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01 जून 2020

माशा अल्लाह जैसा नाम ,वैसा किरदार ,वैसी सलाहियत ,वैसी क़ाबलियत ,वैसी ही खूबसूरती , जमील अहमद एडवोकेट का जमाल ,समाजसेवा क्षेत्र में ,वकालत के क्षेत्र में ,लोगों की मदद के जज़्बे के रूप में ,उस्तादों की उस्तादी के रूप में अनुकरणीय भी ,है प्रशंसनीय भी है

माशा अल्लाह जैसा नाम ,वैसा किरदार ,वैसी सलाहियत ,वैसी क़ाबलियत ,वैसी ही खूबसूरती , जमील अहमद एडवोकेट का जमाल ,समाजसेवा क्षेत्र में ,वकालत के क्षेत्र में ,लोगों की मदद के जज़्बे के रूप में ,उस्तादों की उस्तादी के रूप में अनुकरणीय भी ,है प्रशंसनीय भी है ,,, अल्लाह उन्हें सलामत रखे ,, उनका दर्जा ब दर्जा बुलंद करता रहे ,,आमीन ,, जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ , कोटा के नामचीन वकील जमील अहमद एडवोकेट की ,,जो मेरे  उस्ताद भी हैं ,और मेरे जैसे न जाने कितने एडवोकेट साथियों ,,कितने ही सरकारी महकमे में , क़ानून की पत्रावली देखने वाले अधिकारीयों ,, मजिस्ट्रेटों ,सियासी नेताओं के भी वोह उस्ताद है ,, जमील अहमद ऐडवोकेट ,वकालत की दुनिया में जाना पहचाना नाम ,,क़ानून की बारीकियों के साथ ,ज़िम्मेदारी , ईमानदारी से ,अपने मुक़दमे का प्रस्तुतिकरण ,, हारी हुई बाज़ी को , अपनी दलीलों ,क़ानूनी द्रष्टानतो से , जीत में बदल देने का हुनर ही , क़ानूनी उनकी क़ाबलियत का सुबूत ,है ,, ऐडवोकेट जमील अहमद यूँ तो किसी पहचान के मोहताज नहीं ,, कोटा राजकीय महाविद्यालय  में ही उन्होंने शिक्षा ग्रहण की ,यहीं से उन्होंने लो ग्रेजुएशन किया ,कॉलेज में जब सीधे छात्र संघ अध्यक्ष के चुनाव नहीं होते थे ,, सिर्फ क्लास प्रतिनिधि मिलकर ,छात्र संघ अध्यक्ष को चुना करते ,थे तब के क्लास प्रतिनिधि , जिसे सी आर , भी कहते है ,केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल के साथ लगकर मित्रता निभाते हुए ,,इनके छात्र संघ अध्यक्ष बनवाने में  भी उनकी मदद यादगार ,है , जमील अहमद एडवोकेट बनने के पहले ,अंग्रेजी माध्यम स्कूल में कुछ समय टीचर भी रहे है ,, लेकिन फिर वकालत के व्यवसाय में आने के बाद ,,इन्होने क़ानून का अध्ययन कर , पत्रावलियों के तथ्य ,साक्ष्य का प्रस्तुतिकरण , लाजवाब कर अनुकरणीय  कर दिया , , गवाहों से तहज़ीब के दायरे में नफासत के साथ इनकी जिरह ,, सिलसिलेवार क़ानूनी दृष्टांतों के साथ इनकी बहस ,,के जज वगेरा भी क़ायल हो जाते है ,,,अदालत का स्टाफ , चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ,पेशकर ,सरिश्तेदार ,,सरकारी वकील ,या अदालत के सीनियर साथी ,जूनियर साथी सभी ,जमील अहमद एडवोकेट के प्रशंसक  भी है , इनके समर्थक भी हैं ,इनकी क़ानूनी पैतरेबाजी के क़ायल भी हैं  ,, जमील अहमद एडवोकेट तीन बार हज ,उमरा करके आये ,है वोह उनकी ज़िंदगी को