आपका-अख्तर खान

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21 दिसंबर 2019

जी हाँ दोस्तों ,इस पुर लुत्फ़ सुबह के मायने ,,आज़ादी की जंग ,और आज़ादी की ख़ुशी से है ,,

तुम क्या जानो
खुशनुमा सुबह का लुत्फ़
तुमने रात घटाटोप
अँधेरी देखी हो
तो तुम्हे पता चले ,,
तुम इस सुबह को यूँ
मटियामेट न करो
यह खुशनुमा सुबह
तुम्हारी भी है ,हमारी भी है ,,,,
जी हाँ दोस्तों ,इस पुर लुत्फ़ सुबह के मायने ,,आज़ादी की जंग ,और आज़ादी की ख़ुशी से है ,,यह आज़ादी जो हमारी ,बेहिसाब क़ुर्बानियों का इनाम है ,यह आज़ादी बहादुर शाह ज़फ़र की रंगून जेल ,फांसी ,उसके बेटों के कटे हुए सर उसे नाश्ते के नाम पर ट्रे में सजाकर देने के दर्द का इनाम है ,,किसी मुखबीरी ,किसी सरकारी गवाह बनकर ,,हांसिल की गयी यह आज़ादी नहीं है ,,महत्मा गांधी की अहिंसा ,उनके उपवासों ,भूखहड़तालों ,सुभाषचंद्र बोस की क्रान्ति ,चंद्रशेखर आज़ाद ,बिस्मिल ,अशफ़ाक़ुल्ला खान की फांसी का नतीजा है यह आज़ादी ,कोटा में गोर अँगरेज़ मेजर बर्टन का ज़ुल्म खत्म कर ,कोटा आज़ाद कराने वाले ,लाला जयदयाल ,,महराब खान ,सोहराब खान ,हर दयाल की क़ुरबानी का नतीजा यह आज़ादी ,यह भारत रत्न ,यह पद्मश्री ,,यह इनामात तुम्हे इसीलिए मिले है के लालकिला जो बना हुआ है उस पर तिरंगा फहराने का जश्न है आज़ादी ,,इसे यूँ न रोंदों यारों ,इस आज़ादी को यूँ तबाह मत करो यारों ,इस आज़ादी को हिन्दू ,मुस्लिम की नफरत में मत बांटो यारो ,,तुम हुकुमत में हो ,,तुम हुकूमत में कैसे आये ,बहस का विषय नहीं ,क्यों की जैसे भी आये ,जिन हालातों में भी आये ,तुम हुकूमत में हो ,प्रचंड बहुमत से हुकूमत हो ,,तुम राज करो ,राजधर्म निभाओ ,शरारतें मत करो ,हुकूमत बेहतर से बेहतर चलाने की कोशिशें करो ,अपनी नाकामयाबियों को छुपाना ,देश के क़िले ,,स्टेशन ,एयरपोर्ट ,कंपनियां बेचने की हक़ीक़त को छुपाने के लिए ,भूख ,गरीबी ,बेरोज़गारी ,,आर्थिक तंगी ,आर्थिक मंदी , कालाबाज़ारी ,,मूलयवृद्धि ,जमाखोरी ,अम्बानी उद्योगपति की ठगी अधिक मूलयवृद्धि मुनाफ़ाखोरी को छुपाने के लिए प्लीज़ शरारतें न कीजिये ,वोह कीजिये जिससे देश ,देश के निवासियों को फायदा हो ,,शरारतें सिर्फ आग लगाती है ,हम जलेंगे , तबाह होंगे ,तो तुम भी झुलसोगे ,,तुम भी हमारी तबाही पर आंसू बहाओगे ,,तुम्हारे अपने समर्थक ,अखंड भारत का सपना देखते है ,,वोह बांग्लादेश ,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान ,, चीन ,वही चीन जिसके खिलाफ हमारे भारत की ज़मीन दबाये रखने के बाद भी आपकी छत्तीस इंच की छाती ,आपकी जुबान उस हिस्से को मुक्त कराने के लिए एक मिनट