कोटा वलभबाड़ी क्षेत्र में स्थित ,, दरगाह बाबा जंगलीशाह उर्फ़ अहमद अली शाह
का आस्ताना ,,लाखों लोगों की आस्थाओं का प्रतीक ,,बना है ,यहाँ रोज़ सैकड़ों
ज़ायरीन ,फातिहा पढ़कर ,अपने हक़ में दुआओं की इल्तिजा करते है ,,जिनकी दुआए
पूरी होती है वोह चादर पेश करते है ,तो अपने अपने तकोटा वलभबाड़ी क्षेत्र
में स्थित ,, दरगाह बाबा जंगलीशाह उर्फ़ अहमद अली शाह का आस्ताना ,,लाखों
लोगों की आस्थाओं का प्रतीक ,,बना है ,यहाँ रोरीके से अपनी मन्नत ,,मुरादें
पूरी करती है ,,जी हाँ दोस्तों यह आस्ताना ,,वक़्फ़ सम्पत्ति भवँर शाह तकिया
वलभबाड़ी में स्थित है ,जब बाबा अहमद अली शाह के पर्दा लेने के बाद उनके
मुरीदों ने इस दरगाह का निर्माण किया तो कमोबेश इस क्षेत्र में घना जंगल
होने के कारण इसकी पहचान ज़ायरीनों में बाबा जंगलीशाह दरगाह के नाम से भी
प्रचारित हो गयी ,, बाबा अहमद अली शाह कोटा प्रवास में इसी क्षेत्र में
रहकर अपनी इबादत करते थे ,वोह लगातार पैदल हज यात्रा पर जाकर अपने मुरीदों
के लिए दुआएं माँगा करते थे ,,उनके मुरीद खासकर वर्तमान खिदमतगार गददी नशीन
जानशीन हाजी अज़ीज़ जावा के वालिद ,,शकूर अहमद बाबा साहब के इशारों पर उनकी
खिदमत के लिए हमेशा तैयार रहते थे ,,बाबा साहब 12 से 14 मार्च तक 75 वां
स्वर्णजयंती उर्स कार्यक्रम होने जा रहा है ,,गद्दी नशीन जानशीन हाजी अज़ीज़
जावा ने इस उर्स के सफल संचालन के लिए गठित कमेटी में ज़फर अली ठेकेदार को
अध्यक्ष बनाया है ,उर्स की तैयारी ज़ोरों पर चल रही है ,, क़व्वाली के लिए
मशहूर क़व्वाल ,, मुशायरे के लिए नामचीन ,सूफी शायरों को इस उर्स के सफल
संचालन के लिए तय कर लिया गया है ,बाबा अहमद अली शाह उर्फ़ जंगलीशाह बाबा
का यह आस्थाना ज़ायरीनों की एक उम्मीद ,है जहाँ मन्नते मानकर ज़ायरीन अपनी
दुआएं क़ुबूल करवाने के लिए अर्ज़ी लगाते है , और मुरादें पूरी होने पर दरगाह
पर चादर पेश करते है ,,मुरादें पूरी करते है ,,,बाबा अहमद अली शाह का
रूहानी रुतबा आज भी क़ायम है ,, जो मुरीद देखते है ,,वोह जानते है ,,बाबा
जंगलीशाह साहब के यहाँ जो भी मन्नतें मांगता है ,, उनकी मन्नत मुरादें
पूरी होती है ,,ऐसे ज़ायरीन और मुराद मांगने वालों के लिए बाबा साहब के इस
मज़ार के अहमियत ,बमुक़ाबिल सूफियाना सरकार के है ,,जहां जाकर हर पीड़ित
परेशान अपनी परेशानी रखता और वोह सुकून से परेशानी मुक्त हो जाता है ,ऐसे
में इन श्रद्धालुओं ,ज़ायरीनों की निगाह में बाबा साहब की इस दरगाह की छवि
,, महरबान की हो गयी है ,,लेकिन बाबा साहब का जलाल ,,गुस्सा भी लोगों ने
