टोंक की मासूम के हत्यारे दरिंदे को गिरफ्तार कर लिया गया ,हैदराबाद के
हत्यारे दरिंदों को गिरफ्तार कर लिया ,गया ,सिस्टम के खिलाफ गुस्सा उठा फिर
शांत हो गया ,हर रोज़ ,हर माह ,नियमित यह दरिंदगी लगातार हो रही है ,हमारा
वही जोश ,वही गुस्सा ,वही आक्रोश ,फिर खामोशी और फिर घटनाये ,,कुछ अजीब
नहीं लगता ,कुछ हमारे कमज़ोरी नहीं लगती , कुछ सिस्टम की कमी नहीं लगती
,,अखबार खबर देते है ,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कुछ लोगों को बिठाकर मुर्गे
लड़ाते है ,आरोप ,प्रत्यारोप होते है ,लेकिन रचनात्मक विचार नहीं ,आते
रचनात्मक सुधार नहीं होता ,झालावाड़ में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया
के क्षेत्र में इनके कार्यकाल में जो मासूम के साथ दरिंदगी हुई ,उसी कारण
उसी तर्ज़ पर टोंक की बेटी के साथ हैवानियत की पराकाष्ठा है ,सरकार क्या
करे ,सरकार ने पुलिस ,महिला पुलिस ,शांति समिति ,सी एल जी ,ज्वेनाइल पुलिस
यूनिट ,बाल कल्याण समिति ,महिला आयोग ,बाल कल्याण आयोग ,स्कूलों में
अभिभावक समिति ,शैक्षणिक संस्थाओं में समिति ,मंत्रालय ,गश्ती दल , पुलिस
बीट प्रणाली सभी तो बनाई हुई है ,,फिर यह घटनाये ,घटनाओ पर घटनाये क्यों हो
रही है ,जवाब क़ानून की पालना में इच्छा शक्ति की कमी ,जो सिस्टम सरकार के
,है ,जो समितियां ,जो आयोग ,है वोह रस्म अदायगी ,हंसी मज़ाक़ ,राजनीतिकरण
,आरोप प्रत्यारोप ,अख़बार मीडिया की ज़िम्मेदारी इन संस्थाओं की वार्षिक
,दैनिक ,मासिक ,पाक्षिक रिपोर्ट लिखने की नहीं रही ,अख़बार , इलेक्ट्रॉनिक
मिडिया आयोगों ,संस्थाओ ,समितियों ,पुलिस ,ज्वेनाइल यूनिट ,वगेरा ने क्या
नहीं किया यह देखना ही नहीं चाहते हर संस्था ,,,हर व्यवस्था कुछ चापलूसों
के घेरे में है ,अफसरों को बुलाया ,फोटो खिंचायी ,अख़बारों में खबर और नतीजे
के नाम पर ज़ीरो ,,बस यही तो चल रहा है ,,क्या स्कूलों में ,थानों में
,संथाओं में सुप्रीमकोर्ट के मार्दर्शन लागु है उनकी क्रियान्विति हो रही
है ,क्या महिला आयोग अपना काम ईमानदारी कर रहा है ,या बालकल्याण आयोग
ईमानदारी से अपने काम में लगा है ,,क्या बालकल्याण समितियां अपना काम
ईमानदारी से कर रही है ,शिक्षा समितियां ,ज्वेनाइल यूनिट ,समाज कल्याण
विभाग ,बाल कल्याण अधिकारी ,हॉस्टल वार्डन ,बाल कल्याण समाजसेवी संस्थाए
क्या कर रही हैं ,उन्हें क्या करना चाहिए क्या कभी किसी अख़बार में किसी
इलेक्ट्रॉनिक चैनल में इस मामले में रिपोर्ट कार्ड की खबर देखी क्या कभी इस
मामले में विधानसभा ,लोकसभा में किसी नेता द्वारा प्रश्न उठाकर बहस होने
के बारे में सुना नहीं ना , जनाब बाल कल्याण समितियों को अधिकार है के वोह
अगर कोई स्कूल के आस पास शराब खाने है तो उनकी रिपोर्ट तैयार करे हठवाये
,अगर कोई बच्चे को मदकपदार्थ ,तम्बाकू युक्त पदार्थ ज़र्दा ,सिगरेट ,बीड़ी
वगेरा भी कोई अगर बेचता नज़र आये तो उसके खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर सजा दिलवाने
,जेल भिजवाने ,,जुर्माना करवाने का कर्तव्य है क्या कभी आपने किसी बाल
कल्याण समिति को ऐसा करते सुना है ,,देखा है ,क्या बाल कल्याण आयोग की टीम
को अचानक ,आकस्मिक किसी संस्था ,किसी शेलटर होंम ,, किसी स्कूल ,किसी
कोचिंग संस्थान ,या बालकल्याण समाजसेवी संस्थाओं के यहाँ आकस्मिक छापामार
कार्यवाही के बारे में सूना है ,क्या कभी आपने किसी मानवाधिकार आयोग के
किसी दल को ,बिना किसी सूचना के आकस्मिक किसी थाने में छापामार जांच
कार्यवाही करते सुना है ,क्या किसी संसदीय समिति ,,किसी विधानसभा समिति के
सदस्यों को अचानक कहीं भी ऐसी छापामार कार्यवाही करते सुना ,है किसी अख़बार
का स्टिंग ऑपरेशन देखा ,है किसी कलेक्टर किसी पुलिस अधीक्षक की छापामार
कार्यवाही देखी है ,राज्य बाल कल्याण समितियां ,जिला बालकल्याण समितियों को
किसी भिखारी उद्योग में लगे बच्चों को रेस्क्यू करते सुना है ,किसी ज़र्दा
तम्बाकू खाते बच्चों उन्हें ऐसे पदार्थ उपलब्ध करवाने वालों के खिलाफ
मुक़दमा दर्ज करवाने की बात सुनी है नहीं न यह सब इनके कर्तव्य है ,लेकिन यह
सब रस्म आदायगी ,,दिखावा मात्र बन कर रह गया है ,हम भी नागरिक होने का
कर्तव्य कहाँ निभा रहे है ,पुलिस को सुचना नहीं देते ,अवसर पढ़ने पर गवाही
से भाग जाते है ,,अदालत में गवाही से मुकर जाते है ,,तो जनाब हम
कर्तव्यबद्ध बनेंगे तो फिर यह हेवानियत चाहे खत्म न हो लेकिन कम तो होगी इस
हैवानियत को फांसी अगर न भी मिले तो मृत्यु होने तक जेल तो मिलेगी ,आप हम
सब मिलकर अपने अपने कर्तव्य निभाए ,खासकर मीडिया हिन्दू ,,मुस्लिम ,मंदिर
,मस्जिद छोड़कर ,,भूख ,गरीबी ,रोज़गार ,भरस्टाचार सिस्टम की लापरवाही
,,ज़िम्मेदार संस्थाओं की कर्त्यवहीनता का पोस्टमार्टम करे ,स्टिंग करे तभी
यह सब सम्भव है वर्ना हमारी कर्तव्यहीनता का दंड इन बेटियों को ,मासूम
बेटियों को भुगतना पढ़ता है ,प्लीज़ इन्हे बचा लो ,,, इन्हे बचा लो ,, अख्तर
खान अकेला कोटा राजस्थान

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