राजस्थान की जोधपुर ,जयपुर ,हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के बाद ,सर्वाधिक
संघर्षषील ,स्वाभिमानी बार एसोसिएशन कोटा के ,आगामी वार्षिक चुनाव सम्भवत
13 मार्च को होंगे ,,,कोटा अभिभाषकों के विभिन्न मुद्दों पर ,,लोकसभा
अध्यक्ष ओम बिरला साहिब द्वारा पूर्व में वकीलों से किये गए वायदे , वफ़ा को
लेकर भी यह आगामी चुनाव चर्चा का विषय है ,,कोटा में हाईकोर्ट बेंच की
मांग ,, उपभोक्ता आयोग की सर्किट बेंच होने पर भी ,रिक्त पद शीघ्र भरने की
माँग ,,कोटा न्यायलय परिसर ,मिनी सेक्रेट्रिएट ,या फिर नए भवन में ले जाने
की कोशिशों को लेकर यह चुनाव महत्वपूर्ण रहेंगे ,, कोटा के आगामी अभिभाषक
नेतृत्व के लिए , गहमा गहमी शुरू हो गयी है ,अभिभाषक परिषद कोटा में
प्रत्याक्षियों की मान मुनव्वल ,,राम ,राम ,, वायदे ,और प्रचार की शुरुआत
चर्चाओं में है ,,, कोटा अभिभाषक परिषद कार्यकारिणी ने सदस्यों के नवीनीकरण
शुल्क के समय सीमा तय कर दी है ,जबकि निष्पक्ष निर्वाचन के लिए
,,कार्यकारिणी जल्दी ही , चुनाव अधिकारी की नियुक्ति ,और चुनाव अनियमितता
होने पर निर्वाचन को चुनौती देने के लिए एक ट्रिब्यूनल की घोषणा करने वाली
है ,, कोटा अभिभाषक परिषद में वर्तमान में ,बृजराज सिंह चौहान ,मनोज गौतम
,महेश गौतम, रमेश कुशवाह , ,अध्यक्ष की दोढ़ में शामिल हुए है ,जबकि राम
बाबू मालव ,,अमित शर्मा ,, रवि विजय ,, गोपाल चतुर्वेदी ,, कन्हैया लाल
शाक्यवाल ,,के नाम सामने आये है ,, चुनावी सरगर्मियों में ,मनोरंजन का
माहौल भी है ,,सभी वोटर्स इस मनोरंजन में शामिल है ,, राम राम की रस्म
अदायगी के साथ ,,जीतने के टिप्स ,समर्थन की गणित ,, वायदे , शिकवे शिकायत
भी चल रहे ,है जबकि ,तथाकथित किंग मेकर्स ,अपने अपने पट्ठे कहकर ,एक दूसरे
का परस्पर प्रचार करने में लगे ,है कई स्टार प्रचारक किंग मेकर ऐसे भी है
,के प्रत्याक्षी उनसे अलग में मिलकर समर्थन तो चाह रहा है , लेकिन
सार्वजनिक रूप से उसका खुला समर्थन , नहीं किये जाने की गुहार भी लगा रहा
है ,,,, समर्थन ,वोटिंग में नफे ,नुकसान का गुणा ,भाग चल रहा है ,कुछ लोग
अकड़े हुए है ,,उन्हें मान मनव्वल का इन्तिज़ार है ,तो कुछ लोग
,प्रत्याक्षियों से पुराना हिसाब चुकता करने के लिए ,उनकी चटनी बनाने के
नाम पर ,लच्छे मियां बनने की जुगत में लगे है वोह,वोट कटवाने के लिए
बेताबी से इन्तिज़ार कर रहे है ,,, यह तो हुई चुनावी मंज़र की बात ,लेकिन
,कोटा अभिभाषक परिषद के चुनाव महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी , कई सालों से
कुछ पदों के लिए रस्म अदायगी तक सीमित हुए है ,वोटर्स कहने को डबल ग्रेजुएट
है ,,विद्वान है ,, लेकिन पुस्तकालय सचिव के चयन के समय , जिसका चयन वोह
कर रहे है ,,उन्हें पुस्तकालय प्रबंधन ,क़ानून की किताबों की खरीद फरोख के
चयन ,डिजिटल लायब्रेरी प्रबंधन ,,पुस्तकों के पूरे नाम भी याद है या नहीं
,भविष्य में व्यवस्थाएं ,सुधरेंगी आधुनिकीकृत होंगी के नहीं ,इस तरफ
गुणवत्ता को लेकर कोई नहीं देखता , सिर्फ ,प्यार मोहब्बत ,, एक दसूरे के
अँधा समर्थन ही प्रत्याक्षियों को जिताता है ,और फिर जवाबदारी के तोर पर ,,
उनके कार्य का मूल्यांकन कर ,उनसे उपयुक्त कार्य करने के लिए वोटर दबाव भी
नहीं बना पाता है ,, कार्यकारिणी के निर्वाचन में भी ,प्यार ,मोहब्बत का
ही मान सम्मान होता है ,,,कई सदस्य तो निर्वाचित होने के बाद ,अनेको बैठकों
,में ,कार्यक्रमों ,धरने , प्रदर्शन ,ज़रूरी मोको पर मौजूद भी नहीं रह
पाते है ,ऐसे में निर्वाचित अध्यक्ष ,पदाधिकारीगण अपने स्तर पर ही
व्यवस्थाएं चलाते, कई बार पिछले सालों में देखे जाते रहे है ,,,डबल
ग्रेजुएट है ,, घोषित विद्वान अधिवक्ता है ,क़ानून के ज्ञाता है , ऐसे में
प्रत्याक्षी के रूप में भी ,लोगों को नेतृत्व देने के लिए हर पद पर ,
मुक़ाबले पर आना ही चाहिए ,,, और वोटर्स का ,साइलेंट , स्लीपर ,और सक्रिय
वोटर्स में फ़र्क़ भी होना चाहिए ,,, निर्वाचन के समय , अगर नियमित
कार्यकारिणी की बैठकों में उपस्थित होने की सम्भावनाये कम ,है ऐसे
निर्वाचन के वक़्त ,कितना ही प्रेमभाव हो , उनके ,निर्वाचन से बचना चाहिए
,,, खुला चुनाव है ,,खुली वोटिंग है ,,,इसलिए जो जीतता है सिकंदर वही
कहलाता है ,,,, अभी इस चुनाव में और गर्माहट ,और रोचक मनोरजंक क़िस्से देखने
को मिल सकते है ,,चुनाव के पूर्व प्रत्याक्षियों के सिम्पोजियम के वक़्त
,कोटा अभिभाषक परिषद के वार्षिक कार्यक्रमों का एक रिहर्सल होता है ,,,
प्रत्याक्षी अपने अपने अंदाज़ में ,,अपनी अपनी बातें ,अपने अपने कार्यक्रम
वोटर्स को समझाने की कोशिशें करते है ,,सभी प्रत्याक्षियों को शुभकामनाये ,बधाई ,,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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