एक क़ातिल प्रशासनिक अंदाज़ ,एक क़ातिल अल्फ़ाज़ों से बने जुमले ,,एक क़ातिल
सादगी ,एक क़ातिल मुस्कुराहट ,,एक क़ातिल मधुर संबंध ,,एक क़ातिल चौधराहट ,एक
क़ातिल रिसर्च पत्रकारिता ,एक क़ातिल इलेक्ट्रॉनिक चैनल ,,एक क़ातिल समन्वय
,,एक क़ातिल सियासी मैनेजमेंट ,,और संतुलित पत्रकारिता ,,सच ऐसी शख्सियत ,
जो जगदीश भी है ,चंद्रा भी है ,अरोरा भी है ,,भारतीय प्रशासनिक सेवा के
कुशल सेवानिवृत अधिकारी भी है ,और अब नामचीन पत्रकार ,,पत्रकारिता प्रबंधक
भी है ,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ ,,नामचीन इलेक्ट्रॉनिक चैनल
पत्रकारिता के चेहरे ,जगदीश चंद्र अरोरा ,उर्फ़ जगदीश चंद्रा ,उर्फ़ जगदीश
क़ातिल साहिब की ,जिन्होंने ,, राजस्थान प्रशासनिक सेवा से ,भारतीय
प्रशासनिक सेवा तक के सफर के बाद ,पत्रकारिता की एक कामयाब मिसाल बने ,
जगदीश क़ातिल ने चाहे पत्रकारिता का कोर्स नहीं किया हो ,लेकिन सीधे जब
उन्हें ई टी वी में चीफ एक्ज़ीक्युटिव का पद मिला ,,तो उन्होंने इस पद की
ज़िम्मेदारी दूसरे पत्रकार साथियों के साथ मिलकर ,,परफेक्ट टीम लीडर की तरह
निभाई ,जो आश्चर्यचकित करने वाली थी ,,कुशल प्रबंधन ,,लाइव टेलीकास्ट का
संतुलन ,सरकारी पक्ष के समर्थन में लगातार जनसम्पर्क सूचनाओं का आदान
प्रदान मंत्रियों ,अधिकारियौं को ओब्लाइज करने का संतुलन ,आम जनता से सीधे
जुड़े ,,व्यक्तिगत ,धार्मिक ,,सहित सभी मुद्दों को सकारात्मक तरीके से
प्रसारित करना ,,ऐसी समस्याओं की रिपोर्टिंग सरकार या सिस्टम को कोसने या
आलोचना करने की जगह ,सिर्फ सकारात्मक ,रचनात्मक सोच के साथ ,नए सुझावों के
साथ रिपोर्टिंग की विधा में जगदीश क़ातिल कामयाब हुए ,इनके ही पत्रकारिता
से जुड़े कुछ चैनल कर्मियों ने इनसे ईर्ष्या जतायी ,कुछ अफवाहे उड़ाई ,लेकिन
यह अफवाहे ,यह आलोचनाएं जगदीश क़ातिल को डिगा नहीं सकीं ,,जगदीश क़ातिल ने ई
टी वी में खबरों का बेहतर मैनेजमेंट किया ,तो सरकार में सिसटम में शामिल
होकर उनका विशवास जीता ,,सम्पर्क बहतर बनाये और ,,सरकारी विज्ञापनों के
अलावा प्राइवेट विज्ञापनों का भी रिकॉर्ड तोड़ कारोबार किया ,,इनके कार्यकाल
में ,, ,खबरों ,,विज्ञापन , जनसम्पर्क के मान सम्मान के नए युग की शुरुआत
हुई ,,ई टी वी लोगों के दिलों की धड़कन बना और यह चैनल सर्वाधिक देखा जाने
लगा ,,अचानक खबर आयी ,के जगदीश क़ातिल अब ,,फर्स्ट इन्डिया चैनल ,का कामकाज
देखेंगे ,,ज़ाहिर है ,ई टी वी को धक्का लगना था ,,कई अनुभवी साथियों की टीम
इनके साथ ,,इनके व्यवहार के चलते ,विश्वास के चले ,,ई टी वी और दूसरे
इलेक्ट्रॉनिक चैनलों से ,इनके साथ ,फर्स्ट इण्डिया में माइग्रेट हो गयी ,आज
फर्स्ट इंण्डिया ,खबरों के सकारात्मक संतुलन ,हर वर्ग की खबरों के संतुलन
,के आलावा सियासी दलों के नेताओं से बेहतर रिश्ते बेहतर मुलाक़ाते ,,खबरों
के सूत्र धार ,,बने है ,एक तरफ खबरों की फटाफट है तो दूसरी तरफ इनके
