(अनिल सक्सेना/ललकार)
कई पत्रकारों की राज्यसभा सांसद बनने की इच्छा है लेकिन क्या पत्रकारिता धर्म के खिलाफ जाकर अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करना ठीक है ?
अब तक के लगभग ढाई दशक के पत्रकारिता के कार्यकाल में यही सीखा कि सत्ता पक्ष से सवाल पूछना हमारी पहली जिम्मेदारी है। लगभग एक दशक पूर्व दिल्ली में एक दैनिक अखबार में काम करते हुए काफी कुछ सीखने को मिला। एक न्यूज चैनल का सीओओ बनने पर दिल्ली की पत्रकारिता के और करीब आया। पत्रकार समाज का ही अंग है और वो किसी ना किसी से प्रभावित भी रहता है और उस प्रभाव का थोड़ा बहुत असर लेखनी पर पड़ ही जाता है । प्रभाव का यह थोड़ा बहुत असर तो ठीक है लेकिन जैसे ही एकतरफा विरोध की रिपोर्टिंग होती है वैसे ही वह पत्रकारिता रह ही नही जाती है।
अर्णब गोस्वामी, पत्रकारिता में एक चर्चित नाम, जिस पर कांग्रेस के विभिन्न पदाधिकारियों के द्वारा पुलिस में मामले दर्ज कराए जा रहे है और मामले दर्ज भी क्यों नही कराए जाए आखिर कांग्रेसी आलाकमान के सामने असली समर्थक जो बनना है। अपने नेता के खिलाफ बोलने पर आहत भी कांग्रेसी हुए है और इसलिए भी उनका विरोध जायज ही माना जाएगा ।
अभी देश में कोरोना संकटकाल चल रहा है, देश का आम आदमी कई परेशानियों का सामना कर रहा है । निम्न तबके , निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय परिवारों के समक्ष आजीविका का संकट मुंह फाड़े खड़ा हुआ है। देश के इन वर्गो को अपने परिवारों की चिंता है, इस संकट से उबरने की चिंता है, इस बीमारी से छुटकारा कैसे मिले ,उसकी चिंता है । आम आदमी इस संकटकाल में कोई राजनीति नही चाहता है । देश का आम आदमी अपनी परेशानियों को भूल कर कोरोना को हराने के लिए अपनी ओर से सरकार के साथ लगा हुआ है। यह तय है कि हमारा हिंदुस्तान कोरोना से जीतेगा भी और पहले नम्बर पर उभरेगा भी।
इस संकटकाल में पालघर में संतो की हत्या की जितनी निंदा की जाए, कम है। मैं भी इस घटना से बहुत आहत हुआ। पुलिस और जांच एजेंसी अपना काम कर रही है । महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार से सवाल पूछने का हक भी बनता है और मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे से सवाल पूछना भी चाहिए । मैंने अर्णब गोस्वामी का सवाल करते हुए का एपिसोड भी देखा, एक पत्रकार को सवाल पूछने का हक भी है । इस पर मेरा सवाल यह है कि महाराष्ट्र में सरकार किसकी है ? कौनसे दल का मुख्यमंत्री है ? सत्ता किसकी है ? संतो की हत्या पर सवाल किससे पूछे जाने चाहिए ? महाराष्ट्र में घटना हुई तो क्या महाराष्ट्र की शिवसेना की सरकार से सवाल पूछे नही जाने चाहिए ?
पत्रकार का सत्ता पक्ष से सवाल बनता भी है, भले ही महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार से हो या देश की सरकार से । विपक्ष से भी उसकी भूमिका पर सवाल किये जा सकते है लेकिन सत्ता पक्ष को छोड़कर सिर्फ विपक्ष से ही सवाल और फिर उसकी नेता पर सवाल का तरीका इतना तीखा, जैसे व्यक्तिगत लड़ाई हो। यह समझ से परे है। लेकिन दूसरी ओर एक पत्रकार पर हमले को भी बर्दाश्त नही किया जा सकता है।
एक आमजन के नाते मेरा देश के चारों स्तम्भों से आग्रह है कि हमें राजनीति नही चाहिए हमें कोरोना से छुटकारा चाहिए, परेशानियों से निजात चाहिए । कोरोना से मुक्ति के लिए हम आमजन परेशानी उठाकर सरकार के निर्देशों को मान भी रहें है तो इस संकटकाल में हिंदुस्तान पूछता है कि ये राजनीति क्यों और कैसी ?
“जय हिंदुस्तान“
“हम स्वस्थ, परिवार स्वस्थ, देशवासी स्वस्थ”
(लेखक राजस्थान के सबसे पुराने सन् 1949 से लगातार प्रकाशित साप्ताहिक अखबार “ललकार” के संपादक है)

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