एक
हवेली में रहकर , विलासिता जीवन से जुड़े , कॉन्वेंट शिक्षा ग्रहण करने
वाली सादगी भरी शख्सियत अपने टेलेंट को सिर्फ सिक्कों के इतिहास के जुनून
में झोंक दे , उससे सिक्कों का दीवाना एडवोकेट शैलेश जेन कहते है , शैलेश
इन दिनों ख्वाजा गरीब नवाज के चरणों मे रहकर नागौर शरीफ के पंच पीर के
मिले एक सिक्के के अध्ययन उसकी खोज उसके रिसर्च में लव है , शैलेश जेन ,
उर्दू , अरबी , फारसी , सँस्कृत , अंग्रेज़ी सहित कई दुर्लभ भाषाओं के
ज्ञानी है , इसीलिए वोह यह सब कुछ अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर कर पा रहे ,
है,,,,सिक्को को पढ़कर ,,सिक्को को खोज कर ,,सिक्कों को संग्रहण कर कोटा के
एडवोकेट शैलेश जैन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञ बनकर विशेषज्ञ के रूप
में पुरे विश्व के मुद्रा विशेषज्ञों के बीच अपना सिक्का चला रहे है
,,,,, कहावत है के खोटा सिक्का भी कभी काम आता ही है,, और खोटे सिक्के
को ऐतिहासिक बेशक़ीमती बनाकर , शैलेश जैन ने इतिहास रच दिया है ,,,वोह कहते
है के किसी भी मुद्रा यानी संचालित मुद्रा में, उस दौर का इतिहास छुपा
होता है ,,और किसी भी इतिहास के सूक्ष्म अध्ययन के लिए ,,,वहां के राजा की
कार्यशैली के अध्ययन के लिए,, क्षेत्रीय प्रचलित मुद्रा अपनी दास्ताँ खुद
कहती है ,,,बशर्ते के इस मुद्रा को पढ़ने वाली शख्सियत हो ,,,राजस्थान में
कोटा ज़िले के एडवोकेट नोटेरी शैलेश कुमार जैन ,अपनी वकालत के व्यस्तम समय
में से, सिक्को के संग्रहण ,,अध्ययन ,,इनके बारे में शोध और लेखन के कार्य
में जुटे है ,,,, शैलेश जैन अपने घर परिवार ,वकालत और नोटेरी के
व्यवसाय की ज़िम्मेदारियों के साथ साथ, बखूबी हँसते हँसते अपने इस शोक को
निभा रहे है ,,निभा ही नहीं रहे ,बल्कि अपने इस हुनर में अब वोह
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुद्रा विशेषज्ञ बन गए है , जिन्हे मुद्रा विशेषज्ञ
अपनी पुस्तक लेखन करने वक़्त लिखना नहीं भूलते ,,,,,,, एडवोकेट शैलेश जैन
कहते है के , यूँ तो उन्हें बचपन से ही पुरानी मुद्राओ के संग्रह का शौक
रहा , ,,,उनके संग्रह में, 2500 वर्ष पूर्व ,,,,जब से सिक्को का उदय हुआ
,,तब से आज तक के सभी प्रमुख साम्राज्य ,,, वंश ,राजाओ के सिक्के हे
,,शेलेज जैन को , उस समय किसी सिक्के की पहचान के लिए , ,,,उस पर लिखी भाषा
को पढवाने के लिए इधर उधर ,,,भटकना पड़ता था ,,,,क्योंकि ,इस विषय के
विशेषग्य बहुत कम थे,,,, इस पर लगभग 5 वर्ष पूर्व शैलेश जैन को लगा, की
सिक्के तो बहुतो के पास हे ,,,इसलिए उन्हें कुछ अलग करना हे ,,,तब
उन्होंने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हांसिल करने की ठानी ,,,,.शैलेश ने
सिक्को पर अंकित सभी भाषाओ को सीखना शुरू किया ,,,,प्राचीन भारत के इतिहास
