कुन्हाड़ी थाने में इन दिनों विवादों के घेरे है ,लेकिन जांच के नाम
,सुरक्षा के नाम ,,पुलिस को पूरा प्रोटेक्शन होने से कोई कार्यवाही अमल में
नहीं लायी जाने से ,,अब हालात यह बने है ,के कांग्रेस के ही बी एल ओ को
उसी के दोस्त के साथ झगड़ने का फ़र्ज़ी इंद्राज करा शांतिभग के हथियार के
दुरूपयोग करने की खुली शिकायत सामने आयी है ,,शिकायत भी ऐसी के इस मामले
में गैर सियासी तरीके से कांग्रेस और भाजपा एक जुट होकर थाने का घेराव करने
पहुंची ,,,कोटा कुन्हाड़ी पुलिस ने इस मामले में सुप्रीमकोर्ट के डी के बसु
वाले मामले में दिए गए दिशा निर्देशों ,राष्ट्रिय और राज्य मानवाधिकार के
निर्देशों और अब दण्ड प्रक्रिया संहिता के संशोधित क़ानून ,,परिजनों को
गिरफ्तारी की तत्काल सूचना देने के कर्तव्यों का खुला उलंग्घन किया है ,,एक
तरफ तो कुन्हाड़ी पुलिस ने उनके सुपरवाइज़री ऑफिसर ने ,ऐसी गिरफ्तारी की
सुचना पुलिस कंट्रोल रूम में नहीं दी ,सुचना पट्ट पर नहीं लगाई
,,,गिरफ्तार शुदा लोगों को सर्दी में प्रताड़ित किया ,अधिकारीयों ने
गिरफ्तारी पत्रावली की सत्यता का तत्काल निरीक्षण नहीं किया ,,गिरफ्तारी की
सुचना मोबाइल होते हुए ,,गिरफ्तार शुदा व्यक्ति बी एल ओ ,यानी क्षेत्र का
ज़िम्मेदार होते हुए भी ,उसकी गिरफ्तारी की सुचना ,क़ानून के मुताबिक़ सुर्पीम
कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक़ परिजनों को ,कंट्रोल रूम को ,,थाने पर
नोटिस बोर्ड पर गिरफ्तार शुदा व्यक्ति के नाम लिखकर नहीं दी गयी ,इस मामले
में न्यायालय की अवमानना का अपराध तो है है ,लेकिन नाजायज़ गिरफ्तारी
,फ़र्ज़ी कूटरचना ,,नाजायज़ हिरासत ,संशोधित दंड प्रक्रिया संहिता के आवश्यक
लिखे क़ानून का उलंग्घन कर ,, कर्तव्यों के उलंग्घन ,,और पुलिस पावर का
दुरूपयोग भी हुआ है ,,,कोटा में इस तरह की घटनाये दुबारा न हो ,पुलिस
कर्मियों द्वारा ऐसी गुस्ताखी दुबारा न हो ,,अधिकारी जो गश्त के नाम पर
घूमते है ,अपने थाना और क्षेत्रीय थाने में उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी तक
ऐसी घटनाओं को रोक पाने में असमर्थ रहते है ,या फिर में सहमत रहते है
,,उनके लिए थानाधिकारी ,,संबंधित पुलिस कर्मी ,,उप अधीक्षक और बीट प्रणाली
जांच से संबंधित वरिष्ठ अधिकारीयों को भी ज़िम्मेदार ठहरा कर कार्यवाही
होना ज़रूरी है ,,,,,गिरफ्तार शुदा राजकुमार और संस्कार को इस मामले में
न्याय और संबंधित दोषी पुलिसकर्मियों को ,,कोटा के न्याय प्रिय प्रशासन
,न्यायप्रिय सरकारी नेतृत्व और न्यायप्रिय पारदर्शिता ,,के सिद्धांतों की
पालना करवाने के लिए संकल्पबद्ध ,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सबक़ ऐसा सबक़ के
राजस्थान के दूसरे पुलिस कर्मियों और सुपरवाइज़र ऑफिसर जिनका दायित्व थाने
में तत्काल गिरफ्तारी की चेकिंग ,जांच ,इंसाफ़ ,, ना इंसाफ़ी की जानकारी लेकर
गलत कार्यवाही को दुरुस्त करवाना है ,उनके लिए सबक़ बने ,,, कोटा शहर
कांग्रेस के युवा नेता संगठन महासचिव रामेश्वर सुंवालका के नेतृत्व में
इंसाफ की यह जंग शुरू हुई है ,देखते है नतीजा क्या निकलता है एक ब्रेक के
बाद ,,,,क्योंकि खुद जिस कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष इन्हे पेश किया
गया इस मामले में उनकी भी अपनी गिरफ्तार शुदा व्यक्ति के बारे में परिजनों
को जानकारी देने के तथ्य की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किया
जाना ज़िम्मेदारी थी ,,,,,,,,,,अख़बार इस खबर का फॉलोअप कैसे करते है
,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसी गिरफ्तारियों में क़ानून का उलंग्घन करने वालों को
सबक़ सिखाने के लिए ,लाइव बहस चलाते है या नहीं ,या फिर आम आदमी की यह घटना
,बहुत सारी ज़ुल्म की घटनाओं की तरह ,,दफन होकर रह जाती है ,,, अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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