मज़हब
ऐ इस्लाम का हुक्मनामा संविधान , क़ुरआन ,,उस की पहली आयत ,,सुर ऐ इक़रा ,अल
अलक़ ,,में पढ़ो ,पढ़ो ,का पैगाम ,प्रोफेट मोहम्मद सलल्लाह ओ अलेह वसल्लम की
पहली सीख ,,बेटी पढ़ाओ ,बेटी बचाओ ,, सफाई आधा ईमान है ,,मज़दूर की मज़दूरी
पसीना सूखने से पहले ,चुकता करो ,जैसे मामलों का अपने शैक्षणिक कार्यों में
प्रार्थमिकता के आधार पर मोटिवेशनल गुरु के रूप में ,,क्रियान्वित करने
वाले ,चिल्ड्रन स्कूल के संचालक ,हाजी शफी अहमद खान ,,उर्फ़ भाईजान ,उर्फ़
भाईसाहब ,उर्फ़ गुरु जी ,उर्फ़ एस ऐ खान साहिब ,,कोटा में प्रारम्भिक स्तर पर
शिक्षा साक्षरता क्षेत्र के आइकॉन रहे है ,,, गर्व की बात यह है ,के
लगातार साक्षरता कार्यक्रम में कोटा ,सम्पूर्ण साक्षरता जिला बनने की दोढ़
में पिछड़ता रहा ,तब ,चिल्ड्रन शिक्षण वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से ,,शफी
खान साहब ने ,घर घर ,गांव गाँव ,बस्तयों में घूम कर ,साक्षरता की अलख जगाई
,दिन रात महनत कर ,,,साक्षरता के प्रति जागरूकता कार्यक्रमों के साथ ,
कोटा को सम्पूर्ण साक्षरता जिला घोषित करवाकर ही दम लिया ,,,चिल्ड्रन स्कूल
के शफी खान ,,प्रशासनिक सम्पूर्ण साक्षरता कार्यक्रम रिकॉर्ड के हिसाब से ,
इस कार्यक्रम की रीढ़ की हड्डी रहे है ,, जी हाँ दोस्तों ,न काहू से
दोस्ती ,न काहू से बेर ,बस , पढ़ो ,पढ़ाओ ,,बेटी बचाओ ,,कार्यक्रम के तहत
अपना जीवन समर्पित करने वाली शख्सियत ,,हाजी एस ऐ खान ,,आज भी कॉरपोरेट
शिक्षा से अलग हट कर ज़रूरत मंद ,, गरीब तबके के शिक्षा गुरु है ,, वोह
महंगे दामों में ,शिक्षा के व्यवसाय से अलग थलग है ,,लेकिन संतुष्ट है
,,उनके राजस्थान बोर्ड ,केंद्रीय बोर्ड के शैक्षणिक संस्थान है ,उनके बी ऐड
कॉलेज है ,,अन्य शिक्षण संस्थान है ,,लेकिन ,,,,कॉरपोरेट स्टाइल से अलग
,गाँधी दर्शन ,शैक्षणिक कार्यक्रम के साथ ,स्वरोजगार शिक्षा ,,सेवाभावी
शिक्षा के कार्यक्रम उनकी पहचान है ,,,शफी अहमद खान ,पंचायत स्तर पर एक
छोटे से शिक्षक के रूप में जब ,,गरीब ,दलित ,अल्पसंख्यक ,ग्रामीण बच्चों को
,शिक्षा से दूर भागते देखते ,,घूंघट में महिलाओं ,को ,,,लाठी लिए
बुज़ुर्गों को अंगूठा लगाते ,देखते तब ,,इनके दिल दिमाग में एक संकल्प आया
,और शफी खान ,कोटा को सम्पूर्ण साक्षरता का दर्जा दिलवाने के लिए
संकल्पबद्ध होकर ,प्रशासनिक व्यवस्थाओं के साथ जुड़ गए ,,खान ने निजी स्तर
पर शैक्षणिक सोसायटी बनाई ,,गरीब तबके की बस्तियों में ,ग्रामीण क्षेत्र
में ,,अलग अलग ,शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की ,,,प्रौढ़ शिक्षा
कार्यक्रम,,सर्व शिक्षा अभियान से उच्च आयु वर्ग के लोगों को जोड़ कर
उन्हें शिक्षा के प्रति मोटिवेट किया ,,तो घर घर सर्वेक्षण कर ,,मज़दूरी पर
जा रहे बच्चे को रोका ,उसे मुफ्त शिक्षा के नाम पर स्कूल में प्रवेश दिया
,,बेटियों को घरों में कामकाज के साथ,, पढ़ाई की तरफ उत्प्रेरित किया
,,बेटियों की स्कूली फीस ,, यूनिफॉर्म ,किताबों का खर्च खुद अपनी जेब से
दिया ,,देखते ही देखते ,इनके अपने क्षेत्रों में ,,इनकी शैक्षणिक चिल्ड्रन
शिक्षण संस्थान में ,,बच्चे साक्षर होने लगे ,बच्चों में शिक्षा के प्रति
रूहझान बढ़ा ,,और कोटा सम्पूर्ण साक्षरता जिला घोषित हुआ ,,सम्पूर्ण
साक्षरता जिला उत्सव कार्यक्रम के ,,प्रशासनिक स्तर पर ,राजनितिक स्तर पर
,,शफी खान कोटा के मोटिवेशनल गुरु ,सर्वाधिक शाबाशी हांसिल करने वाले गुरु