सरलता से जीते हैं ,, मुस्कुरा कर हर चेलेंज को स्वीकार करते है ,,और मुस्कुरा कर ही हर चेलेंज को हरा भी देते है ,, यह जीतते  भी है तो खुद भी सीखते है ,अपने जूनियर्स को भी सिखाते है ,,,पूरी लाइबरेरी अपडेट ,हर दावा ,हर प्रार्थना पत्र ,,खुद अपनी हस्तलेखनी में लिखना ,फिर टाइप होने के बाद उसको एडिट करते है ,इसके बाद ही ,,दावा , अपील ,या परिवाद पेश होते है ,,जमील अहमद अपने प्रशिक्षु जूनियर साथियों के साथ पारिवारिक व्यवहार के साथ एक गार्जियन बनकर रहते ,है  वोह वकालत सीखने की उन्हें खुली छूट देते है ,,यही वजह ,है के उनके जूनियर टीम के भी कई साथी नामचीन वकालत के साथ उनकी गुरु दक्षिणा के रूप में उनका नाम रोशन कर रहे है ,,खुद जमील अहमद एडवोकेट राजस्थान हाईकोर्ट में नामचीन वकील रहे ,स्वर्गीय कौशल किशोर महर्षि के अधीनस्थ प्रशिक्षु ,रहे और अल्प समय में ही ,,जमील अहमद ,,स्वतंत्र वकील होने के बाद , चुनौतीपूर्ण मुक़दमों में कामयाबी के साथ ,वकालत के हीरो हो गए ,,,वकालत का नियम लोगों को न्यूनतम खर्च पर इंसाफ दिलाने की कोशिश को भी वोह जारी रखते ,है ,अनेक मुक़दमों में अगर कोई प्रताड़ित ,है गरीब ,है उसे इन्साफ के लिए ,,एक वकील की मदद की ज़रूरत ,है तो कई मामलों में ,जमील अहमद एडवोकेट ऐसे लोगों की मदद के  लिए आगे आते हैं , काग़ज़ , टाइप का खर्च भी खुद के पास से ,पैरवी भी मुफ्त ,और ऐसे पीड़ित को इंसाफ दिलाकर ,,जमील साहब ,ऐसे लोगों के लिए मसीहा बन जाते है ,, एडवोकेट जमील अहमद सार्जनिक हित ,में  बुराइयों के खिलाफ हमेशा जंगजू सिपाही रहे है ,,,कोटा में हेलमेट पहनने के नाम पर ,गैर क़ानूनी तरीके से चालानबाज़ी हो , कोटा दशहरा मेले में अव्यवस्थाएं हो ,,हेमामालिनी को बुलाने के नाम पर सरकारी खज़ाने का दुरूपयोग हो ,,सर्कस में पशु उत्पीड़न के मामले रहे ,हो छात्र संघ  चुनाव में ,,शहर की सड़कों पर उत्पात ,,दीवारों पर पोस्टर बाज़ी हो ,, अखबारों में ,अवैध रूप से ,मर्दाना ताक़त सहित ,असाध्य बिमारियों के इलाज के साथ ,बाल उगाने वगेरा के गैरक़ानूनी विज्ञापन हो ,,ऐसे कई मुद्दे है ,जिन्हे जमील अहमद एडवोकेट ने जनहित याचिकाओं में उठाये है ,ऐसे मुद्दों पर क़ानूनी गाइड लाइन तैयार करवाई ,है ,,कई सफेदपोश अपराधियों के खिलाफ वारंट जारी करवाकर उन्हें गिरफ्तार भी करवाया ,है कई मामलों में पुलिस प्रताड़ना के खिलाफ यह एक जंगजू सिपाही ,मानवाधिकार कार्यकर्ता बनकर उभरे है ,,कई पुलिस कर्मियों , अधिकारीयों के खिलाफ अदालत से वारंट जारी करवाकर , पद का दुरूपयोग कर ,निर्दोष लोगों को प्रताड़ित करने वालों को सबक़ भी सिखाया ,है ,जमील अहमद एडवोकेट को चंद्रघटा की जनता ,पार्षद के रूप में चुनाव लड़वाना चाहती थी ,तब ,कांग्रेस ,भाजपा , ,जनता पार्टी सहित सभी दल इन्हे अपना प्रत्याक्षी बनाना चाहते ,थे  लेकीन जमील