रामगंजमंडी फेसबुक Live 6 pm
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अपने जख्मों को आईना बनाया मैंने
आपको हंसता हुआ चेहरा दिखाने के लिए ।
इतना भी आसान नहीं है खुद को तमाशा बनाना
सवा सेर का कलेजा चाहिए दुनिया को हंसाने के लिए ।।
जी हां हम बात कर रहे है राष्ट्रीय कवि अर्जुन अल्हड़ साहब की।
अर्जुन अल्हड़
रामगंजमंडी उपखण्ड क्षेत्र के चेचट जिला,कोटा (राज.) के रहने वाले है । आपने देश भर के लब्धप्रतिष्ठित 800 से अधिक मंचो पर 10 वर्षो से अनवरत हास्य व्यंग्य एवम वीर रस की कविताओं के काव्यपाठ के माध्यम से श्रोताओं को हंसाने गुदगुदाने एवम राष्ट्रप्रेम की भावना भरने का भरपूर प्रयास किया है।
देशभर की अनेकों साहित्य संस्थाओं ने अल्हड़ सहाब को सम्मानित किया है।
अल्हड़ साहब ने बताया की पहले खूब संघर्ष किया आभावो में बचपना बीता ,,,,,बसों में आइसक्रीम भी बेची ,,,,,,,,,,, 10 साल पेंटिंग का कार्य भी किया मजदूरी भी की और पढ़ाई भी की किंतु आभावो के सामने पढ़ाई को समर्पित करते हुए वरिष्ठ उपाध्याय तक शिक्षा प्राप्त की।
अल्हड़ आगे बताते है कि जब 2005 में फलोदी माता के मेले में पेंटिंग का काम करने गया तो वहां पहली बार कवि सम्मेलन सुना और उसके बाद मेरी इच्छा हुई कि यार ये तो मैं भी कर सकता हूँ ,,,,,फिर क्या था 2009 में पहला मंच कवि जगदीश जी झालावाडी के संचालन में मनोहरथाना में किया जहां श्रोताओ ने तीन बार वन्स मोर के साथ सुना ,,,,,
फिर उसके बाद से मां सरस्वती की ऐसी कृपा हुई कि कभी पीछे मुड़कर नही देखना पड़ा ,,,,,,,,
अल्हड़ को बस एक ही अफसोस है जीवन मे की काश आज पिताजी और मां होती तो ,,,,,,,,,,,,,,😢😢😢😢
तो सुनिए ओर जुड़िये फेसबुक live 18 अप्रेल 2020 यानी आज शाम 6 pm पर नीचे लिंक पर जाकर
https://www.facebook.com/arjun.alhad
वीरेंद्र जैन-साबिर खान
रामगंमण्डी,कोटा
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अपने जख्मों को आईना बनाया मैंने
आपको हंसता हुआ चेहरा दिखाने के लिए ।
इतना भी आसान नहीं है खुद को तमाशा बनाना
सवा सेर का कलेजा चाहिए दुनिया को हंसाने के लिए ।।
जी हां हम बात कर रहे है राष्ट्रीय कवि अर्जुन अल्हड़ साहब की।
अर्जुन अल्हड़
रामगंजमंडी उपखण्ड क्षेत्र के चेचट जिला,कोटा (राज.) के रहने वाले है । आपने देश भर के लब्धप्रतिष्ठित 800 से अधिक मंचो पर 10 वर्षो से अनवरत हास्य व्यंग्य एवम वीर रस की कविताओं के काव्यपाठ के माध्यम से श्रोताओं को हंसाने गुदगुदाने एवम राष्ट्रप्रेम की भावना भरने का भरपूर प्रयास किया है।
देशभर की अनेकों साहित्य संस्थाओं ने अल्हड़ सहाब को सम्मानित किया है।
अल्हड़ साहब ने बताया की पहले खूब संघर्ष किया आभावो में बचपना बीता ,,,,,बसों में आइसक्रीम भी बेची ,,,,,,,,,,, 10 साल पेंटिंग का कार्य भी किया मजदूरी भी की और पढ़ाई भी की किंतु आभावो के सामने पढ़ाई को समर्पित करते हुए वरिष्ठ उपाध्याय तक शिक्षा प्राप्त की।
अल्हड़ आगे बताते है कि जब 2005 में फलोदी माता के मेले में पेंटिंग का काम करने गया तो वहां पहली बार कवि सम्मेलन सुना और उसके बाद मेरी इच्छा हुई कि यार ये तो मैं भी कर सकता हूँ ,,,,,फिर क्या था 2009 में पहला मंच कवि जगदीश जी झालावाडी के संचालन में मनोहरथाना में किया जहां श्रोताओ ने तीन बार वन्स मोर के साथ सुना ,,,,,
फिर उसके बाद से मां सरस्वती की ऐसी कृपा हुई कि कभी पीछे मुड़कर नही देखना पड़ा ,,,,,,,,
अल्हड़ को बस एक ही अफसोस है जीवन मे की काश आज पिताजी और मां होती तो ,,,,,,,,,,,,,,😢😢😢😢
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रामगंमण्डी,कोटा
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