भी न फूली न एक अलफ़ाज़ चीन के खिलाफ निकला ,उस पूरी ज़मीन को तुम्हारे अपने वैचारिक लोग , जो अब हाफ से फुल पर है ,सत्ता में नहीं आने की क़सम खाकर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता में है ,उनके अखंड भारत के सपने का क्या होगा ,सिर्फ गिनती के लोग ,जो उत्पीड़ित है उन्हें देश में देश के निवासियों का हक़ काटकर ,उन देशवासियों से पूंछे बगैर ,रेफरेंडम कराये बगैर ,देशवासियो का हक़ उनसे छीनकर दूसरों में जो बाहर से आये है ,,कैसे हम बाँटने देंगे ,हिम्मत है तो हमारे देश में पाकिस्तान जोड़ो ,,बांग्लादेश हमारे देश में शामिल करो ,अफगानिस्तान फिर से हमारा बनाओ ,चीन के जबड़ों से हमारे भारत की ज़मीन छुड़वाओ ,कश्मीरी पंडितों को फिर से सपरिवार इज़्ज़त के साथ ,कश्मीर में बसवाओ ,,उद्योग लगवाओ ,,गरीबी हटाओ ,,रोज़गार दो ,बेटियों को सुरक्षा ,दो मुफ्त शिक्षा की व्यवस्थाएं करो ,,मज़हबी नफरत की जगह मोहब्बत की बात करो ,यूँ मुद्दे भटकाने लिए प्लीज़ शरारतें न करो ,तुम्हारे अपने सहयोगी संगठन जिसके बल पर सरकार में आये हो ,उसका नारा अखंड भारत का सपना तुमने चकनाचूर कर दिया , उनको मुगालते में तुम रखते हो ,वोह सत्ता ,मौजमस्ती के लालच में गुमराह होकर तुम्हारे साथ हो सकते है ,, लेकिन हमारी संस्कृति ,हमारा संविधान ,,हम टूटने नहीं देंगे ,तुम्हारा शुक्रिया ,,शुक्रिया , जो तुम्हारी यह शरारतें जो कुछ साल तक सिर्फ मोबलिंचिंग ,नफरत , मज़हबी उन्माद ,लव जेहाद ,सहित सैकड़ों जुमले को उफानकर देश की तस्वीर को खतरनाक बनाती रही ,तुम्हारी इस आखरी शरारत ने ,देश को फिर से एक धागे में पिरोना शुरू कर दिया है ,जो बहके हुए थे वोह समझ गए ,हमे आपस में लढाकर ,अंग्रेज़ों की तरह डिवाइड ऐंड रूल की पॉलीसी चरम सीमा पर है ,,आज ,अमीर ,हो ,गरीब हो ,व्यापारी हो ,हिन्दू हो ,मुस्लिम हो ,सीख हो ,क्रिश्चियन हो सभी तो आपके खिलाफ है ,जो आपके अपने है ,,जो आपसे लाभांवित ,है आपकी नौकरी कर रहे है ,वोह आपका साथ देने के नाम पर आपकी ताक़त बनने की बात करेंगे ,,आपसे विरोध प्रदर्शन की बात करेंगे ,लेकिन ज़रा सोचो ,,तुम सरकार में हो ,तुम्हारा धर्म ,राजधर्म निभाना है ,टकराना नहीं ,अपनी ज़िद पूरी करना नहीं ,,देश के सभी लोग तुम्हारे है ,,देश में बाहर से अगर कोई विकट परिस्थितियों में आया है तो वोह तुम्हारे है ,सभी के साथ एक व्यवहार एक क़ानून ,,हमारे संस्कृति है ,हमारा संविधान है ,फिर हमारा हिस्सा ,किसी में बाँटने के पहले हमसे पूंछो तो सही ,सिर्फ तुम गिनती के लोग जो पार्लियामेंट ,जो राज्यसभा में बैठकर ,वाक् आउट ,खरीद फरोख्त ,अनुपस्थिति के नाम