अहमद ने निर्दलीय पार्षद का चुनाव लड़ने का फैसला किया ,हालात यह रहे के सरकार ने ,वार्ड अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो जाने से इनका प्रमाण पत्र मुस्लिम शब्द होने से ,बनाने से इंकार कर दिया ,,जमील अहमद ऐडवोकेट ,इस मुद्दे को लेकर ,राजस्थान हाईकोर्ट में अपनी फरियाद लेकर गए ,हाईकोर्ट ने भाजपा सरकार को  चेतावनी दी के या तो इनका प्रमाणपत्र बनाओ ,नहीं तो अग्रिम सुनवाई तक चुनाव पर स्थगन रहेगा ,तत्काल ,कोटा में प्रशासन को जमील अहमद एडवोकेट का अन्य  पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश मिले और हायकोर्ट की इस लड़ाई के बाद , प्रमाण पत्र बनाने में धर्म आधारित भेदभाव को सरकार को समूचे राजस्थान में खत्म करना पढ़ा ,,सभी के प्रमाणपत्र बनना शुरू हुए ,,जमील अहमद एडवोकेट ,मक़बरा ,चंद्रघटा वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़े ,,और कोटा ही नहीं , राजस्थान ही नहीं ,पुरे हिन्दुस्तान में इन्हे एक तरफा वोट पढ़े ,,,कांग्रेस,  भाजपा ,,जनता पार्टी अन्य सभी दलों को मिलाकर सिर्फ 150 के लगभग वोट मिले सभी की ज़मानत ज़ब्त हुई , और एक तरफा हज़ारों हज़ार वोट जमील अहमद ऐडवोकेट की लोकप्रियता को मिले ,गिनीज़  रिकॉर्ड में  भी इस एक तरफा जीत पर चर्चा रही , इनके पार्षद कार्यकाल में ,मक़बरा क्षेत्र कांजी हाउस के पास ,ज़ाकिर हुसैन मेमोरियल कम्युनिटी सेंटर , प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय मंत्री रहे ,भुवनेश चतुर्वेदी के सांसद कोष से निर्माण हुआ ,इस कार्यकम का शिलान्यास ,पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने किया ,,जबकि कई महत्वपूर्ण कार्य इनके वार्ड में हुए ,,नगर निगम में पार्षद रहते ,हर बोर्ड की बैठक में ,सभी मुद्दों पर जमील अहमद एडवोकेट ,ज्वलंत समस्याओं को उठाते ,महत्वपूर्ण सुझाव देते इसीलिए निर्दलीय होने के बावजूद भी ,महापौर के मुख्य सलाहकार की भूमिका भी निर्माण योजनाओं में इन्होने निभाई ,, नगर निगम के इनके कार्यकाल में इन्होने तथ्यात्मक सुबूतों के साथ कई भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाये और मुक़दमे भी दर्ज करवाए गए ,, जिनमे कई अधिकारी कर्मचारी गिरफ्तार हुए , एडवोकेट जमील अहमद वक़्फ़ कमेटी कोटा में सचिव पद पर रहे ,,इनके कार्यकाल में वक़्फ़ की कई विकास , सोंदर्यकरण योजनाए बनी ,लेकिन वक़्फ़ कमेटी में जब एक आवासीय भूखंड योजना में लॉटरी घोटाला हुआ तो इन्होने इस घोटाले के खिलाफ आवाज़  उठाते हुए इस्तीफा दे,दिया , वक़्फ़ मामलों की जमील अहमद ने  आज तक निशुल्क पैरवी की है इन्होने अलग  अलग मुक़दमों में वक़्फ़ की करोड़ों की सम्पत्ति के क़ब्ज़े छुड़वाए ,,सरकार से भी  मुक्त करवाई है ,,,,जमील अहमद एडवोकेट राजस्थान बार कौंसिल जोधपुर बेंच की अनुशासन समिति के सदस्य