देखा है ,,,कई श्रद्धालु या इनके मज़ार ,दरगाह पर पहुंचकर इनकी उपेक्षा
मंज़ूर नहीं ,,,,सभी ने देखा ,है ,,,जिन पर बाबा साहब उपेक्षा या लापरवाही
के कारण नाराज़ हुए उनके ऊँचे ऊँचे ओहदे खत्म हुए वोह ज़मीन पर आ गए ,,कई लोग
अपने कारोबार में नुकसान उठा बैठे ,तो कई लोग सियासत में सभी कुछ ऐश औ
आराम खो बैठे है ,कोई लोग तकलीफों ,सार्वजनिक अपमान के दौर से गुज़रे है तो
,कई लोगों द्वारा प्रायश्चित कर ,,माफ़ी मांगने पर उन्हें माफ़ी भी मिली है
और वोह फिर से अपने मुक़ाम पर स्थापित भी हुए है ,,,इनकी सम्पत्ति के साथ
भी छेड़छाड़ ,खिलवाड़ ,बुज़ुर्गों के घरों पर अतिक्रमण भी इन्हे बर्दाश्त नहीं
,,ऐसे लोगों को भी कड़वा सबक़ मिला है यह सब कई श्रद्धालुओं ने अपनी आँखों
से देखा है ,,इधर बाबा साहब की उपेक्षा ,,और उधर कुछ लम्हों बाद है ऐसे
लोगों की खिलाफ अख़बारों में अपमानकारी खबरों की सुर्खियां देखने को मिलती
,है ऐसे लोग ऐश ओ आराम ,इज़्ज़त के ओहदों से ,,ज़मीन पर गिरते हुए देखे गए है
,, चौराहों , सड़कों पर अखबार की सुर्खियों में बेइज़्ज़त होते देखा है , के
उदाहरण है , माफी , तलाफ़ी के बाद ऐसे लोगों को फिर से खुशहाल इज़्ज़त बख्शीश
मामले में बहाल देखा है ,,यह आस्थाओं का प्रश्न है ,,कुछ लोग , मानते है तो
कुछ लोग नहीं मानते ,, लेकिन बाबा साहब का यह आखरी मुक़ाम ,है ,, और यहाँ
के गददी नशीन ,,जानशीन हाजी अज़ीज़ जावा ने ,इस परिसर क्षेत्र को साफसुथरा
रखकर ,,निर्मित करवाया ,जबकि पास ही पढ़ी ज़मीन पर ,अपने प्रयासों से ,शांति
धारीवाल ,,स्वर्गीय अबरार हुसैन ,नवाब दुर्रू मियां के विधायक सांसद कोष
,,नगरविकास न्यास ,नगर निगम से एक महफ़िल खाने का निर्माण करवाया ,,,गरीब
लोगों के कार्यक्रम ,शादी ब्याह के लिए सिर्फ ,सफाई के तीन सो रूपये ,के
पेटे यह महफ़िल खाना लोगों के लिए एक उम्मीद था ,फिर नए वक़्फ़ प्रबंधन के
दौरान इस महफील खाने का मंत्री शांति कुमार धारीवाल के प्रयासों से
विस्तार हुआ ,फिर विस्तार हुआ ,, अब यह महफ़िल खाना ,कई शर्तों के साथ ,टेंट
खर्च सहित ,उम्मीद से ज़्यादा खर्चे किराए पर लोगों को दिया जाने लगा है ,,
यहाँ नियमित कार्यक्रम भी हो रहे है ,, वर्तमान में दरगाह परिसर अलग और
महफ़िल खाना वक़्फ़ के नियंत्रण में है ,इस परिसर में बाबा अहमद अली शाह के
उर्स के 75 सालों के दौरान कई सूफी बाबाओं की दरगाह भी निर्मित हो गयी है
,उनके उर्स भी इस परिसर में आयोजित होते है ,, अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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