पर करोड़ो करोड़ कमाकर मनचाहा क़ानून जो पारित करवाते हो ,उससे अगर हम प्रभावित ,है ,अगर हमारा हिस्सा जा रहा है ,तो हम हमारे हिस्से का ज़र्रा भर हक़ भी किसी दूसरे के लिए आपकी शरारत के लिए छीनने नहीं देंगे ,तुम्हारे हाथों में बंदूके है ,जेल के सलाखे है ,,फांसी के फंदे है ,क़ानून है ,,प्रताड़ना की अक़्ल है ,लेकिन ,यह हक़ की बात है ,यह देश को बचाने की बात है ,,इसके लिए जो होगा देखा जाएगा ,,देश ने तुम्हे वाल्मीकि समझा ,,देश ने समझा वाल्मीकि जब अपने अतीत को भुलाकर ,रामायण जैसा महाग्रंथ लिख सकते है ,तो तुम भी अपने अतीत को भुलाकर ,देश के साथ इंसाफ करोगे ,देश का विकास करोगे ,यह सब नहीं जो अपने अतीत के वातावरण को फिर बदले की भावना से आप कर रहे हो ,,अरे बख्शो इस देश को ,अरे बदलों अपने आप को ,,देश को जलने से बचाओ ,देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाओ ,देश को मेरा ,तेरा ,नहीं ,देश को हमारा बनाओ ,,तुम हुकूमत में ,हो हुकूमत चलाओ ,लेकिन चलाओ ,जलाओ नहीं ,फिर भी सेल्यूट तुम्हे ,जो तुम्हारी यह शरारत ,,देश के काम आयी ,देश में जो नफरत का माहौल था ,वोह प्यार में मोहब्बत में बदल रहा है , क़ौमी एकता के नारे है ,सभी लोग ,,धर्म ,मज़हब की मर्यादाये तोड़कर ,,इस शरारत के खिलाफ एक जुट हुए ,है शुक्रिया ,शुक्रिया ,,खासकर तुम्हारी इन शरारतों ने ,चाहे देश को भूखे मारा हो ,चाहे देश की तरक़्क़ी रोक दी हो ,चाहे देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वुजूद कम किया हो ,,भूख ,गरीबी ,बेरोज़गारी ,आर्थिक विकास रोक दिया हो ,,लेकिन एक वर्ग ,उस वर्ग में से भी भोंपू वर्ग ,आपका प्रचारक वर्ग ,समझगये न प्रचारक वर्ग ,,हरा भरा हो गया ,कंगाल से करोड़ पति ,अरब पति हो गया ,कई पुरस्कार ,किए सम्मान ,सरकारी खर्च पर कई सुरक्षाए सुविधाये उन्हें मिलगई ,वोह ज़हर फैला रहे ,है अभी भी आपके ही इस्तेमाल में है ,लेकिन एक इल्तिजा है ,,एक दरख्वास्त है ,प्लीज़ एक बार ,कुर्सी कुर्सी ,,के सुकून को छोड़कर देश के इन हालातों ,यानी ,भूख ,गरीबी ,आर्थिक तंगी ,विकास ,,उद्योगों के हालात ,राष्ट्रिय अस्मिता ,,चीन द्वारा क़ब्ज़े में ली गयी ज़मीन ,,बेटिओं की सुरक्षा ,,शिखा ,रोज़गार ,जमाखोरी ,, भ्राष्टाचार ,क़ानूनव्यवस्था ,जनता के अधियकरों के बारे में ज़रूर सोचियेगा ,यही आपका राजधर्म है ,हम भी आपके ऐसे मामलों में साथ है ,इसलिए बदलो ,प्लीज़ खुद को बदलो ,, मेरे लिए नहीं ,,हमारे लिए नहीं ,,प्लीज़ देश के लिए बदलो ,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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