वाक़िया कोटा सर्किट हॉउस का है ,,लेकिन इस अनुभव ने बहुत कुछ सिखाया है
,,,हमारे सरकार के सिस्टम में बैठे नो रत्नों ,,, और भविष्यगामी न जाने
कितने रत्न बनने की कवायद में जुटे क़तार में लगे हमारे धन्यवादी ,धन्यवादी
लोगों की करतूतों से निराश करवाया है ,,,बात छोटी सी है ,, लेकिन अपने
लोगों की हमदर्दी ,अपने लोगों की हिमायत की है ,,एक मंत्री जी ,,कोटा
सर्किट हाउस प्रवास पर थे , उनके अपने समाज के लोग भी वहां मौजूद थे ,ज़ाहिर
है ,मुख्या प्रशासनिक अधिकारी सहित कुछ लोग तो ,मंत्री जी की अगवानी में
जाना ही है ,,बस ,मंत्री जी ने अपने कुछ समाज के खुसूसी लोगों को आवाज़ देकर
पुकारा ,अलग बुलाया ,और गर्मजोशी से इन मुखिया अधिकारी महोदय से ,अपने
समाज के कोटा से संबंधित लोगो की सम्मानजनक मुलाक़ात करवाकर ,,बातों ही
बातों में ,,इन समाज के प्रतिनिधियों द्वारा बताये हुए कामों पर ,,इन्हे
तरजीह देते हुए , इनके काम प्राथमिकता के आधार पर करने का इशारा भी कर डाला
,,काम होना ,न होना अलग बात है ,लेकिन एक समाज से उठकर जब ,कोई बुलंदियों
पर पहुंचा है ,तो वोह शख्स अपने समाज को नहीं भुला ,, अपने समाज के जिला
स्तर के छोटे प्रतिनिधि ,,जिन्हे वोह मिले भी पहली बार ,उन्हें उन्होंने
प्राथमिकता के आधार पर ,समानजनक दृष्टि के आधार पर याद रखा ,प्राथमिकता
देते ,हुए उनके सम्मान का ख्याल किया ,और मौक़ा मिलते ही इस तरह का इशारा
भी हो गया ताकि प्रशासनिक मुखिया को लगे ,के यह समाज ,इस समाज के कोटा के
प्रतिनिधियों के वाजिब काम तो देखना ही होंगे ,, हमारे नो रत्न ,हमारे
प्रतिनिधि ,भविष्य में नो रत्न बनने की कोशिशों में ,, लम्बी क़तार में
,तारीफों ,सिर्फ तारीफों ,महरबानियों के लिए शुक्रिया की लम्बी बांघ लगाने
वाले लोग भी हमारे अपने है ,उन्हें आपने मेने ,सभी ने देखा है ,,वोह हमारे
मसाइलों पर अब तक बात नहीं कर पाए है ,, हमारी बात करना ,हमे तरजीह दिलवाना
,, हमे सम्मान दिलवाना तो दूर की बात है ,हमारे अपने मसाइल ,हमारे अपने
इदारे ,उन तक पर भी कोई कार्ययोजना तैयार कर उसकी क्रियान्विति की कोई
कोशिश उन्होंने नहीं की है ,,,,,,,,,,,,वोह बात अलग है ,दूसरे समाज के
मंत्री ,हमारे प्रतिनिधियों ने अलबत्ता हमारे मसाइल ,विधानसभा ,,प्रशासनिक
स्तर पर उठाये है ,,ऐसे लोगों का धन्यवाद ,शुक्रिया और ,,कोटा के विधायक
शान्तिकुमार धारीवाल ने ,,राजस्थान विधानसभा में जिस अहमियत से ,जिस
आक्रामक रुख के साथ ,पूरी तैयारी ,आंकड़ों के साथ ,,सी ऐ ऐ ,जैसे मुद्दे पर
राज्य स्तर की ही नहीं ,राष्ट्रिय स्तर की ही नहीं ,अंतर्राष्ट्रीय स्तर
की बेबाक डिबेट ,बेबाक टिप्पणियां करते हुए ,देश के टुकड़े करने की कोशिश
करने वाले ,देश में ही देश के लोगों को गुमराह करने वालों की बोलती बंद कर
दी ,खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ,,,मेरे पत्र ,अल्पसंख्यक प्रमाणपत्र
बनाने की सरलीकरण प्रक्रिया की मांग पर ,हमारे प्रतिनिधियों की चुप्पी
,ब्यूरोक्रेट्स की नाफ़रमानियों ,गुमराहियों के बावजूद भी एक माह में
,सरलीकरण निर्देशों के साथ ,राजस्थान में सरलीकरण प्रमाणपत्र निति लागू
करवा दी है ,लेकिन ,,,,,लेकिन ,,,,,हमारे अपने लोग भी तो अपना फ़र्ज़ निभाए
,,,,,अरे जो उनके आगे पीछे घूमते है ,उन्हें ही ऐसे स्वाभिमान के साथ किसी
से मिलवाये , उनके सामजिक सरोकार के काम नहीं करवा सके तो भी कोशिश तो
करके ,दिखाए ,आवाज़ तो उठाये ,,,वक़्फ़ सम्पत्तिया ,वक़्फ़ की स्वीकृतियां
इबादतघरों की बेवजह रोकी गयी ,प्रशासनिक ,स्वीकृतियां ,मदरसा बोर्ड
,छात्रवृत्तियां ,कोचिंगों का पंजीयन , पंद्रह सुत्रिय क्रियान्वयन
समितियों की बैठक ,नियुक्तियों में भागीदारियां ,जिला वक़्फ़ कमेटियों के
पुनर्गठन कुछ भी तो नहीं ,वर्ष 1976 में राजस्थान हाईकोर्ट ने ,कोटा के एक
क़ब्रिस्तान की स्टीयरिंग कमेटी बनाकर उस विवाद के निस्तारण के निर्देष दिए
लेकिन कई सरकारें बदली ,कई चेयरमेन वक़्फ़ बोर्ड बदले ,,कई अधिकारी बदले
,,पुरे 44 साला गुज़रने के बाद भी ,दस सालों से लगातार सभी चेरयमेनों को
मेरे द्वारा मोटिवेट करने के बाद भी अभी तक यह समस्या जस की तस है ,,ऐसी न
जाने कितने मसाइल है ,जो कई सालों से हमारे नो रंत्नों ,इनके जैसे नो रत्न
रहे लोगों की वजह से सिर्फ ,सरकारी फाइलों में टूट कर बिखर रहे है ,,,,और
यह ,हम घुटनों के बल ,क्या हुक्म है मेरे आक़ा की भागदौड़ में ,हमे हमारे
मसाइलों को भुला कर बैठे है ,अल्लाह इन्हे नेक तौफ़ीक़ अता फरमाए ,, अख्तर
खान अकेला कोटा राजस्थान

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