*सड़क किनारे थड़ी लगाकर अपनी आजीविका कमाना कोई नीचा या छोटा काम नहीं है अलबत्ता साधारण काम जरूर है। इस के लिए भी कुछ योग्यताएं चाहिए साथ ही कुछ विभागों की इजाजत की भी जरूरत होती है। इसके लिए बाकायदा रजिस्ट्रेशन भी करवाना पड़ता है। यानी कि साधारण से साधारण काम के लिए किसी योग्यता का होना जरूरी है और इस के लिये भी किसी न किसी औपचारिकता को पूरा करना होता है लेकिन सोशल मीडिया के जरिए न्यूज चैनल बनाने और पत्रकारिता करने के लिए कोई भी न्यूनतम योग्यता निर्धारित नहीं की गई है और ना ही इसके लिए कहीं पर भी अपना पंजीकरण करवाने की आवश्यकता है। बस किसी भी सोशल अकाउंट्स पर एक से डेढ़ मिनट में अपना न्यूज़ चैनल, पेज या ब्लॉक बनाते है और अगले ही पल शुरू हो जाती है पत्रकारिता।*
*कुछ ऐसे
ही हालात के बीच धौलपुर के जिला कलेक्टर ने इस तरह के न्यूज चैनल और ऐसे
पत्रकारों को वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में नुकसानदायक मानते हुए
यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंकडइन, व्हाट्सएप, टि्वटर, टेलीग्राफ या
अन्य सोशियल मीडिया के जरिए पत्रकारिता करने वालों पर औऱ ऐसे बेलगाम चैनल्स
पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी। साथ
ही इसका उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आपदा
नियंत्रण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।*
*भारतीय पत्रकार महासंघ के महासचिव की हैसियत से मैं सैयद मोईनुल हक़, धौलपुर के ज़िला कलेक्टर श्री आर. के. जायसवाल के इस निर्णय का स्वागत और समर्थन करता हुँ। साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार से मांग करता हूं कि देश भर के लिए तत्काल प्रभाव इसी तरह का निर्णय लिया जाए।*
*और यदि निकट भविष्य में यह प्रतिबंध हटाया जाए तो इस तरह सोशल मीडिया के जरिए चैनल बनाने और पत्रकारिता करने वालों के पंजीकरण की कोई पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए साथ ही उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। आज मीडिया जिस दुर्दशा मैं पहुंचा है उस की सबसे बड़ी वजह यह जवाबदेही नहीं होना ही है।*
*भारतीय पत्रकार महासंघ के महासचिव की हैसियत से मैं सैयद मोईनुल हक़, धौलपुर के ज़िला कलेक्टर श्री आर. के. जायसवाल के इस निर्णय का स्वागत और समर्थन करता हुँ। साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार से मांग करता हूं कि देश भर के लिए तत्काल प्रभाव इसी तरह का निर्णय लिया जाए।*
*और यदि निकट भविष्य में यह प्रतिबंध हटाया जाए तो इस तरह सोशल मीडिया के जरिए चैनल बनाने और पत्रकारिता करने वालों के पंजीकरण की कोई पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए साथ ही उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। आज मीडिया जिस दुर्दशा मैं पहुंचा है उस की सबसे बड़ी वजह यह जवाबदेही नहीं होना ही है।*

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