*कभी सोचा नहीं था ऐसे भी दिन आएँगें*
*छुट्टियाँ तो होंगी पर मना नहीं पाएँगे* 🛳️
*आइसक्रीम का मौसम होगा पर खा नहीं पाएँगे*🍦
*रास्ते खुले होंगे पर कहीं जा नहीं पाएँगे* 🛤️
*जो दूर रह गए उन्हें बुला नहीं पाएँगे*🙅🏼♀️
*और जो पास हैं उनसे हाथ भी मिला नहीं पाएँगे*🤝
*जो घर लौटने की राह देखते थे वो घर में ही बंद हो जाएँगे*🏢
*जिनके साथ वक़्त बिताने को तरसते थे उनसे भी ऊब जाएँगें*😏
*क्या है तारीख़ कौन सा वार ये भी भूल जाएँगे*
*कैलेंडर हो जाएँगें बेमानी बस यूँ ही दिन-रात बिताएँगे*📅
*साफ़ हो जाएगी हवा पर चैन की साँस न ले पाएँगे*😷
*नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट, चेहरे मास्क से ढक जाएँगें*😷
*जो ख़ुद को समझते थे बादशाह वो मदद को हाथ फैलाएँगे* 🖐️
*क्या सोचा था कभी ऐसे दिन भी आएंगे*🙏🙏🌹
*छुट्टियाँ तो होंगी पर मना नहीं पाएँगे* 🛳️
*आइसक्रीम का मौसम होगा पर खा नहीं पाएँगे*🍦
*रास्ते खुले होंगे पर कहीं जा नहीं पाएँगे* 🛤️
*जो दूर रह गए उन्हें बुला नहीं पाएँगे*🙅🏼♀️
*और जो पास हैं उनसे हाथ भी मिला नहीं पाएँगे*🤝
*जो घर लौटने की राह देखते थे वो घर में ही बंद हो जाएँगे*🏢
*जिनके साथ वक़्त बिताने को तरसते थे उनसे भी ऊब जाएँगें*😏
*क्या है तारीख़ कौन सा वार ये भी भूल जाएँगे*
*कैलेंडर हो जाएँगें बेमानी बस यूँ ही दिन-रात बिताएँगे*📅
*साफ़ हो जाएगी हवा पर चैन की साँस न ले पाएँगे*😷
*नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट, चेहरे मास्क से ढक जाएँगें*😷
*जो ख़ुद को समझते थे बादशाह वो मदद को हाथ फैलाएँगे* 🖐️
*क्या सोचा था कभी ऐसे दिन भी आएंगे*🙏🙏🌹

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