कोटा के कोचिंग छात्रों को बाहर जाने के लिए पास बनाने में कोटा के ही
लोगों द्वारा दलाली के पांच से दस हज़ार रूपये लेने की खबर , कुछ हज़म भी हुई
,कुछ हज़म भी नहीं हुई ,प्रशासन के हवाले से इस शिकायत की तस्दीक़ होना भी
प्रकाशित हुई है ,खबर सच भी हो सकती है अफवाह भी ,लेकिन अगर खबर सच है तो
देश भर के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्तित्व ,दिग्गज मंत्रियों के इस शहर के
लोगों के लिए अपमानकारी बात है ,पास बनना ,पास बनवाना , एक बार कोई भी
पत्रकार स्टिंग ऑपरेशन नए चहेरे को दिखा कर खुद देख ले ,सही सामने आ जाएगा
,, कलेक्ट्रेट में पास बनवाने जाने वाले लोगों को किस तरह से वहां एक
पुलिस कर्मी द्वारा दुत्कारा जाता है ,, अधिकारीयों तक पहुंचने तक नहीं
दिया जाता ,खुद कलेक्ट्रेट के सी सी टी वी कैमरे में मौजूद होंगे ,खेर वोह
अधिकारीयों के निर्देश पर उनकी ड्यूटी हो सकती है ,,लेकिन अगर बाहर के
छात्रों से पास के नाम पर दलाली हुई है और कथित रूप से उसकी शिकायत पर
अधिकारीयों ने जांच करवाकर पुष्टि भी की है ,तो यह कोटा के लिए शर्मनाक है
,,अफसोसनाक है ,अगर प्रशासन ऐसे लोगों को बेनक़ाब कर ,,उनके नाम उजागर कर
मुक़दमा दर्ज नहीं करवाता है ,तो जिन लोगों ने एक समाजसेववक ,भाजपा या
कांग्रेस के पदाधिकारी होने के नाते , सच्चे पत्रकार होने के नाते ,,पास
बनने की दिक़्क़तों के बाद ,,ऐसे किसी ज़रूरत मंद की वाजिब सिफारिश से भी
,बिना किसी प्रतिफल के अगर पास बनवाये है तो वोह भी अब इस खबर से संदेह के
घेरे में है ,,वैसे तो जहाँ दिक़्क़ते खडी की जाती ,है जहाँ सीधा जुड़ाव नहीं
होता , जहां ज़रूरतमंद को पहुंचने नहीं दिया जाता ,जहाँ उसकी सुनवाई में
ढिलाई होती है ,वहां ऐसा ज़रूरतमंद कोई सहारा ज़रूर तलाशता है , फीलगुड तक
करने को तैयार हो जाता है ,लेकिन अगर राहें आसान होती है , सीधी होती है
,,एक निश्चित फार्मूले के तहत तुरतं व्यवस्था होती है ,तो वहां न सिफारिश
की ज़रूरत न दलाली की ज़रूरत होती है ,,कोटा में कोचिंग छात्रों या दूसरे पास
के नाम पर ,,दलाली की पुष्ठि वाली खबर अफ़सोसनाक है ,,अब तो ऐसे पास जारी
करने वाले ,और ऐसे पास जारी करने वालों के समन्वय की जांच होकर ,एक मुक़दमा
दर्ज होकर ऐसे लोगों को बेनक़ाब कर उनके नाम सार्वजनिक होना ही चाहिए ,
वर्ना सास बहुओं में जैसा होता है , कोई कह रहा था ,किसी ने कहा था ,कहकर
वोह अपने दिल की बात करती रहती है ,इलज़ाम लगाती रहती है ,इस तरह की यह
घटना बनकर रह जाएगी ,,,भास्कर अख़बार को इस खबर को बेबाकी से उजागर करने के
लिए सेल्यूट ,लेकिन अब पीछा करके ,, इंवेस्टिगेटिंग जर्नलिज़्म का सहारा
लेकर ,,ऐसे बेहूदा लोग जो ,,कोचिंग बच्चों या पीड़ित लोग जिन्हे ईमानदाराना
पास की ज़रूरत है ,उनसे पास बनवाने के लिए पांच से दस हज़ार रूपये वसूल कर
बैठे है ,उनके नाम उजागर करना ही चाहिए ,क्योंकि वोह निश्चित तोर पर आम लोग
तो नहीं ,कम से कम उनका प्रभाव इतना तो होगा ही ,जो वोह प्रशासनिक
अधिकारी तक अपनी पहुंच रखकर ,विशवास में काम करवा रहे होंगे ,,ऐसे लोगों के
नाम ,किस व्यक्ति ने ,किस व्यक्ति का ,किस अधिकारी से ,पास बनवाया और
रूपये लेने की शिकायत की तस्दीक़ कैसे हुई ,,,अगर रूपये लिए तो फिर ऐसे
दलालों को खुली छूट क्यों ,उन्हें अब तक जेल का रास्ता क्यों नहीं दिखवाया
,,इस मामले में भी रिपोर्टिंग हो क्योंकि कोटा का हर समाजसेवक ,हर वोह
नेता ,कार्यकर्ता जिसने किसी न किसी अधिकारी से पीड़ित ज़रूरत मंद को
,परेशानी की हालत में होने से उनके पास के लिए अगर सिफारिश की है तो वोह भी
इस संदेह के घेरे में आकर अपमानित महसूस कर सकते है ,,, खेर अब पास की
व्यवस्था ,बिना रोका टोकी के अधिकारी के पास एकप्रोच के साथ होने लगे
,,तत्काल होने लगे ,कलेक्ट्रेट में घुसने के पहले ,संबंधित ज़रूरत मंद को
रोक कर खड़े रखने पर रोक लगे तो फिर इस तरह की शिकायते आने का प्रश्न ही
पैदा नहीं होगा ,,पारदर्शिता होगी ,संवेदनशीलता होगी ,तो राजस्थान के
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की निष्पक्ष प्रशासनिक व्यवस्था खुद ब खुद तत्काल
ज़रूरतमंदों की ज़रूरत पूरी होने पर नज़र आने लगेगी ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान

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