को पड़ना शुरू किया .,,,,शैलेश ने तीन वर्ष पूर्व लन्दन स्थित ब्रिटिश
म्यूजियम के चीफ क्यूरेटर , शैलेन भंडारे से ,सिक्को को पड़ने की बारीकिया ,
सिक्को के इतिहास को समझने की बारीकियां सीखी ,,और उन्हें शैलेन भंडारे की
उस्तादी में सिक्को की समझ का सोभाग्य मिला ,,,शैलेश जैन अपनी लगन ,,कड़ी
महनत के चलते आज इस क्षेत्र में एक मुद्रा विशेषग्य के रूप में ,,,,भारत
में जाना पहचाना नाम है ,,,उनके द्वारा कई सिक्को की खोज भी की गयी ,
,,उनके पास एकत्रित जहाँगीर के सिक्के '' एंड्रू लिङले '' द्वारा प्रकाशित
पुस्तक '' कॉइन्स ऑफ़ जहाँगीर '' में प्रकाशित हुए .पूना से प्रकाशित
जर्नल '' एन आए जी ''का एडवोकेट शैलेश को संपादक बनाया गया ,,, जिसमे वोह
सिक्को की जानकारी दे रहे है ..,,,उनके लेख उक्त पुस्तक में प्रकाशित
होते हे .,,,पिछले वर्ष न्यूमिस्मेटिक इनफार्मेशन गेलेरी ,, जो एक अंतर
रास्ट्रीय ग्रुप हे ,,,उसके द्वारा शैलेश जैन को ,,न्यूमिस्मेटिस्ट आफ द
इयर से ,,,सम्मानित किया गया .वोह कई अच्छे ग्रुप्स में विशेषग्य के रूप
में रोजाना अपनी सेवा देते है . ,,रोजाना कई व्यक्तिओ को सिक्को की
जानकारी देते है ,अभी कोटा स्थित कंसुआ ,प्राचीन शिव मंदिर में सिक्के
खुदाई में मिले थे , मंदिर समिति द्वारा उन्हें बुलाये जाने पर उन्होंने
जाकर सिक्को की पहचान की थी ..वोह कहते है : में अभी रामगुप्त के सिक्को पर
एक पुस्तक लिखी है .,, , उनका इरादा इस वर्ष कोटा में कोइंस रिसर्च एंड
एजुकेशन इंस्टिट्यूट शुरू करने का हे,,,,,उन्होंने इस कार्य को अंजाम देने
के लिए हाड़ोती में कोइंस सोसाइटी बनाई जिसमे लगातार लोगों को सिक्कों के
इतिहास और पहचान के बारे में साक्षर किया जा रहा है ,,,,सिक्को को लेकर जो
लोग लेख लिखते है ,,किताबे लिखते है ,,रिसर्च करते है वोह सब भारत में कही
भी किसी भी कोने में हो ,,कोटा आकर शैलेश जैन से ज़रूर सम्पर्क करते है और
सिक्को के बारे में साक्षरता का ज्ञान लेकर अपने प्रकाशन में इनके हवाले
से लिखते है प्रकाशित करते है ,,,,,,,,,,,इन दिनों शैलेश जैन , लोकडाउन को
,, सिक्कों के रिसर्च कार्यक्रम में दिन रात लग कर ,इस रिसर्च को काउंटडाउन
यानी पूर्ण रूप से करना चाहते है ,,एक साधू की तरह इनकी क्लीन शेव ,,बढ़ी
हुई खूबसूरत फ़िल्मी हीरों के अंदाज़ में बढ़ रही है ,,यह सिक्कों के रिसर्च
कार्यक्रम को बोझ नहीं बनाते ,, इसे जीते है ,,इस काम को एनजॉय करते है
,,तभी तो विकट व्यवस्थाओं के तहत जब ,दुर्लभ सिक्कों की जानकारी असम्भव हो
जाती है ,तो भाई शैलेश जेन का यह खामोश जूनून ,,उस सिक्के की ऐतिहासिक
जानकारी के असम्भव को सम्भव बना रहे है , कोटा अभिभाषक परिषद के इस हीरो को
सेल्यूट सलाम , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान


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