मशहूर
शायर , इक़बाल का एक शायराना फलसफा ,,, हज़ारों साल ,,,नरगिस अपनी बेनूरी पे
रोती है ,,बढ़ी मुश्किलों में पैदा होता है ,चमन में दीदावर पैदा ,, जी हाँ
दोस्तों में बात कर रहा हूँ ,, मध्यप्रदेश ,सहित पूरे भारत देश में ,,
क़ौमी एकता का पैगाम देकर ,दलित ,,मुस्लिम ,अल्पसंख्यकों के विकास कल्याण ,
के मील का पत्थर बने ,,थिंक टेंक ,,स्वर्गीय एडवोकेट इब्राहीम कुरैशी साहिब
की ,जो मधयपदेश शासन में दिग्विजय सिंह मंत्री मंडल में ,मंत्री भी रहे
,,और फिर पुरे 12 साल तक ,,मध्य्प्रदेश शासन में ,केबिनेट मंत्री दर्जा
,अल्पसंख्यक आयोग के ,सर्वाधिक कार्यकाल तक चेयरमेन रहकर ,सर्वाधिक
अनुकरणीय ,,कार्य करने का इतिहास बनाने वाले चेयरमेन बने ,,वोह ,,मरते दम
तक क़ौमी एकता के पैगाम के प्रचार प्रसार में रहे ,, स्थिति यह रही के
बिमारी की हालत में ,चिकित्सकों द्वारा आराम की सलाह देने के बावजूद भी वोह
कांग्रेस के एक प्रत्याक्षी की प्रचार सभा में गए ,जहाँ उनका स्वास्थ्य
बिगड़ गया और आखिर में दिल्ली रेफर के बाद , सभी कोशिशें नाकामयाब हुई ,
क़ुदरत ने उन्हें हमसे छीन लिया ,,अल्लाह उन्हें ,जन्नत में आला मुक़ाम अता
फरमाए ,,आमीन ,सुम्मा आमीन ,,जी हाँ दोस्तों , स्वर्गीय इब्राहिम कुरैशी ,,
एक शेर दिल ,साफ़ गौ ,,इंसान , जो ,निर्भीक होकर ,निडरता से ,अपनी ही
पार्टी के नेताओं की आँखों में आँखें डाल कर ,दलित ,,अल्पसंख्यकों के हक़ के
लिए संघर्ष करते थे ,तार्किक सुझावों के साथ ,उन सुझावों के तहत
कल्याणकारी कार्ययोजनाओं को लागू भी करवाते थे ,,, कांग्रेस के प्रति
वफादारी ,कांग्रेस के प्रचार प्रसार को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए वोह कहते
थे ,,कांग्रेस ने मुझे अल्पसंख्यक विभाग का चेयरमेन ,, नेताओं की तारीफ
करने ,या उनकी जी हुज़ूरी के लिए नहीं बनाया ,,अदब का दायरा ,वफ़ादारी अलग है
,लेकिन कांग्रेस उनसे अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए सुझाव चाहती है ,
कांग्रेस उनसे अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे उत्पीड़न ,उसके निराकरण की
व्यवस्थाएं चाहती है ,इसीलिए वोह अपनी ज़िम्मेदारी निभाते है जहाँ
अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं पर ज़ुल्म होता है ,पक्षपात होता है , अन्याय होता
है ,, वोह सब ,एक रिपोर्ट के साथ ,,कल्याणकारी सुझावों को अमल में लाने ,
के लिए संबंधित नेताओं को दी जाती रही ,,जिनका क्रियान्वयन हुआ ,,
इब्राहीम कुरैशी की यही अदा थी ,यही खिदमतगारी थी ,के लोगों के दुआओं के
साथ ,दिग्विजय सिंह ने मध्य्प्रदेश मंत्रिमंडल में ,, इब्राहीम कुरैशी को
