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27 अक्तूबर 2019

केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा मदद कम मिलने से अभी तक पैराटीचर्स के वेतनमान बढ़ाने सहित ,मदरसा मॉडर्नाइजेशन वगेरा मामले में ख़ास फैसले नहीं हो पा रहे है

राजस्थान मदरसा शिक्षा क्षेत्र में ,,केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा मदद कम मिलने से अभी तक पैराटीचर्स के वेतनमान बढ़ाने सहित ,मदरसा मॉडर्नाइजेशन वगेरा मामले में ख़ास फैसले नहीं हो पा रहे है ,फिर भी राजस्थान सरकार मुख्यमंत्री अशोकगहलोत के निर्देशों पर मदरसा शिक्षा को स्वावलम्बी बनाने ,आधुनिकीकरण करने सहित कई भविष्यगामी योजनाओं को लेकर चिंतित है और उनके निर्देशों पर शीघ्र ही राजस्थान मदरसा शिक्षा का मॉडल ,,राष्ट्रिय स्तर पर सब राज्यों से अलग होने जा रहा है ,राजस्थान में पुरे पांच साल में पूर्व भाजपा सरकार ने मदरसा शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया , केंद्र और राजस्थान में भाजपा सरकार की कढ़ी से कढ़ी मिली होने के बावजूद भी कुछ नया नहीं हुआ ,मदरसा पेराटीचर्स का मानदेय नहीं बढ़ाया गया ,सुविधाये नहीं दी गयी ,मदरसा बोर्ड को वैधानिक दर्जा देने की कोई पहल नहीं की गयी ,,पुरे पांच सालों में मदरसों को आतंकवादी गतिविधियों वाला केंद्र कहकर प्रश्नगत किया जाता रहा ,उनकी जांचों के नाम पर उत्पीड़न होता रहा ,,लेकिन एक पैराटीचर्स की भी नयी नियुक्ति नहीं हुई ,जबकि कम्प्यूटराइजेशन का पूर्व अशोक गहलोत सरकार काद्वारा क्रियान्वित की गयी योजनाओं का , सपना भी साकार नहीं हुआ ,,मदरसा पैराटीचर्स के मानदेय में भी आंशिक वृद्धि तक नहीं की गयी , इन सब के बावजूद अफ़सोस यह रहा ,,प्रतिपक्ष के नाते विधानसभा में मदरसा शिक्षा पर कोई आवाज़ नहीं उठाई गयी ,मदरसा शिक्षा से जुड़े संघर्षशील लोगों ने कोई धरने प्रदर्शन विरोध करके सरकार पर दबाव नहीं बनाया ,खेर ऐसे लोगों की सियासी मजबूरियां होंगी ,, लेकिन जो होना था वोह हो गया अब तो केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय पर दबाव बनाकर राजस्थान सरकार को मदरसा शिक्षा के लिए अतिरिक्त बजट दिलवाने की कोशिशें की जा सकती है ,कोटा के लोकसभा अध्यक्ष है ,,,राष्ट्र्वादी मुस्लिम मंच के कई नेता है ,पूर्व केबिनेट मंत्री यूनुस खान के कई नज़दीकी लोग ,है ,, जो केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी पर दबाव बनवाकर राजस्थान को मदरसों के लिए अतिरिक्त ग्रांट मदद दिलवा सकते है ,, खेर केंद्र और पूर्व सरकार को जो करना था ,कर दिया ,लेकिन अब राजस्थान के मदरसों ,और मदरसा पैराटीचर्स की सिसकियाँ उनकी आहें ,, उनकी तकलीफें ,,न्यूनतम मानदेय पर पैराटीचर्स के परिवार पालने की तकलीफें ,अशोक गहलोत सरकार ने समझा है ,जाना है ,मदरसा शिक्षा को स्वायत्ता देने के लिए ,वैधानिक दर्जा देकर क़ानून पारित किया गया है ,उसमे कई कमज़ोरियाँ है ,जिन्हे दूर करना भी ज़रूरी ,है ,, मदरसों के मॉडर्नाइजेशन ,कुशल प्रबंधन ,बच्चों के उच्च शैक्षणिक विकास के लिए राजस्थान सरकार को अब शीघ्र कार्ययोजनाएं तैयार कर मदरसों के पैराटीचर्स के मानदेय में वृद्धि करना ज़रूरी हो गया है ,जबकि पुराने पैराटीचर्स को स्थाईकरण कर उनके सरकारी कर्मचारी के तहत वेतनमान करने का लक्ष्य भी सरकार को पूरा करना होगा ,,नए मदरसों का पंजीयन साक्षरता के आनुपातिक आधार पर ,,नए पेराटीचर्स की नियुक्तियां ,,,भी ज़रूरी है ,,मदरसा शिक्षा सिर्फ मुसलमानों की रोज़गार की शिक्षा नहीं है ,,मदरसा शिक्षा में आरक्षण व्यवस्था लागू होने से सैकड़ों पैराटीचर्स मुस्लिम समाज के आलावा दूसरे समाजों के भी है जो लगातार कार्यरत है ,,यद्धपि ,उर्दू के साथ अरबी ,दिनी तालीम के उस्तादों की नियुक्तियां मदरसों में होना थीं , लेकिन एक मदरसा चेयरमेन की खामोशी की वजह से यह सिस्टम बिगड़ गया ,,अब ज़रूरत है व्यवस्थाओं में सुधार की ,पेराटीचर्स और मदरसों के प्रंबधन में पूर्व में किये गए भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की ,वर्तमान मदरसा