भारत की राजधानी , दिल कही जाने वाली ,दिल्ली वालों की दिल्ली , ने देश के
सभी राजनितिक दलों को वर्तमान विधानसभा चुनावों में ,,राजधर्म का पाठ पढ़कर
स्तब्ध कर दिया है ,, वोटर के इस लोकतांत्रिक पाठ की प्रयोगशाला ने ,सभी
सियासी पार्टियों को ,चुनावी मुद्दों उनके कर्तव्यों , कार्यसम्पादन पर
सोचने को मजबूर किया है ,,दिल्ली के वोटर का क्षेत्रीय दल के सत्ता पक्ष के
खिलाफ ,, सभी राष्ट्रिय सियासी दलों की उठापठक , धुआँधार ,वी आइ पी ,
प्रचार ,,मीडिया की सरगर्मियों के बावजूद जो नतीजे आये है ,उसने ,भारत की
राजनीतिविज्ञान के लिए एक नए रिसर्च ,नए शोध , नई ज़रूरत ,नई कार्यशैली की
तरफ इशारा किया है , सभी जानते है ,चाणक्य निति ,शासन चलाने की एक मात्र
ऐसी विधि है ,जिसमे राजा को प्रजा से लग थलग कर ,, प्रजा को विभिन्न
मुद्दों पर ,विभिन्न ज़रूरतों पर , ऐसे दस्तावेज ,ऐसी जानकारियां ,ऐसी
व्यवस्थाएं जुटाने के लिए व्यस्त कर दिया जाता है , के आम आदमी ,, घर ,
परिवार ,अपनी ज़रूरतों और बेहिसाब गैरज़रूरी मुद्दों के प्रती बहस में शामिल
रहे ,शासन को आम जनता के लिए क्या करना चाहिए , इस पर आमजनता विचार न कर
पाए अगर विचार भी हो तो खौफ ,व्यवस्तताओं के चलते वोह खामोश रहे ,,बस शासन
चलता है राजधर्म भी नहीं निभाया जाता ,, मुद्दों पर डिमांड भी नहीं होती
,,, सियासी दिखावटी ,नूरा कुश्ती वाले प्रदर्शन ,रेलिया ,धरने और चुनाव में
तू मेरी मत कह , में तेरी नहीं कहूं ,,की तर्ज़ पर ,, वही कभी तुम ,कभी में
,और जनता जाए भाड़ में के सिस्टम पर ,, कार्यकर्ता जाए भाड़ ,में पदाधिकारी
जाए भाड़ में , सत्ता तक पहुंचाने वाले संगठन के ज़िम्मेदार जाए भाड़ में की
निति पर ,शासन चलाओ ,मज़े करो , मनमानियां करो , फिर चुनाव ,फिर विज्ञापन
,,भटके हुए ,मुद्दे भड़काऊ मुद्दे ,,भूख ,गरीबी ,रोज़ी ,रोटी ,लाचारी
,,क़ानून व्यवस्था एक तरफ ,, पेड़ न्यूज़ पत्रकार वर्करों की चीख पुकार ,,
पाकिस्तान ,हिंदुस्तान ,हिन्दू , मुस्लिम ,आतंकवाद ,, मोब्लिचिंग ,,लव
जेहाद , मंदिर ,मस्जिद , मुद्दे फिर वही भटकी हुई सरकार और फिर वही देश का
संचालन राजधर्म को तहस नहस करने वालों के हाथों में ,जनता वोटर बनकर भी फिर
वही ठगी हुई ,,फिर वही समस्याग्रस्त , लम्बे लम्बे चुनावी घोषणापत्र
,,चुनावी वायदे कचरा पात्र में लोकतंत्र पर फिर ब्युजरक्रेसी का क़ब्ज़ा ,,
वही जनता फिर दर्द में ,, लेकिन दोस्तों ,दिल्ली के चुनाव में ,मेरी पार्टी
भी हारी है ,,आपकी पार्टी भी हारी है ,, और भी कई दल हारे है ,लेकिन
दिल्ली और दिल्ली का वोटर ,दिल्ली का लोकतंत्र ,देश का पोलिटिकल साक्षर ,
वोटर का राजनीतिविज्ञान ,, राजधर्म , आमजनता की ज़रूरतों के प्रति
कर्तव्यपरायणता ,,देश का संविधान ,देश का लोकतंत्र ,, मूल अधिकार सरकार के
कर्तव्य की पालना करवाने के प्रति आम वोटर की सजगता ,,सतर्कता , निष्पक्ष
,प्रभावित हुए बगैर ,, मन मर्ज़ी के राजा के चयन में ज़िम्मेदारी की एक नई
पहल हुई है ,, हम हारे है ,तुम भी हारे हो ,,सभी हारे है ,दिल्ली जीती है
