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21 अक्तूबर 2019

भारत रत्न की बात हो रही है ,,

भारत रत्न की बात हो रही है ,,,,1857 की क्रान्ति की बात हो रही है ,,तो दोस्तों ,अगर ईमानदारी है ,तो फिर भारत रत्न के हक़दार ,बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र ही तो है ,जिन्होंने अंग्रेज़ों की अधीनता स्वीकार नहीं की ,अंग्रेज़ों के खिलाफ भारत को आज़ाद कराने की जंग के वोह सिपहसालार बने ,,उन्हें रंगून काला पानी की सज़ा देकर क़ैद किया गया ,फिर से अधीनता स्वीकार कर ,,अगंरेजों ने उन्हें बादशाहत देने की पेशकश की ,उन्होंने स्वीकार नहीं किया ,, नतीजा एक बादशाह को अँधेरी कोठरी में ,नाश्ते में एक ख्वान यानी बढ़ी थाली में दस्तरख्वान से ढके ,उसके बेटों के कटे सर अंगरेज़ों दिए ,देश के लिए ,देश की आज़ादी की जंग के लिए यह बादशाह टुटा नहीं ,और मरना मंज़ूर किया , वरना और राजा ,महाराजाओं की तरह आज इनके भी वारिस महलों में रह रहे होते ,,ऐश कर रहे होते ,सियासत में होते ,,न किसी की आँख का नूर हूँ ,न किसी के दिल का क़रार हूँ ,दो गज़ ज़मीन भी न मिल सकी कुए यार में ,अगर ईमानदारी से ,भारत रत्न का चयन करना चाहते हो तो दिल पर हाथ रखकर खुद से पूंछो क्या बहादुर शाह ज़फ़र उनकी इस क़ुर्बानी के लिए अंग्रेज़ों के खिलाफ पहली आज़ादी की क्रान्ति ,पहली जंग के नेतृत्व के लिए हकदार नहीं ,है ,, मज़हब की नफरत एक तरफ रख दो यारो ,हम सब हिन्दुस्तानी है ,ज़रा धड़कते दिल से पूंछो तो यारों ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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