,,निर्वाचित विधायक नहीं होते पर भी उनकी क़ाबलियत के आधार पर मंत्रिमंडल
में जगह देकर ,, उन्हें मध्य्प्रदेश के लोगों की सेवा का मौक़ा दिया
,,,,इब्राहीम कुरेशी को बाद में ,उनकी सेवा की इच्छानुसार ,,मध्य्प्रदेश
सरकार में अल्सपंख्यक आयोग का चेयरमेन केबिनट मंत्री का दर्जा देकर बनाया
गया ,, इब्राहीम कुरैशी दो कार्यकाल दिग्विजय सिंह साथ और दो वर्ष उमा
भारती के मुख्यमंत्री रहने के बावजूद भी ,, अपने इस पद पर ,लोगों की पूर्ण
निष्ठां ,,ईमानदारी से खिदमत करते रहे ,,, इब्राहीम कुरैशी ने इनके
कार्यकाल में जेन समाज को अल्पसंख्यकों का सर्वप्रथम दर्जा दिलवाया ,, खुद
ने जेन समाज को अल्पसंख्यक कल्याण कार्य्रकम से जोड़ने के लिए अभियान
चलाया ,,मध्य्प्रदेश में जेन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिलवाकर
उन्होंने ,राजस्थान सहित पूरे भारत में जेन समाज को अल्पसंख्यक दर्जा
दिलवाकर कई कार्यक्रम आयोजित करवाए ,,खुद इब्राहीम कुरैशी ,जेन धर्म
ग्रंथों का अध्ययन करते ,, कार्यक्रमों में जय जिनेन्द्र की कल्याणकारी
कार्ययोजनाओं के माध्यम से सभी को सेवा भावी रूप से साक्षर भी करते
,,इब्राहिम कुरैशी की सिफारिशों पर मध्य्प्रदेश में मदरसा शिक्षा ,,वक़्फ़
आधुनिकीकरण , सर्वशिक्षा अभियान ,कोचिंग शिक्षा ,, दलित माइनोरिटी शिक्षा
कार्यक्रम ,स्वरोजगार योजनाए ,ऋण योजनाए ,वक़्फ़ सम्पत्तियों के रखरखाव के
लिए पंजीयन प्रणाली , पंद्रह सूत्रीय कल्याणकारी कार्यक्रमों की समीक्षा
,, उनकी क्रियान्विति शत प्रतिशत सुनिश्चित करना ,, जिला ,स्तर पर ,राज्य
स्तर पर क़ौमी एकता कार्यक्रमों का संचालन , प्रतिभाओं का सम्मान ,और ,इस
वर्ग के लोगों को उत्पीड़ित करने वाले प्रशासनिक अधिकारीयों ,,पार्टी
नेताओं ,,अन्य लोगों को ,नामज़द ,चिन्हित कर ,दंडित करवाने का मॉडल राज्य
बनवाया , जबकि इब्राहीम कुरैशी ने सभी राज्यों में तुलनात्मक अध्ययन कर
,,महाराष्ट्र ,आंध्रा ,दिल्ली ,,राजस्थान , ,तमिलनाडु ,केरल ,, बिहार ,,
सहित सभी राज्यों में इस मॉडल को लागू करवाने के लिए विस्तृत रिपोर्ट
,सुझाव बनाकर भेजे ,और आज राजस्थान सहित कई राज्यों में अल्पसंख्यक विकास
,अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का जो मॉडल ,है वोह इब्राहीम कुरैशी के सुझावों
का ही नतीजा है ,,, इब्राहिम कुरैशी , कहते थे ,पहले योजनाओं का अध्ययन
करो ,,उन्हें क्रियान्वित करने के लिए सुझाव तैयार करो ,,और जो काम उन्हें
दिया गया है उसे ज़िम्मेदारी से निभाने के लिए ,,अपने नेताओं ,ज़िम्मेदारों
की आँखों आँखे डालकर ,इन सुझावों को लागू करो ,अगर टालमटोल हो तो ज़रूरत