,लेकिन हमे इससे सबक़ लेना चाहिए ,भविष्य की राजनीती में ,राजनीतिक प्रचार
में ,,सरकारों के संचलान में ,वोटर के प्रति जवाबदारी में हमे भी अपनी
ज़िम्मेदारियों में बदलाव करना होगा ,, एक नए आदर्श राज्य ,एक नए आदर्श
राष्ट्र के निर्माण की तरफ कामयाब क़दम बढ़ाना होगा ,,, छद्म मुद्दों पर
,,झूंठ फरेब पर ,,तात्कालिक विवादों पर हम सरकार बना सकते है , लेकिन वोटर
के दिल ,दिमाग में अपना स्थान स्थाई रूप से तभी बना पाएंगे ,जब हम अपने
कर्तव्यों के प्रति निष्पक्ष निर्भीक ,निर्विवाद होकर कार्य करेंगे ,
दोस्तों सभी को पता है ,,सियासत में देश के उतार चढ़ाव ने बहुत कुछ सिखाया
है ,,आपात स्थिति में गठबंधन सरकार में था ,सरकार चली ,टूट गयी ,फिर
इंद्रा गांधी ने इसी राजधर्म सिस्टम को आम जनता तक पहुंचाया फिर वोह प्रचंड
बहुमत से आयीं ,फिर कामयाबी मिली , लेकिन अब सियासत का नज़रिया ,सियासत का
राजधर्म बदल गया , अटल बिहारी वाजपयी ,जिन्हे राजधर्म से भटकने पर
,राजधर्म निभाने की सलाह देते थे ,, राज उनके हाथों में होने पर भी वोह अटल
बिहारी वाजपयी की सलाह से आज भी अलग थलग पढ़े है ,,, नतीजा सामने है ,,हम
हमारी बात ,करे , हमारी विचारधारा की बात करे ,हम भी वर्तमान हालातों में
भटके हुए रास्ते पर बर्बाद होने के बाद फिर से ,, अपने समाजसेवा ,आमजनता के
साथ संवाद की तरफ ,मुड़े है ,, कुछ फायदा मिला है ,,लेकिन अभी बहुत कुछ
करना बाक़ी है ,राजधर्म ,यानी शुद्ध राजधर्म की सियासत नहीं ,सिर्फ ज़रूरतें
,, ज़रूरतें ,विकास ,,राष्ट्रनिर्माण ,भ्रस्टाचार मुक्त ,,सुविधायुक्त
आधारभूत ढांचा , यही सब अगर हम हमारे संगठन को सत्ता पर निगरांकार ,, सत्ता
के कान उमेठने वाला ,, अनुशासन हीनता करने वालों ,गद्दारों को बिना किसी
पक्षपात के घर बिठाने वाला बनालेंगे ,तो यक़ीनन हम होंगे कामयाब जिसकी तरफ
हमारा क़दम है ,,जो राजनीति में है वोह इन मुद्दों पर अगर चलेगा तो स्थाईत्व
के साथ लौटेगा ,,यह राजनितिक दर्शन का पाठ दिल्ली के लोगों ने हमे ,वोटर्स
को , नेताओं को ,संगठनों को , लोकतंत्र को पढ़ाया है ,हमे यह पाठ पढ़ना ही
,होगा , वर्ना हम चाहे एक बार खुद को पास कर ले ,लेकिन हमे इस सबक़ के बगैर
फिर दुबारा तो फेल होना ही होगा ,, दिल्ली का वोटर ,, दिल्ली की जनता
,सम्पूर्ण साक्षर है ,,पोलिटिकल साक्षर है ,,, उसे पता है ,संविधान किया है
,ओरिजनल राष्ट्रभकित ,,छद्म राष्ट्रभक्ति , मुद्दे और छद्म भड़काऊ मुद्दों
का फ़र्क़ दिल्ली की जनता जानती है , दिल्ली हिन्दू मुसलमान नहीं ,,दिल्ली
साम्प्रदायिक नहीं ,, दिल्ली भोली मासूम भी नहीं ,, जो भड़काउ भावनात्मक
मुद्दों से अपने विचार बदल ,,ले ,दिल्ली ने तो भारत को ईमानदारी
,निष्पक्षता से संचालित करने के लिए राजा द्वारा ली गयी शपथ के बाद
,,राजधर्म चलाने ,, निष्पक्ष राज्य के संचालन के लिए ,संविधान में राजा को
दी गयी ज़िम्मेदारियाँ पढ़ी है ,,मौलिक अधिकार ,सरकार के कर्तव्य संविधान में
