कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की
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हर तरफ आवाज है फिर , इंकलाबी शोर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की
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हर तरफ आवाज है फिर , इंकलाबी शोर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की
वक्त मुश्किल है अभी , थोड़ा अगर तो क्या हुआ
और बाकी है अभी , लम्बा सफर तो क्या हुआ
क्या हुआ गर सामने , तकलीफ का अंबार है
क्या हुआ कुछ देर को , मौसम अगर खूंखार है
पार कर लेंगी समंदर , को ये जर्जर कश्तियाँ
जुल्म की लहरें भले , उठने लगी हैं जोर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की
बरगदों की सल्तनत को , कौन कहता है अमर
कौन कहता है अँधेरा , जीत जाएगा समर
कौन कहता है जमाना ,आंधियों का आएगा
कौन कहता है चमन , बर्बाद होता जाएगा
नफरतों के रहनुमाओं , ने अभी तक ठीक से
जान देखी ही कहाँ है , प्यार वाली डोर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की
सर झुका लेंगे रुकावट , के उठे तूफान सब
देखना हो जाएंगे कल , रास्ते आसान सब
बिजलियों की सब धरी , रह जाएंगी तैयारियाँ
पांव में गिर जाएंगी कल , देखना दुश्वारियाँ
दर्द के बादल भले ही , आज हैं चारों तरफ
कल फिज़ा बदली मिलेगी , देखना हर ओर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की....
मौजूदा समय में
स्थितियां बहुत ही विषम बनी हुई हैं
ऐसे में
सकारात्मकता को शब्द देने का
और आशा को मुखरता देने का
एक प्रयास किया है ...
जहां भी , जो कुछ भी
ठीक सा होने में आ सका हो ,
बताइयेगा जरूर
सादर
ड़ॉ उदय मणि
और बाकी है अभी , लम्बा सफर तो क्या हुआ
क्या हुआ गर सामने , तकलीफ का अंबार है
क्या हुआ कुछ देर को , मौसम अगर खूंखार है
पार कर लेंगी समंदर , को ये जर्जर कश्तियाँ
जुल्म की लहरें भले , उठने लगी हैं जोर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की
बरगदों की सल्तनत को , कौन कहता है अमर
कौन कहता है अँधेरा , जीत जाएगा समर
कौन कहता है जमाना ,आंधियों का आएगा
कौन कहता है चमन , बर्बाद होता जाएगा
नफरतों के रहनुमाओं , ने अभी तक ठीक से
जान देखी ही कहाँ है , प्यार वाली डोर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की
सर झुका लेंगे रुकावट , के उठे तूफान सब
देखना हो जाएंगे कल , रास्ते आसान सब
बिजलियों की सब धरी , रह जाएंगी तैयारियाँ
पांव में गिर जाएंगी कल , देखना दुश्वारियाँ
दर्द के बादल भले ही , आज हैं चारों तरफ
कल फिज़ा बदली मिलेगी , देखना हर ओर की
कौन कहता है उम्मीदें , मर चुकी है भोर की....
मौजूदा समय में
स्थितियां बहुत ही विषम बनी हुई हैं
ऐसे में
सकारात्मकता को शब्द देने का
और आशा को मुखरता देने का
एक प्रयास किया है ...
जहां भी , जो कुछ भी
ठीक सा होने में आ सका हो ,
बताइयेगा जरूर
सादर
ड़ॉ उदय मणि

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