कल विश्व मानवाधिकार दिवस था ,, इस दिवस पर ,,मानवाधिकार क़ानून के तहत
अदालतें स्थापित नहीं होना ,, अपने ही क़ानून की पालना करवा पाने में बेबस
मानवाधिकार को लेकर में चिंतित था ,हताश था निराश था ,मेने कुछ लिखकर
विरोध प्रकट करने का प्रयास किया ,मुझे ,मेरी लेखनी को मानवाधिकार की आवाज़
बुलंद करने को लेकर ,,मुझे ,कोटा के दैनिक समाचार पत्र ,चंबल संदेश ,के भाई
पवन आहूजा ,,सम्पादक संजय शर्मा ने ,हौसला दिया ,,इसी बीच मेरी मुलाक़ात एक
सेवानिवृत वरिष्ठ पदों पर तैनात रहे भारतीय प्रशासनिक सेवा के आई ऐ एस
तपेन्द्र कुमार से हुई ,उनका दर्शन ,उनके हालात ,,ईश्वर के प्रति उनकी
भक्ति ,ईमानदारी ,और सब्र शुक्र ने मुझे मुतास्सिर किया ,उनके ज्ञान के
सरोवर से ,मेने भी सर्किट हाउस में चर्चा के दौरान एक आध बून्द अंगीकार
करने का प्रयास किया ,,तपेंद्र कुमार ,,कोटा में कलेक्टर ,,फिर संभागीय
आयुक्त पद पर रहे ,,ईमानदारी के ठसके के साथ ,आम लोगों के मामले तत्काल
,, बिना किसी सिफारिश के निपटाने का रिकॉर्ड क़ायम किया ,,तपेंद्र कुमार
राजस्थान के सभी सचिवालयों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे ,इनकी ईमानदारी ,,
बिना किसी रूकावट के तत्काल फ़ाइलों के निस्तारण ने इन्हे आम जनता के बीच
लोकप्रिय बना दिया ,,इनकी कार्यशैली नेताओं की आँख की किरकिरी भी थी ,शायद
पहले अधिकारी होंगे ,जिनकी शिकायत नेताओं ने मुख्यमंत्री से इस बात को
लेकर की ,के यह अफसर तत्काल आम लोगों का काम कर देते है ,इससे आम लोग
हमारे पास सिफारिशे लेकर नहीं आते ,हमारा राजनितिक प्रभाव घट रहा है ,,
शिकायत तो मज़ेदार थी ,लेकिन ईमानदार ,असरदार शख्सियत के खिलाफ होने से
,मुख्यमंत्री ने मुस्कुरा कर इस शिकायत को रद्दी की टोकरी में डाल दी
,बेदाग छवि के साथ ,बिंदास ईमानदारी व्यवस्था संचालित करते हुए अपने कामकाज
निपटाने के बाद ,तपेन्द्र कुमार की सेवानिवृत्ति के साथ ही उनकी पत्नी ने
भी स्वेच्छिक सेवानिवृति ले ली ,दुनियादारी से इस ईमानदार आई ऐ एस का
मन भर गया और अब तपेन्द्र कुमार ,दुनियादारी के वैभव ,चमक दमक से अलग
,स्वेच्छिक वैराग्य जीवन गुजरबसर कर रहे है ,सूट बूट से अलग थलग ,,साधु
वस्त्रधारी ,तपेन्द्र कुमार के हुलिए से कोई नहीं कह सकता के यह शख्सियत
महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर तैनात रहकर ,कढे फैसले लेने वाले अधिकारी रहे
है ,सिर्फ मुंग की दाल ,मसूर की दाल ,उड़द की दाल और सादी चपाती ही इनका
भोजन है ,पहनावा धोती , अंगोछा ,सर पर पगड़ी ,सर के बालों की नियमित सफ़ाई
, इनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी है ,,सुबह प्राणायाम ,ईश्वरीय वाणी वेदों का
अध्ययन , उपनिषदों का अध्ययन ,,,सब्र ,शुक्र ,और एकेश्वर वाद के
सिद्धांत पर भरोसा ,यही इनकी ज़िंदगी है ,,अपनी दिनिचर्या ,अपने फेसलो से
प्रसन्नचित ,तपेन्द्र कुमार अपने दोनों पुत्रों के गोल्ड मेडेलिस्ट
हाईकोर्ट ,सुप्रीमकोर्ट के सफलतम वकील होने पर नाज़ करते है ,तपेंद्र कुमार
जिन्होंने राजस्थान की प्रशानिक सेवाएं ईमानदारी से संभाली हो ,जिन्होंने
सियासत ,दुनियादारी को नज़दीक से देखा हो ,इतने सब अनुभवो के बाद ,वर्तमान
नफरत के माहौल से त्रस्त है दुखी है ,,बदलते माहौल में हर मुद्दे पर सिर्फ
सियासत ,सिर्फ वोटों से जोड़कर मुद्दों को भुनाने के प्रयास ,मिडिया
,अखबारों के रवैये से वोह दुखी है ,उन्होने क़रीब दो साल से कोई अखबार
नहीं पढ़ा ,टी वी नहीं देखा , मोबाइल का उपयोग सिर्फ परिवार की आवश्यक खेर
खबर के लिए ,,यही उनकी ज़िंदगी के सुकून का सच है ,उन्होंने कई आर्टिकल
लिखे ,,कई रचनात्मक लेख प्रकाशित करवाए ,,वोह कहते है लिखने का शोक भी
ज़रूरत भी है ,लेकिन वर्तमान हालातों में क्या लिखे ,किसके लिए लिखे ,कोई
सच सुनने को ,सच देखने को तय्यार ही नहीं ,सिर्फ सियासत में वोटों के लिए
कुछ भी करेगा की भागदौड़ चल रही है ,,सच एक वरिष्ठतम प्रभावशाली ,ईमादार आई ऐ
एस ,भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी तपेंद्र कुमार से मिलकर ,उनके विचार
जानकर ,उनकी जीवनशैली में सब ,शुक्र का सिद्धांत देखकर में प्रभावित हुए
बगैर नहीं रह सका ,में ऐसी शख्सियत को सेल्यूट न करूं ,सलाम न करू तो यह
मेरी खुदगर्ज़ी होगी वोह भी जब ऐसी शख्सियत ने मुझे ,मायूसी के हालातों में
एक नई रौशनी की राह अपने सादा जीवन उच्च विचार से दिखाई हो ,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान

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