दिल्ली ने पढ़े है ,जिसमे साफ़ लिखा है ,एक शासक ,एक सरकार ,भूख ,गरीबी
,रोज़ी ,,रोटी ,,कपड़ा ,मकान जैसी ज़रूरतों के साथ बिना किसी ,जाति ,धर्म
,,सम्प्प्रदाय , लिंग , अमीरी गरीबी के भेदभाव के सभी को आधार भूत ढांचा
सरकार उपलब्ध कराएगी ,, संविधान में लिखा है ,,मुफ्त शिक्षा ,,मुफ्त
चिकित्सा , क़ानून व्यवस्था , भ्रस्टाचार मुक्त शासन ,,शसन में शिष्टाचार ,,
निष्पक्षता , मुफ्त आधारभूत ढांचा , बिना मुनाफे के व्यवस्थाएं देना सरकार
की ज़िम्मेदारी है ,,रोज़गार देना ,,सरकार की ज़िम्मेदारी है ,, यह सब दिल्ली
सरकार ने किया ,जनता को करके दिखाया ,, सियासी पार्टियों के नेताओं
,कार्यकर्ताओं , मुखबीरों ,सरकारी सिस्टम के दुरुपयोगी , खुद कथित मीडिया
के पेडवर्कर जो पार्टी प्रचारक कार्यकर्ता बनकर ,, मुफ्तखोर ,,मुफ्तखोर ,,
का रोना बिना संवैधानिक व्यवस्था पढ़े हुए चीख रहे थे उनके सभी मुद्दे ,सभी
कुप्रचार ,असफल हुआ ,,, यह कहने में ज़रा भी शर्म नहीं है के हम ,हमारी
पार्टी , हमारी नीतियां ,हमारा नेतृत्व बेहतर से बेहतर होने के बावजूद भी
,उस लाइन से हमारे अलग होने से हमने वर्तमान हालातों में दिल्ली की जनता
,दिल्ली के वोटर का विश्वास खोया है ,जिसे इस संकल्प के साथ के वोटर को
,जनता को शासन से राजधर्म चलाने के लिए क्या कुछ चाहिए ,,उसकी तरफ हमे फिर
लौटना होगा ,फिर से हमे अपने मुद्दे , अपनी शालीनता , अपने ,आदर्शों अपने
विकास के एजेंडे को मज़बूत करना होगा ,, जनता को ,समझाना होगा ,और हम
लौटेंगे फिर एक बार ,फिर अपने कामकाज पर बार बार ,इसके प्रयास सफलतम करना
होंगे ,, और इंशाअल्लाह ऐसा हम करके रहेंगे ,, जो भी सियासी पार्टी जनता
की कसौटी पर स्थाई रूप से राज करना चाहे उसे यह सब करना ही होगा ,,,हमने यह
सब सत्तर साल पूरे नहीं तो ,,बहुत साल तो सुशासन दिया है ,,स्वराज दिया है
,सहूलियतें दी ,है विकास दिया है ,रोज़गार दिया है ,राष्ट्रवाद दिया है ,,
सीमाओं को सुरक्षा दी है ,,व्यवस्थाएं दी है ,, विश्वास दिया है ,,,फिर से
हम हमारे इन्ही मुद्दों पर आप सभी के बीच आ रहे है ,,, अपने संगठन
,,संगठन के नेतृत्व के साथ ,,संगठन के संविधान में दी गयी शतप्रतिशत
ज़िम्मेदारियों के साथ ,देश के संविधान ,क़ानून व्यवस्था को सो फीसदी लागू
करने के संकल्प के साथ ,, हमारी अपनी सत्ता भी हो तो लोकतांत्रिक आम जनता
की निगरानी के अलावा संगठन के अनुशासन , संगठन की ज़िम्मदारी ,, संगठन से
ही सत्ता है ,सत्ता से संगठन नहीं ,इस कड़वे सच के साथ ,,,, देश का संविधान
,देश का लोकतंत्र ,, देश की जनता ,देश का वोटर ,,उसकी ज़रूरते ,उसके प्रति
कर्तव्यों का निर्वहन और संगठन ,संगठन का संविधान ,,उसका विचार ,,,संगठन का
अनुशासन सर्वोपरि के संकल्प नारे के साथ ,,हम हारे है ,चुनाव हारे है
,हिम्मत नहीं हारे है ,,,फिर लौटेंगे ,फिर आएंगे ,एक नए जज़्बे एक नए
राष्ट्रनिर्माण के जज़्बे के साथ ,,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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