भी रहे है ,जिसमे कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई का भी इनके कार्यकाल में विधिक रूप से निस्तारण ,हुआ जमील अहमद एडवोकेट बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के सदस्य प्रत्याक्षी भी रहे ,,इन्होने ,केरल ,दक्षिणी भारत की तर्ज़ पर  जूनियर वकील साथियों को प्रतिमाह स्टाई फंड , लायब्रेरी सहित अन्य ज़रूरतों के लिए अनुदान ,बिना ब्याज के ऋण देने की मांग को लेकर लगातार संघर्ष किया है ,हायकोर्ट में भी रिट पेश की है ,एडवोकेट जमील अहमद दंगे फसाद के माहौल के बाद ,कोटा दंगों की जांच के लिए गठित ,भार्गव जांच आयोग में ,,आम पब्लिक की तरफ से वकील भी रहे ,इनकी कई महत्वपूर्ण दलीले जस्टिस भार्गव जाँच आयोग की दंगा रिपोर्ट में आज भी दर्ज ,है ,, टाडा जैसे खतरनाक क़ानून में  पैरवी के लिए इन्होने अजमेर टाडा कोर्ट में दबंगाई से वकालत की ,जबकि विधि विरुद्ध क्रिया कलाप अधिनियम के गंभीर मामलों में कोटा ,जयपुर सहित कई ज़िलों में इन्होने ,निर्दोष फंसे हुए अपराधियों की पैरवी कर इन्हे इंसाफ दिलवाया है ,, जमील एडवोकेट क़ानूनी एन्साइक्लोपीडिया है ,, नियमित क़ानून पढ़ना ,अपडेट रहना ,अनुशासित रहकर वेलड्रेस समय पर न्यायालयों में विनम्र उपस्थिति ,,इनकी दैनिक दिनचर्या ,है ,जैसा नाम जमील ,यानि खूबसूरत चेहरा ,,माशा अल्लाह इसीलिए एक वक़्त जब दिलीप  कुमार , फ़िल्मी सुपर स्टार थे तब इन्हे अदालत में कोटा का दिलीपकुमार भी कहा जाने लगा था ,जबकि अब जब वरिष्ठ हो  गए ,है इनके नौजवान पुत्र अयाज़ राजा भाई भी इनके कंधे से कंधा मिलाकर इनके साथ वकालत के मैदान में ,है तब जमील साहब को लोग फ़िल्मी दुनिया से प्रेरित होकर देवानंद भी कहते है ,, जमील अहमद एडवोकेट मेरे गुरु भी है ,मेरे गार्जियन भी ,मेरे पथप्रदर्शक भी हैं ,आज भी जब वकालत में कोई स्पीड ब्रेकर ,बेरियर मुझे तंग करने लगता ,है ,तो उसके क़ानूनी तोड़  के लिए में अपने उस्ताद जमील अहमद से ही गुर सीखता हूँ ,,कई मामलों में हम एक दूसरे के खिलाफ वकालत में भी खड़े होते ,है शुरू में मुझे झिझक हुई लेकिन ,उस्ताद तो उस्ताद हैं ,उनका स्पष्ट ज्ञान ,था यह वकालत ,है उस्ताद का एहतराम अदालत के बाहर , अदालत में तो सिर्फ तुम भी वकील ,उस्ताद भी वकील ,अपने अपने पक्षकार के हक़ में धर्म निभाना ज़रूरी है ,, बहुमुखी प्रतिभा के धनी एडवोकेट जमील अहमद कोटा के ही नहीं राजस्थान के वकीलों के प्रमुख गौरव में से एक ,है हमे फख्र है ,के हम इनकी उस्तादी में शागिर्द रहे ,हमने इनकी उस्तादे के गुर सीखे और आज वकालत के मैदान में खुला खेल फर्रुखाबादी की तरह खेल रहे हैं ,,उस्ताद जमील अहमद की उस्तादी को सेल्यूट ,सलाम , उन्हें बधाई ,,,,,,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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