एक नया अलिखित क़ानून ,,किसी भी अख़बार की पी डी एफ फ़ाइल ,,वाट्सअप ग्रुप पर
डालना अपराध है वोह भी डालने वाले के खिलाफ नहीं , एडमिन के खिलाफ अपराध है
,, अजीब बात है न ,,कई छोटे ,मंझोले समाचार पत्र ,नियमित रूप से ,,अपनी पी
डी एफ फ़ाइल स्वेच्छिक तरीके से खुद ही ,ग्रुप्स में डाल रहे है ,, देश
में चमत्कारिक विज्ञापन प्रतिषेध अधिनियम के उलंग्घन में ,,मर्दाना ताक़त
,बाल उगाना ,,गंभीर लाइलाज बिमारियों के इलाज के विज्ञापन छापना अपराध है,
गंभीर अपराध है ,बाबाओं के तंत्र मंत्र के विज्ञापन देना
, प्रसारित करना अपराध है ,इस मामले में तो अभी तक कोई प्रकाशक गिरफ्तार
नहीं हुआ ,हाँ इन विज्ञापनों से लोग ठगी का शिकार ज़रूर होते है ,,,खेर यह
बात तो अलग हुई ,लेकिन भारत के क़ानून में अगर ,कॉपी राइट एक्ट के तहत किसी
का पंजीयन है तो उसका प्रकाशन अपराध है ,प्रसारण नहीं ,,,,,वैसे भी अधिकतम
,डिजिटल एडिशन्स के न तो विधिक प्रावधान के तहत घोषणा पत्र भरे गए है ,,
संबंधित प्रकाशित होने वाले जिला कलेक्टर के समक्ष ,,उसकी जानकारी ,घोषणा
पत्र है ,,फिर भी अगर है भी तो ,,कॉपी राइट कुछ का है ही नहीं ,कॉपी राइट
में उस नाम से व्यवसाय करना ,उसे खुद का बता कर प्रकाशित करना ,,या
प्रकाशित करना अपराध है , लेकिन प्रसारण करना अपराध नहीं ,जैसे एक दैनिक
अख़बार एक व्यक्ति के पास है , वोह उस अखबार को दूसरे व्यक्ति को पढ़ने के
लिए अगर देता है तो अपराध की श्रेणी में नहीं है ,,इसी तरह से यह क़ानून
कोनसा है ,किस क़ानून के तहत कार्यवाही होगी ,वोह क़ानून ,उसकी धाराएं भी
प्रकाशित प्रसारित होना चाहिए ,सिर्फ कह दिया और बन गया क़ानून ऐसा तो इस
भारत के लोकतंत्र में नहीं है ,फिर छोटे मंझोले समाचार पत्र भी तो अपनी
अख़बार फाइलें ,,सभी ग्रुप्स में स्वेच्छा से डाल रहे है ,,अख़बार की प्रसारण
संख्या कभी भी पी डी एफ फ़ाइल से प्रभावित नहीं हो सकती ,,क्योंकि प्रिंट
मीडिया का अपना विशिष्ठ महत्व है ,उसकी खबरे हर शख्स भौतिक रुप से अख़बार
में ही पढ़ना चाहता है , पी डी एफ फ़ाइल तो सरसरी होती है ,,उससे कोई फ़र्क़
नहीं पढ़ता ,,,अख़बारों का प्रकाशन बढ़ना चाहिए ,उनका वितरण होना चाहिए
,,अधिकतम लोग उसके ग्राहक हों ,क्योंकि अखबारों की कमाई होगी तभी तो उसमे
काम कर रहे रिपोर्टर्स ,सम्पादकों को ,प्रिंट करने वाले ,विज्ञापन वालों को
,वेतन सही समय पर मिलेगा और ऐसा होगा तभी तो ,रोज़ की खबरे रोज़ हमे घर बैठे
मिलती रहेंगी इसलिए ,अख़बारों को ,रिपोर्टरर्स ,को ,सम्पादकों को जनउपयोगी
खबरों के प्रकाशन पर भी ध्यान देना होगा ,,ताकि लोग ,,लाइन लगाकर ऐसे
अख़बारों की खबरे पढ़ने के लिए खरीद कर उत्सुक रहे ,विज्ञापनदाता ऐसे अख़बारों
में अपने विज्ञापन छपवाकर अपने संस्थान की बिक्री बढ़ाये ,,,ऐसा होना अब इस
काल में ज़रूरी हो गया है ,,क्योंकि अख़बार वितरक भी इस रोज़गार से लगे है
,उनके रोज़गार को भी धक्का लग रहा है ,मल्टी स्टोरी में बैठ कर ,खुद को
दुनिया से अलग थलग कर ,,कोरोना वाइरस से शायद आप बच जाए लेकिन आपकी
संवेदनाये ,,आपकी समाज ,के प्रति ज़िम्मेदारियों से आप बच नहीं सकते
,,,,वैसे भी अखबारों में कोरोना वाइरस नहीं ,यह पूरी तरह सुरक्षित है ,, यह
साबित भी हो चूका है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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