पढ़ने पर ,,अपने समाज के न्याय हक़ में थोड़ी टेढ़ी ऊँगली भी दिखाना पढ़े तो
दिखाओ ,, इब्राहीम कुरैशी नामचीन एडवोकेट थे , यूवा कार्यकाल में उन्होंने
स्वर्गीय इंद्रा गांधी की नेतृत्व में कांग्रेस के हक़ संघर्ष के लिए
ज़िम्मेदारी निभाई ,फिर राजीव गांधी के नेतृत्व ,,फिर श्रीमती सोनिया गांधी
के नेतृत्व में अपने सभी कर्तव्यों को निभाया ,, वोह कहते थे ,,पार्टी
उन्हें ज़िम्मेदार बनाती है ,,पार्टी उन्हें पद किसी चमचागिरी ,,चाप;लूसी या
तारीफ़ करने के लिए नहीं देती ,बल्कि पार्टी की ऐसे चुनिंदा लोगों को
ज़िम्मेदारी देकर उनसे उम्मीद हो जाती है ,के ऐसे लोग अपने समाज ,अपने वर्ग
का दायित्व निर्वहन करेंगे , उनकी दुःख तकलीफें पार्टी के नेताओं के समक्ष
उठाएंगे ,बजट पूर्व उनकी ज़रूरतें ,उनके साथ हो रहे अन्याय को खत्म कर उनकी
कल्याणकारी योजनाओं के लिए सुझाव देंगे ,और अगर कहीं ,लापरवाही पक्षपात हो
रहा है ,तो पार्टी के अंदर ही ,आतंरिक लोकत्रंत्र व्यवस्था के तहत वोह
,अपने समाज की ,अपने वर्ग की ,उन्हें जो ज़िम्मेदारी दी है ,उनकी आवाज़
उठाएंगे ,, इब्राहीम कुरैशी ने ,, आंध्रा ,,केरल ,,बिहार ,उत्तरप्रदेश
,,महाराष्ट्र ,,उड़ीसा ,पश्चिमी बंगाल ,,आसाम सहित कई राज्यों में
अल्पसंख्यकों के कांग्रेस से छिटक जाने का गहन अध्ययन किया ,, सुझाव दिए और
इनके सुझावों से फिर से इस क्षेत्र के लोगों में कांग्रेस के प्रति
विश्वास जाग्रत होने लगा था और इस वर्ग के वोटर कांग्रेस से जुड़ने लगे थे
,, साफगोई इब्राहीम कुरैशी की पहचान भी थी तो इन्हे कई कामयाबियों की
बुलंदी से ,चमचे ,,चापलूसों के मुक़ाबले अलग थलग भी कर देती थी ,लेकिन
उन्होंने चाहे राज्य सभा पद का टिकिट देते वक़्त पक्षपात की कार्यवाही हो
,,चाहे दूसरे और महत्वपूर्ण स्थानों पर ,,झोल हुआ हो ,, कुरैशी ने कभी
परवाह ही नहीं की ,वोह तो बस अपने कल्याणकारी कामकाज में ,व्यवस्थाओं
में जुटे रहे ,,एक चलता फिरता , अल्पसंख्यक कल्याण , अल्पसंख्यक सुझाव
,अल्पसंख्यक कार्यक्रमों ,जानकारियों का एन्साइक्लोपेडिया ,,संकटमोचक के
रूप में पहचान रखने वाले इब्राहीम कुरैशी ,अपने साथ पूरा दफ्तर लेकर चला
करते ,थे वोह इस मामले में रूचि रखने वालों को साक्षर भी किया करते थेः ,,,
मेरे भाई की तरह अज़ीज़ दोस्त बचपन के साथी वकील आबिद अब्बासी उनके दामाद
होने के नाते ,में भी उनके नज़दीक था ,वोह मेरे हम मिजाज़ थे ,, मेरे उनके
मध्य ,,गुरु द्रोणाचार्य और अर्जुन के गुरु चेले का रिश्ता तो नहीं था
,लेकिन मेने उनके गुर सीखने के लिए ,,एकलव्य की तरह उनसे गुरुदक्षणा ज़रूर
हांसिल कर ली थी ,इसीलिए उनकी अधिकतम जानकारियां ,अनुभव और टिप्स वोह मुझसे
