सोशल
मीडिया , सबकी खबर लेने ,सबको खबर देने ,,मनोरंजन के साथ , एक दुसरी से
हंसी मज़ाक़ का ज़रिया है ,प्यार , मोहब्बत से जुड़ने का ज़रिया है ,यह नफरत का ,
यह किसी के अपमान का ,,किसी के खिलाफ फोटू , वीडियो कूटरचना कर ,, उसका
मान मर्दन करने का ज़रिया नहीं है ,,भरोसे का लेखन है ,,हाँ कुछ नौकरी पेशा
,वेतनभोगी एक्टिविस्टों के लिए तो जेल की सलाखें ही एक सबक़ है ,, लेकिन
किसी भी पोस्ट को बिना पढ़े ,बिना समझे , उसके दूरगामी परिणाम जाने बगैर
,उन्हें न तो तैयार कीजिये न ही , फॉरवर्ड कीजिये ,, कई
लोग जेल में है ,कई सरकारी कर्मचारी ,अधिकारी ,नौकरी गँवा चुके है ,,कई
व्यापारी जेल में है ,तो जनाब क्यों इस विशवास के सोशल मीडिया के वातावरण
को हम बोझिल बनाये ,नफरत का एक केंद्र बनाकर खुद भी जेल जाए ,रिश्तेदारों
,यार दोस्तों को भी परेशान ,करे या फिर मुक़दमे में एफ आर लगवाने के लिए
पुलिस की ,फरियादी की ,दूसरे ज़िम्मेदारों की जी हुज़ूरी करते फिरते है
,,कोटा सहित राजस्थान में पांच दर्जन से भी अधिक लोग जेल में है ,, कई
मामलों में नफरत फैलाने वालों ने ,खुद को ना समझ बताकर माफ़ी मांगी है ,किसी
ने नाबालिग द्वारा मेसेज फॉरवर्ड करना बताकर ,फरियादी को पटाकर लिखित
स्टाम्प दिए है , अदालतें ऐसे मामलों में फरियादी के खिलाफ 182 आई पी सी की
कार्यवाही भी कर सकती ,है और पुलिस एफ आर के बाद भी अपराध घटित होना मानकर
प्रसंज्ञान ले सकती ,है अभी हाल ही में कोटा में भी कई मामलों में डॉक्टर
स्तर के लोगों ने ,कर्मचारियों ने भावावेश में नफरत की पोस्टें वाइरल कर
माफियें मांगकर मामला निस्तारित करवाया है ,, कल ही रामगंजमंडी के एक मामले
में फ़र्ज़ी पोस्ट चलाने को लेकर कुछ लोगों ने डी आई जी को ज्ञापन दिया है
,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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