जनसम्पर्क रिश्तों के चलते ,,कुशल व्यवसायिक प्रबंधन के चलते ,,विज्ञापनों
,कारोबार की भी बरसात है ,,,आज फर्स्ट इन्डिया चैनल ,सर्वाधिक देखा जाना
वाला चैनल है ,यहाँ खासकर राजस्थान में प्रशासनिक अधिकारी हो ,सियासत से
जुड़े लोग हों ,,सियासी पार्टी के दफ्तर हो सभी ,फर्स्ट इंडिया चैनल
प्राथमिकता के आधार पर देखते ,है ,,वोह बात अलग है कई खबरे इन तक पहुंचाना
इन लोगों के लिए टेढी खीर है ,इनका सम्पर्क अव्वल नबंर के सियासी नेताओं
,अधिकारीयों से है , आम आदमी तो इनसे बात करने के प्रयासों में ही काफी
दिक़्क़तों का सामान झेलता है ,लोगों की शिकायत है ,फोन नहीं ,मिलते ,मेसेज
का जवाब नहीं ,मेल की सुचना इन तक पहुंची या नहीं ,,इसका एक्नॉलेजमेंट भी
नहीं मिलता ,,खेर इनकी पत्रकारिता की विधा ,,इनके अल्फ़ाज़ ,सीधे लाइव
टेलीकास्ट कार्यक्रम ,रचनात्मक ,सकारात्मक सोच ने इन्हे स्थाई कर दिया है
,,पत्रकारिता के इश्यूज़ किस तरह से उठाना है ,इन्होने खूब अच्छी तरह से जान
लिया है ,समझ लिया है ,बेहतर प्रबंधन ,पत्रकारिता की प्रमुख कार्यशालाये
इनके लिए अब आम बात हो गयी है ,खुद प्रबंधन भी देखते है ,रिपोर्टिंग ,खास
साक्षात्कार ,,खुसूसी विश्लेषण भी करते है ,,कामयाब और सटीक भी होते है ,,,
इनकी कामयाबी के लिए इन्हे बधाई
,,,जगदीश क़ातिल ,जगदीश चंद्र अरोड़ा के नाम से राजस्थान प्रशासनिक सेवा के
तेज़ तर्रार ,,अफसर बने ,इनका विवादों से प्रशासनिक कार्यकाल में बढ़ा नाता
रहा ,लेकिन सियासी नेताओं से इनकी लाइजनिंग इन्हे कभी डिगा नहीं सकी
,,सियासी नेताओं का इन पर वरदहस्त हमेशा बना रहा ,,यह जगदीश चंद्र अरोरा से
,जगदीश क़ातिल ,फिर जगदीश चंद्रा बन गए ,,जगदीश क़ातिल का विवादों से नाता
भी है और विवादों के निस्तारण में भी इनके बाए हाथ के खेल का हुनर सभी लोग
जानते है ,,बारां में प्रमोद भाया के सांसद चुनाव कार्यकाल में इनकी
रिपोर्टिंग पर ,,पेड़ न्यूज़ ,,,के नाम पर इनके खिलाफ एक कार्यकर्ता ने
शिकायत की ,,इन्हे पेड़ न्यूज़ निरीक्षण समिति का नोटिस भी मिला ,जांच भी
शुरू हुई ,लेकिन वोह शिकायत करता फिर दुबारा बयान देने ही नहीं पहुंचा
,,नतीजन वोह शिकायत बिना सुनवाई के ही अदम हाज़री में निस्तारित हो गयी
,जबकि कोटा में नगर निगम प्रशासक कार्यकाल में ,,इनके काफी विवाद ,काफी
आरोप प्रत्यारोप थे ,लेकिन ,,रामकिशन वर्मा स्वायत्तशासन मंत्री और यह नगर
निगम कोटा के प्रशासक सब कुछ मैनेज होता रहा ,,विवाद निस्तारित होते रहे
,बस एक विवाद जो एक पत्रकार ,,ओम नारायण सक्सेना से जुड़ा है ,वोह विवाद
इनके प्रशासक काल में इन पर भारी था ,,,खुद इनके एक राजस्व अधिकारी
रामचंदानी ,खुद जगदीश क़ातिल ,इस मामले में उनके खिलाफ रामपुरा कोतवाली में
झूंठी फ़र्ज़ी रिपोर्ट लिखकर प्रताड़ित करने के आरोपी बनाये गए ,,इनके खिलाफ