शेयर किया करते थे ,,मुझे सिखाया करते थे ,, वोह कहते थे ,डरो मत दबो मत
,, अपनी बात ,अपने समाज के लोगों के हक़ संघर्ष के लिए , आँखों में आँखे
डालोगे , उनके कल्याणकारी कार्यक्र्म चलवाओगे ,,तो समाज में भी आपकी इज़्ज़त
होगी ,और आपको जिस नेतृत्व ने यह ज़िम्मेदारी दी है वोह भी समाज के लिए आपको
ज़िम्मेदार समझकर आपके सुझावों को लागू करेंगे ,ऐसा उनके कार्यकाल में हुआ
भी है ,,,,,,,,मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उनके कार्यकाल में इब्राहीम
कुरैशी की हर कार्ययोजना को लागू किया ,सक्षरता कार्यक्रम चलाये ,कोचिंग
व्यवस्थाओ के तहत किए प्रशासनिक अधिकारी बनवाये ,ज़रूरत पढ़ने पर इनके
कार्यकाल में इन्ही की सरकार के कलेक्टर ,एस पी ,जिनके खिलाफ आम लोगों के
साथ अन्याय ,अत्याचार ,,शोषण ,पक्षपात की शिकायते थी उन्हें ,आयोग के समक्ष
तलब कर उन्हें दंडित भी किया ,, इब्राहीम कुरेशी की ईमानदारी ,निष्पक्ष
कार्यशैली की ही दबंगता थी ,के जब मध्य्प्रदेश में सुश्री उमा भारती
मुख्यमंत्री बनी ,तब ,उन्होने पद का कार्यकाल संवैधानिक दर्जा होने पर
बकाया रहते हुए इस्तीफे की पेशकश की ,लेकिन इनकी ईमानदारी ,निष्पक्ष
कार्यशैली को देखकर ,,उमा भारती ने उनका इस्तीफा नहीं ,लिया उनकी
कार्यशैली ,,निष्पक्षता ,को देखकर खुद उमाभारती उनसे प्रभावित थी और राखी
धागे का संबंध सा बना लिया था ,,, , इब्राहीम कुरैशी ने अखिल भारतीय स्तर
पर ,दलित ,अल्पसंख्यक शिक्षा की राष्ट्रिय कार्यकारिणी गठित की ,आज भी
मध्य्प्रदेश में ,मदरसा शिक्षा ,स्कूल शिक्षा ,कोचिंग की तैयारियों के साथ
इनकी एजुकेशन सोसायटी बदस्तूर कामयाबी के साथ जारी है ,जो इनकी कार्यकारिणी
इनके युवा समाजसेवी कोंग्रेसी नेता ,भाई साजिद कुरैशी शानू भाई के
नेतृत्व में लोगों के लिए खिदमत कार्यों को अंजाम दे रही है ,,, ,
वर्तमान हालातों में स्वर्गीय इब्राहीम कुरेशी की जीवन शैली , बेबाकी ,
अपने लोगों से अपने लोगो के हक़ के काम दबंगता से करवाना प्रासंगिक
अनुकरणीय है , राजस्थान हो मध्य प्रदेश हो , यहां बजट पेश होना है ,
राजनीतिक नियुक्तियां होना है , हमारे विधायक , हमारे पार्टी के नेता ,
प्रतिनिधि , बजट के सुझाव दे , कार्यकर्ताओं को मां सम्मान , नियुक्तियों
में प्रतिनिधित्व की बात करे , वर्ना बजट आ जायेगा , हिस्सेदारी चली
जायेगी , हम तुम हाथ मलते राह जाएंगे , हमारे नेताओं को , हनुमान जी की तरह
उनकी शक्तियां याद दिलाना तो है , दिलाओगे ना , हक़ की बात करोगे ना ,
सुझाव दोगे , उपेक्षा को अपेक्षा की कसौटी पर खरा उतारोगे ना ,,,,,अख्तर
खान अकेला कोटा राजस्थान


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