया गया है ,, राजस्थान में इस मामले में कानून बनाया है ,, लेकिन क्रियान्विति नहीं समिति नहीं,, तो फिर इसका फायदा क्या होगा ...सभी जानते है के शहरीकरण और उदारीकरण के नाम पर पर्यावरण को तबाह और बर्बाद किया जा रहा है,, जबकि उद्द्योगों का प्रदूषण वाहनों की गंदी हवा ,, पेड़ों को जला कर राख कर रही है ,,अब शहरों में न तो बरगद की छायाँ है ,,,ना ही ठंडी हवा बस टीन शेड ..या बरामदे बने है ..सरकार पेड़ों के प्रति गम्भीर नहीं है ,,शहरीकरण के नाम पर जंगल और कृषि भूमि खत्म ,, उद्योगों ने तबाही मचाई ....सडकें ऐसी बनी ,,के उनका डामर ,,जो पेड़ों के आसपास लगा है ,,, इस डामर ने इन पेड़ों की जिंदगी बर्बाद कर दी ..हर शहर में देखे,, तो पता चलेगा के पेड़ गायब हो गए है और जो बचे है ,,वोह हर बार अंधड़ में बर्बाद हो रहे है ,,इन पेड़ों को तरक्की के नाम पर,, बिजली के तारों को बचाने के नाम पर ,,काटा जाता है आपने कभी सरकार से पूंछा है, कृषि..पर्यावरण..वन ..भूतल.. शहरी विकास मंत्रालयों ने पेड़ बचाने के लियें कितने अरब रूपये अब तक खर्च किये है और उसका नतीजा क्या रहा ,, नहीं पता ना,, क्योंकि यह पूछा तो फिर एक और करोड़ों अरबों का घोटाला सामने आएगा ,,कोंग्रेस कहेगी भाजपा ने घोटाला किया भाजपा कहेगी ,,कोंग्रेस ने घोटाला किया ..सपा बसपा के लियें कहेगी ममता समता के लियें और बाक़ी बचा तो साधू, संत , मोल्वी, मुल्ला कथित समाजसेवी अप्रत्यक्ष रूप से राजनितिक दलों के पिट्ठू बनकर उन्हें बचाने आ जायेगे या फिर ब्लेकमेल कर सोदेबाज़ी करने के लियें ,, धरने प्रदर्शन का माहोल बनायेंगे , जनता को जमा करेंगे , चंदा उगायेंगे और कहेंगे हमे फ़िक्र हे देश की,, बढ़े आराम के साथ , आज यह करेंगे फिर दो महीने बाद यह करेंगे फिर तीन महीने बाद यह करेंगे, , तब तक चाहे देश बर्बाद हो जाए इन्हें क्या यह तो दाव फेंक कर सोदेबाज़ी के इन्तिज़ार में बैठते है , बात बन गयी तो ठीक ,, नहीं तो एक धरना और सही ..तो दोस्तों समझे न पर्यावरण की किसी को चिंता नहीं है इस दिवस के नाम पर नोटंकी होती है और कुछ नहीं इसलियें किसी के भरोसे न रहे,, खुद जिंदगी बचाएं , रोज़ नहीं तो कम से कम एक महीने में एक पेड़ लगाये दो पेड़ बचाए देश भी बचेगा ..खुबसूरत होगा .ताज़ी हवा मिलेगी सह्त्याबी मिलेगी खुशहाली होगी गर्मी कम होगी झगड़े कम होंगे पानी ज़मीं में जो घुस गया है वोह ऊपर आ जाएगा आप भी खुश खुदा भी खुश और आनेवाला कल भी सुधर जायेगा .............आपने अन्ना हज़ारे को देखा है ना , चिड़ी चुप बैठे है , नेता अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए ज़मीर बेचकर पार्टियां बदल रहे है ...देश की जनता ..से राफेल खरीद की जानकारी देने , प्रधानमंत्री कोविड राहत फंड के फॉर्मेशन , ज़िम्मेदार लोगों की सूची , आमद खर्च की जानकारी का हक़ छीन लिया गया है , तो फिर पर्यावरण बचाने , पेड़ लगाने के ठेकेदारों ने आज अपने बड़े कारोबार , बढ़े होटल खोल लिए है , पर्यावरण प्रेमी , पत्रकार पार्टी प्रवक्ता , प्रेस अटेची , विज्ञप्तियां बनाने वाले बन कर रह गए है , बुद्धि ऐसी विकसित हो गयी , के हर घोताले के जवाब में पहले भी तो ऐसा हुआ है , काम के नाम पर ज़ीरो , आंकड़ों के नाम फर्जीवाड़ा , वन मंत्रालय है , पेड़ों की सेंसस नहीं , कितने पेड़ नए कितने पुराने कटे कितने पेड़ लगाए कितने पेड़ भौतिक सत्यापन नहीं , बस पर्यावरण , प्रदूषण , वानिकी का दिखावा , ढकोसला रह गया है , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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