कार्यवाही हुई ,कोर्ट ने इन्हे सम्मन ,फिर ज़मानती वारंट फिर ,गिरफ्तारी
वारंट से तलब किया , यह अदालत में हाज़िर हुए ,लेकिन फिर वही बाज़ीगरी ,वही
विवादों के निस्तारण का इनका हुनर कामयाब हुआ ,इन्होने कोटा के ही एक इनके
पुराने साथी फ़रीदुल्ला खान को बीच में डाला ,,में ओम नारायण सक्सेना साहिब
का वकील था ,मुझ से कहा गया ,,लेकिन बात ओम नारायण सक्सेना पत्रकार साहिब
को संतुष्ट करने की थी ,,समझौता मुलाक़ात हुई ,, जो ओम नारायण सक्सेना
पत्रकारिता के गुरु थे ,,जो ओम नारायण सक्सेना ,,जगदीश क़ातिल और ,रामचंदानी
जी को किसी भी हालत में सज़ा करवाने के लिए संकल्पबद्ध थे ,किसी भी क़ीमत
पर माफ़ करने को तैयार नहीं थे ,,मेने खुद देखा है वोह इनका ,हुनर के
इन्होने ,पत्थर में से दूध निकालने ,सूरज को दूसरी दिशा से उगाने जैसा
कठिन कार्य कर दिखाया ,और जो ओम नारायण सक्सेना इन्हे किसी भी क़ीमत पर माफ़
करने को तैयार नहीं थे ,उनसे इन्होने आखिर माफ़ी हांसिल कर ही ली ,और
ओमनारायण सक्सेना ने ,बढ़ी राज़ी ख़ुशी ,हँसते मुस्कुराते ,एक विश्वास के
माहौल में ,,मुझ से इनके खिलाफ दर्ज मुक़दमा वापस लेने ,ख़ारिज करवाने का
आग्रह कर दिया और इस तरह से यह अपने इस हुनर से ,,अपने खिलाफ शख्सियत को
अपने साथ ,शामिल कर , मनमाना काम करवाने के हुनर में कामयाब हुए ,,,,जगदीश
क़ातिल की तेज़तर्रार प्रशासनिक क्षमता ,नए प्रयोग ,इनके सरकारी रिकॉर्ड के
लिए भी सकारात्मक रहे और , जगदीश क़ातिल ,राजस्थान प्रशासनिक सेवा से
,भारतीय प्रशासनिक सेवा के पद पर पदोन्नत हुए ,,इन्होने कई महत्वपूर्ण पदों
पर राजस्थान सरकार में बेहतर प्रशासनिक क्षमता के साथ काम किया ,रीको
,राजस्थान वित् विकास निगम में रहते इन्होने किए छोटे लघु उद्योगों को
प्रोत्साहित किराजस्थान या ,कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें दिलवाया
,और बकाया किस्ते भी इन उद्योगों से सरकारी खज़ाने में जमा कराकर ,टारगेट से
अधिक ,ऋण वसूली कर सरकार की खूब वाह वाही लूटी ,,तो जनाब ,यह क़ातिल
निगाहें ,यह क़ातिल कारोबार ,यह क़ातिल रिपोर्टिंग यह क़ातिल कामयाबी ,,सिर्फ
कामयाबी ,,के लिए जगदीश चंद्रा ,,जगदीश चंद्र अरोरा ,जगदीश क़ातिल साहिब को
सलाम ,सेल्यूट ,बधाई
,बस मलाल है तो एक बात का ,,के जगदीश क़ातिल साहिब का कोटा से पुराना
प्रशासनिक ,भावनात्मक ,सियासी , पत्रकारिता ,,साहित्यिक रिश्ता होने के
बावजूद भी ,जगदीश क़ातिल साहिब के नेतृत्व में ,,पत्रकारिता के माध्यम से
कोटा को क्लीन सीटी बनाने में ,,कोटा को कोचिंग गुरुओं की लूट अव्यवस्थाओं
से बचाने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर उन्होंने अभियान के रूप में आवाज़
उठाकर ,शुद्धिकरण के प्रयास जिस गति से होना चाहिए थे नहीं हो सके
,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
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