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01 मई 2020

नितीश कुमार से अपने माँ बाप से कोसों दूर रह रहे कोटा कोचिंग के बच्चों के लिए संवेदनशील सोच के बारे में ख़्वाबों में नहीं सोचना चाहिए

जिसका मुख्यधर्म ,,सिर्फ जोड़तोड़ कर ,,कभी इधर ,कभी उधर कर,, सिर्फ कुर्सी बचाये रखना हो ,,ऐसे मुख्यमंत्री बने व्यक्ति नितीश कुमार से अपने माँ बाप से कोसों दूर रह रहे कोटा कोचिंग के बच्चों के लिए संवेदनशील सोच के बारे में ख़्वाबों में नहीं सोचना चाहिए ,,ताज्जुब है ,भाजपा के समर्थन के बावजूद जब बच्ची का दर्द बिहार के भाजपा विधायक ने जाना है ,,और कोसों दूर से अपने बच्ची को वोह लेकर गए है ,,इसके बावजूद भी एक हज़ार से भी ज़्यादा कोटा में अपने माँ बाप की याद में सिसक रहे छात्र छात्राओं के बारे में ,केंद्र ने भी कोई मेंडेट जारी कर व्यवस्था नहीं की है ,,,कोटा में एक हज़ार से भी ज़्यादा छात्र सिर्फ अपने आंसू पी रहे है ,सीसक रहे है ,उनके माता पिता रोज़ सैकड़ों फोन कोटा , राजस्थान के प्रभावी लोगों को करके ,इस मुसीबत से छुटकारे का फार्मूला तलाश रहे है ,नितीश के लिए तो उनके दिलों में नफरत है ,लेकिन अपने बच्चों को भी वोह यूँ तड़पता नहीं छोड़ सकते ,,इस वक़्त सच में बिहार को , बिहारी लोगों को लालू यादव की संवेदनशीलता ,बिहारियों के प्रति प्यार का जज़्बा ज़रूर ज्यादा आता होगा ,आज अगर लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री होते ,तो यक़ीनन वोह चाहे अलग से ट्रेन चलवाते ,चाहे बसें भिजवाते ,चाहे किराये का हवाईजहाज़ भिजवाते ,लेकिन वोह कोटा में अपने माँ बाप की याद में डरे सहमे ,सिसकते बच्चों को ज़रूर ले जाते ,,नितीश कुमार तो परिवार वाले है ,,वोह तो गृहस्थाश्रम वाले है ,फिर भी उन्हें बच्चों के प्रति संवेदना नहीं है ,,इससे बढ़िया ,बेहतर तो योगी जी महाराज है ,,जो खुद तो सन्यासी है ,परिवार से अलग थलग है ,लेकिन उन्होंने ,,उत्तर प्रदेश के कोटा में रह रहे बच्चों का दर्द जाना ,और लाख विरोध के बावजूद भी ,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सलाह पर उत्तरप्रदेश की सैकड़ों बसें भेजीं ,बच्चों को बढे प्यार , दुलार से लेजाकर ,उनके माँ बाप के सुपुर्द किया ,,शायद यही राजधर्म है ,जो नितीश कुमार जैसे संवेदनाविहीन ,बच्चों की सिसकियों के प्रति क्रूर के पास शायद हरगिज़ ,हरगिज़ नहीं है ,,वोह तो भला हो ,,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जो वोह लगातार कोटा के कोचिंग सहित राजस्थान में रह रहे बिहार के बच्चों के लिए संन्घर्ष कर रहे है ,,कोटा इन बच्चों की महमाननवाज़ी में है लेकिन ज़रा सोचो देश भर के हज़ारों बच्चे अपने अपने घर जा चुके है ,सिर्फ बिहार और कुछेक बच्चे खाली पढ़े हॉस्टलों में है ,एक तरफ उनके ऊपर कोरोना वाइरस का दबाव ,लोकडाउन की बंदिशें ,,खान पान की अव्यवस्था और दूसरी तरफ ,अपने ही माँ बाप से इस संकट की घडी में भी सिर्फ उनके मुख्यमंत्री की हठधर्मिता के कारण बिछड़े रहने का गम क्या होगा ,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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