बन गए , शिक्षा का चाहे आज माध्यम बदला हो ,शिक्षा का चाहे आज
व्यवसायीकरण हो रहा हो ,शिक्षा चाहे आजा बेचीं जा रही हो ,लेकिन ,चिल्ड्रन
स्कूल के खानसाहब ,वही लकीर के फ़क़ीर , शिक्षा ,सस्ती ,सुलभ ,,अनुशासित ,
गुणवत्ता ,वाली ही बनी रहे ,इसके प्रयासों में है ,,,इसीलिए खान साहिब और
दूसरे दिग्गज व्यवसायिक शिक्षाविदों से अलग थलग हो जाते है ,,शफी खान साहब
,,वोह शख्सियत है ,जो स्कूलों में पिछड़े हुए बच्चे ,जो पढ़ने से भागते है
,,कम नंबर लाते है ,जो फेल हो जाते है ,जिन्हे दूसरी शिक्षण संस्थाएँ
,एडमिशन भी नहीं देती है ,,खानसाहब चेलेंज के रूप में ऐसे ,छात्र छात्राओं
को चिन्हित करते है ,,चुनौती स्वीकार करते है ,उन्हें अपनी शिक्षण संस्थान
में प्रवेश देते ,है उसे मोटिवेट करते है ,साधन उपलब्ध कराते है ,अनुशासित
करते है ,,और पूरी महनत ,लगन के बाद ,ऐसे पिछड़े हुए बच्चे जिनके पास पढ़ाई
छोड़कर मज़दूरी करने के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं था ,उन बच्चों को जब वोह
फर्स्ट डिवीज़न की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देते है ,तो हमे ऐसे गुरु पर गर्व
होता है ,,,एक तरफ वोह कोचिंग जो सो प्रतिशत लाने वाले बच्चों को एड्मिशन
देकर उन्ही प्रतिभाओं को उजागर टॉपर को टॉपर बनाकर पेश करते है ,एक तरफ
चिल्ड्रन स्कूल के खान साहिब ,जो मोटिवेशनल गुरु बनकर ,,फेल्योर ,या थर्ड
क्लास बच्चे को ,चेलेंज के रूप में एड्मिशन देते है और उसे टॉपर बनाते है
,,तो यक़ीनन शफी खान दूसरे शिक्षा गुरुओं से सर्वोच्च बन जाते है ,,,शफी खान
की समाजसेवा कार्यों में पूरी सांझेदारी रहती है ,यह एक दूसरे की मदद
कार्यक्रमों के अलावा शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम में हिस्सेदार रहते है
,वर्तमान में बेटी पढ़ाओं ,बेटी बचाओ अभियान के रूप में इनके ज़िम्मे बीस
बेटियों की पढ़ाई ,किताबे ,यूनिफॉर्म ,फीस की ज़िम्मेदारी है ,लेकिन यह हर
बार अपने टारगेट से कई गुना ज़्यादा करके दिखाते है ,,यही वजह है के आज कोटा
सहित कई बढे शहरों में इनके प्रशिक्षित छात्र छात्राये जब कामयाबी की
बुलंदियों पर पहुंचने के बाद भी इन्हे देखते है ,तो उनका सर गर्व से ऊँचा
होता है ,ऐसे स्टूडेंट के दिलों में इनके लिए मान सम्मान होता है ,,यह
स्टूडेंट इनके चरणों में गिरकर इनके पेरो की धूल कामयाबी समझकर माथे पर लगा
लेते है ,तो खानसाहिब ,अपनी इस कमाई को देखकर ,सजल आँखों से ,आशीर्वाद
,दुआओं के भाव की ज़िम्मेदारी के साथ स्टूडेंट को गले लगा लेते है ,और फिर
दूसरे छात्र छात्रों को इनकी कामयाबी का उदाहरण देकर , कामयाब होने के लिए
मोटिवेट करते है ,,,,, कॉर्पोरेट सेक्टर ,शिक्षा के नाम पर महंगी फीस
,,रंगबिरंगी बिल्डिंगे ,, कुछ अहमियत नहीं ,रखती सिर्फ ,शिक्षा के प्रति
समर्पण ,जज़्बा ,गाँधीवादी शैक्षणिक मैनेजमेंट ,,और खासकर ,क़ुरान ,, हदीस का
हुकम पढ़ो ,पढ़ो ,पढ़ाओ ,,बेटी पढ़ाओं ,बेटी बचाओं ,जैसी कोशिशों की
क्रियान्विति ही ,,शिक्षा क्षेत्र की कामयाबी है ,जो खानसाहिब को
,व्यवसायिक शिक्षा क्षेत्र के दल दल से बाहर निकाल कर , एक आदर्श शिक्षक
,,एक आदर्श गुरु ,एक आदर्श मोटिवेशनल शिक्षक के रूप में अलग से पहचान बनाती
है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान


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