प्रंबधन में इमान्दाराना संचालन ,,भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की ,,वर्तमान सरकार के पहले बजट में मदरसा पैराटीचर्स को उम्मीदें थी उन्हें झटका लगा ,,अतिरिक्त बजट नहीं दिया ,मानदेय नहीं बढ़ाया गया ,ऊंट के मुंह में जीरा वाले कहावत चरितार्थ हुई ,वर्तमान में मदरसा शिक्षा को भ्रष्टाचार मुक्त करने ,, कुशल प्रबंधन करने ,बजट का सदुपयोग करने ,मदरसा शिक्षा के ज़रिये स्वरोजगार योजनाए ,,आधुनिक शिक्षा ,,सहित साक्षरता की अलख जगाने के लिए ,पहले की नियुक्तियों की तरह गलतियां न हो ,समझदार ,असरदार ,ज़िम्मेदार व्यक्ति को ज़िम्मेदारी दी जाए ,अतिरिक्त बजट दिया जाये ,, राजस्थान हाईकोर्ट ने एक मामले अपने फैसले में सरकार को पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच के निर्देश भी दिए है ,मदरसों की जांच हो ,,,मदरसों में बच्चे पढ़े ,मदरसों में शैक्षणिक स्तर सुधरे ,,मदरसों का आधुनिकीकरण हों ,मदरसा पैराटीचर्स का मानदेय वर्तमान महंगाई दर के आनुपातिक आधार पर बढ़े ,,पुराने पैराटीचर्स का स्थाईकरण हो ,,नए पैराटीचर्स ,कम्प्यूटर टीचर्स की ईमानदारी से नियुक्तियां हों ,ट्रांसफर् , पोस्टिंग ,कम्प्यूटर वितरण में जो भ्रस्टाचार पहले हुए है ऐसा भ्र्ष्टाचार न हो इसके लिए ,राजस्थान के गाँधी ,,ईमानदारी के पर्याय ,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कठोर क़दम उठाना होंगे ,पूर्व के भ्रष्टाचार की जांच हों ,नया भ्रष्टाचार न हो ,पैराटीचर्स के चेहरे पर अपने परिवार के पालन के लिए स्थाईकरण कर ,मानदय बढ़ाकर एक नई रौशनी उनके चेहरे पर लायी जाए एसा तत्काल होना ही चाहिए ,केंद्र सरकार से मदद की गुहार हो ,खुद राजस्थान सरकार अपने हिस्से की साक्षरता कार्यक्रम के बजट से यह व्यवस्थायी लागू करे ,, क्योंकि वर्तमान विधायकों और इस समाज के प्रतिनिधियों से तो इस मामले में उम्मीद करना बेकार है ,वर्तमान मुस्लिम निर्वाचित प्रतिनिधियों में विज़न नहीं है ,पैराटीचर्स सहित दूसरी समस्याओं पर हक दिलवाने की सिफारिश करने की भी हिम्मत नहीं है ,हाल ही की विधानसभा में विधायिका चंद्रकांता मेघवाल ने पैराटीचर्स को लेकर प्रश्न उठाया था ,मेने कई मुस्लिम विधायकों से प्रार्थना की थी ,एक वर्तमान नए कोंग्रेसी विधायक साहिब ने तो मुझ से प्रश्न भी बनवाकर मंगवाये ,लेकिन अफ़सोस विधानसभा में वोह प्रश्न नहीं उठाये गए ,मुस्लिम विधायकों की स्थिति तो बस अल्सपंख्यक कल्याण का विज़न है ही नहीं ,अल्पसंख्यकों को प्रमाण पत्र बनवाने में क्या दिक़्क़ते आ रही है ,,छात्र वृत्ति में क्या समस्या है ,साक्षरता योजनाओं में अल्पसंख्यक भागीदारी कितनी है ,पन्द्रह सूत्रीय अल्पसंख्यक कल्याणकारी कार्यक्रमों की क्रियान्विति रिपोर्ट क्या है ,, मदरसा पैराटीचर्स को मानदेय बढ़ा हुआ क्यों नहीं मिला ,अल्पसंख्यक ऋण योजनाओं की क्या स्थिति है ,,मदरसा पैराटीचर्स का स्थाईकरण क्यों नहीं हुआ ,नयी नियुक्तियां क्यों हुई ,उर्दू स्कूलों में क्यों लुप्त हो रही है ,,उर्दू को बढ़ावा कैसे दिया जाए ,,वक़्फ़ सम्पत्तियों के अतिक्रमण ,कुपबंधन ,भ्रस्टाचार के हालात क्या है ,इससे इन निर्वाचित प्रतिनिधियों का शायद वास्ता नहीं है ,,इन्हे फोन कीजिये ,तो जवाब नहीं मिलेगा ,एक दो विधायकों को छोड़ दे तो बाक़ी विधायक तो फोन पर बात करना भी मुनासिब नहीं समझते ,,फोन स्विच ऑफ़ ,साहब मीटिंग में है ,,बस यही जुमले सुनने को मिलते है ,, खेर विधायक हमारे समाज के होकर भी अगर अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाए तो भी क्या ,हमारे पास आदर्श मुख्यमंत्री ,ईमानदार मुख्यमंत्री ,अल्पसंख्यक शिक्षा साक्षरता का विज़न रखने वाले अशोक गहलोत है ,पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट है ,निश्चित तोर पर अशोक गहलोत और सचिन पायलेट की जुगल जोड़ी जल्दी ही इन समस्याओं के निदान के साथ ,अल्संख्यकों के लिए कल्याणकारी तोहफे देने में पीछे नहीं हटेंगे ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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