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25 मई 2020

अल्लाह की बनाई हुई गाइड लाइन का जो लोकडाउन होता है ,उसकी शत प्रतिशत ईमानदारी से पालना का इनाम , ईद होता है ,इसलिए ईद है तो है ,

अल्लाह की बनाई हुई गाइड लाइन का जो लोकडाउन होता है ,उसकी शत प्रतिशत ईमानदारी से पालना का इनाम , ईद होता है ,इसलिए ईद है तो है , हालात कुछ भी हों ईद है तो है ,बस ईद मनाने के तोर तरीके बदल जाते है ,लेकिन इस बार तो अल्लाह का अज़ाब ऐसा है ,के ईद भी है और तोर तरीके भी रिवायत नहीं होते से कोई जानकारी नहीं ,बस में ईद तो मनेगी क्योंकि ईद है तो है ,, पांच आदमी मस्जिदों में नमाज़ पढ़ेंगे ,,ईद मिलन से इंकार ,,नए कपड़े नहीं ,खुशियाँ हैं तो है , लेकिन सिर्फ दूसरों की खुशियां तलाश कर ,उनकी खुशियों में शामिल होना ,उनकी खुशियों की वजह बनना ,,उनके दुःख दर्द बाँटना ,,उनकी ज़रूरतें पूरी करना ,ही इस बार खूबसूरत ईद होगी ,ईद की ओरिजनल ख़ुशी होगी ,इतिहास में पहली बार कोटा सहित देश ही नहीं विश्व की ईदगाहों पर ईद की नमाज़ सिर्फ पांच आदमियों में ,ख़ुत्बा तो ,होगा लेकिन नमाज़ें घरों पर , अल्लाह क्या अज़ाब है ,ख़ुशी का दिन भी है और खुशियों से भी दूर है ,यह किसी इम्तिहान की घडी ,है कुछ साहिब ऐ हैसियत है ,और बहुत कुछ ऐसे हैं जिनके पास न रोज़ी बची है ,न रोटी बची है , न पहने को कपड़े है ,न खाने को सिवय्ये है ,,बस अल्लाह तौफ़ीक़ अता फरमाए जज़्बा अता फरमाए के ईद की ख़ुशी की लड़ी हर अमीर , हर मध्यम वर्ग ,साहिब ऐ हैसियत के घर से निकल कर हर ज़रूरतमंद , घर गरीब के घर पहुंचे ,,खुशियां अकेले नहीं ,मिल बाँट कर मनाये ,,ईदगाह पर पहली बार नगर निगम का ईद मिलन नहीं ,नेताओं का ईद मिलन ,शुभकामनाओं का कार्यक्रम नहीं ,, लेकिन मायूस होने की ज़रूरत कहाँ है , अल्लाह ने फिर भी करोडो करोड़ से हमे बेहतर रखा है ,, एक दूसरे की मदद का जज़्बा रखा है ,हम महफूज़ है ,हम एक दूसरे के मदद का जज़्बा है ,,घरों में ही सही ,अल्लाह ने उसकी इबादत की तो हमे मोहलत दी है ,,अल्लाह के इबादतघरों के दरवाज़े अगर बंद है तो ,तो अल्लाह ने घरों को भी तो इबादतघर बनाया है , लोगों में जहाँ नफरत का भाव था ,जहाँ एक दूसरे को नीचा दिखाने की हिमाक़त थी ,उनमे ,एक दूसरे की मदद का जज़्बा ,बीमारी , परेशानी से मिलकर लड़ने की ताक़त तो हमे मिली है ,,हमने एक दूसरे की मदद खूब दिल खोल कर की है ,,,कोरोना के संकट के बाद भी एहतियात के साथ खूब एक दूसरे को मदद , पहुंचाई है ,सभी ने दिल खोलकर दिल फरियादी की है ,लेकिन फिर भी कफ्यू में फंसे मेरे भाइ , मेरी बहने कैसे ईद मनाएंगी ,इसका गम खाये जा रहा है ,,खुद आज अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष आबिद कागज़ी ,,कोटा शहर क़ाज़ी और हमारी उपस्थिति इन हालातों के तब्सरे और बेबसी पर ,सभी के आंसू निकल ,पढ़े लेकिन अल्लाह हम गुनागरों को माफ़ करने वाला है ,फिर से नया सवेरा ,नई सुबह होगी फिर से हम मिलजुलकर एक दूसरे के साथ खुशियां बांटेंगे बस ,,अल्लाह की हिदायत की एडवाइज़री का लोकडाउन हम शत प्रतिशत पालन करने की कोशिशों में आज से अभी से जुट जाए ,और वोह हमदर्दी के जज़्बे से शुरआत करे ,फराखदिली दिखाए ,ज़रूरतमंदों के मददगार बने ,,खुशियां अकेले नहीं ,,जो लोग गम में है ,जो लोग तकलीफ में है उनके साथ मिलकर हम ईद के इस तोहफे की खुशियों को बांटे ,,इंशा अल्लाह हमे मुआफ करेगा ,इस ईद में हम एहतियाती खुशियों के साथ है तो क्या ,अगली फिर ईद आएगी ,फिर त्यौहार आएंगे खुशियों के साथ फिर मिलना होगा ,,दुआ कीजिये अल्लाह इस बवा , इस बीमारी के अज़ाब से ,हमे महफूज़ रखे ,,फिर से वही खुशहाली ,वही बाज़ारों की रोक ,वही फैक्ट्रियों की चिमनिया उत्पादन उगले ,, सभी के चेहरे पर खौफ का वातावरण हठकर खुशियों का , उम्मीदों का ,कामयाबी का माहौल है ,ईद किसी भी हो ,ईद है तो है ,,इसीलिए ईद मुबारक है तो है ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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