आज की ग़ज़ल-
मेरी वफा का तुमने मुझे यह सिला दिया,
आंसू समझ के आंख से अपनी गिरा दिया।
कहते थे लोग हमसे कयामत का दिन भी है,
आज हमको तुमने वह दिन भी दिखा दिया।
हम खुद को भूल बैठे हैं कोई खबर नहीं,
तुमने हमें खामोश रहना सिखा दिया।
हमने तो हर तरह से निभाया था प्यार में,
तुमने हमारे प्यार का अच्छा सिला दिया।
रिश्तो को तोड़ डाला कितनी सफाई से,
आप क्या थे आपने हमको बता दिया।
क्या जुर्म था हमारा हमें क्यों सजा मिली,
हम को बिना बताए ही फांसी चढ़ा दिया।
अहसान है तुम्हारा कि मैं जानता न था,
मुझको गमे हयात का आदी बना दिया।
संकलन , अशोक वाजपेयी सेवनिवर्त न्यायधीश
मेरी वफा का तुमने मुझे यह सिला दिया,
आंसू समझ के आंख से अपनी गिरा दिया।
कहते थे लोग हमसे कयामत का दिन भी है,
आज हमको तुमने वह दिन भी दिखा दिया।
हम खुद को भूल बैठे हैं कोई खबर नहीं,
तुमने हमें खामोश रहना सिखा दिया।
हमने तो हर तरह से निभाया था प्यार में,
तुमने हमारे प्यार का अच्छा सिला दिया।
रिश्तो को तोड़ डाला कितनी सफाई से,
आप क्या थे आपने हमको बता दिया।
क्या जुर्म था हमारा हमें क्यों सजा मिली,
हम को बिना बताए ही फांसी चढ़ा दिया।
अहसान है तुम्हारा कि मैं जानता न था,
मुझको गमे हयात का आदी बना दिया।
संकलन , अशोक वाजपेयी सेवनिवर्त न्यायधीश

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