यह न मेरी है ,न तेरी है ,,खुदा ने उतारी है ,तुम्हारी रोटी ,तुम्हारे
दस्तरख्वान पर ,, यह अल्लाह ,ईश्वर का संदेश है ,लेकिन ,अफ़सोस तब हुआ जब
,इस रोटी को भी ,,पार्टी के नेताओं जोड़ दिया ,,,राशन सामग्री ,भूखे के लिए
,ज़रूरत मंद लिए ,सिर्फ ज़रूरत है , पेट भरने का ज़रिया है ,यह हिन्दू ,यह
मुसलमान ,यह कांग्रेस ,यह भाजपा ,यह समाजवादी ,यह जनता दल ,शिवसेना ,नहीं
है ,ऐसा न हो ,क़ुदरत ,इन बातों से ,ओर ज़्यादा से भी ज़्यादा नाराज़ हो जाए
,अपनी गलतियों के लिए तोबा करो ,प्रायश्चित करो ,, वर्ना कहते ,थे कहते है
,,कह रहे है ,ईश्वर की लाठी में आवाज़ नहीं होती ,,,अख्तर
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