यह ख्वाजा का दरबार है यहां , नसीब वालों का ही बुलावा होता है , वर्ना अब
तो ज़ियारत चादरपोशी में भी ऐसा लगता है , लोगों के पेरो में है मेहन्दी ओर
एजेंट उनकी तरफ से ख्वाजा की ज़ियारत दुआओं की दरकार के साथ ऐवजी पेश है ,
कैसे होंगी मुल्क में इस टुच्ची सियासत गिरी की , मुल्क में अमन सुकून ,
खुशहाली की दुआएं क़ुबूल , ऐवजी चादरपोशी का सेवकों द्वारा खुद को इस्लाम ,
अमन , सुकून ,का सेवक साबित कर , बहिष्कार भी होना चाहिए , अख्तर

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