एक अख्तर , जो अब्दुल क़य्यूम है ,, राजस्थान में ही नहीं ,पुरे हिंदुस्तान
में ,,अल्पसंख्यक ,दलितों में शिक्षा ,,अत्याचार ,क़ानूनी अधिकार , विधिक
साक्षरता ,, खुद के अधिकारों के लिए संवैधानिक संघर्ष के लिए ,एकजुटता को
लेकर ,जागरूकता कार्यक्रम चलाने के प्रयासों में जुटे है ,,इसके पूर्व
अब्दुल क़य्यूम अख्तर ,प्राइवेट मदरसा बोर्ड का मॉडल बनाकर ,पुरे राजस्थान
में ,साक्षरता अभियान के लिए ,तालीमी कारवाँ निकाल चुके है ,, जी हाँ
दोस्तों , इनकम टेक्स सहित दूसरे व्यापारिक क्षेत्रों में वकालत का लम्बा
अनुभव रखने वाले ,अब्दुल क़य्यूम अख्तर अपनी सभी व्यस्तताओं के बावजूद ,,
देश में चल रहे हालातों के खिलाफ लोगों को इंसाफ दिलाने को लेकर संघर्षरत
रहते है ,,अब्दुल क़य्यूम अख्तर यूँ तो किसी भी परिचय के मोहताज नहीं ,
लेकिन एक कामयाब वकील के साथ ,आप एक कामयाब समाजसेवक ,कामयाब नेतृत्व भी है
,,अब्दुल क़य्यूम अख्तर ,राजस्थान में वक़्फ़ सम्पत्ति के रखरखाव ,संरक्षण को
लेकर काफी सक्रिय रहे है ,इनकी सक्रियता को देखकर ,राजस्थान सरकार ने
इन्हे जुलाई 1978 से पूरे पांच साल अक्टूबर 1982 तक राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड
चेयरमेन की ज़िम्मेदारी सौंपी ,इनके कार्यकाल में वक़्फ़ सम्पत्तियों का
सर्वेक्षण हुआ ,व्यवसायिक उपयोग होकर उनके किराया आमदनी में वृद्धि हुये
,वक़्फ़ बोर्ड के ज़रिये छात्र छात्राओं को शिक्षा छात्रवृत्ति और आर्थिक मदद
का दौर शरू हुआ ,,अल्लाह की राह में सम्पर्पित वक़्फ़ सम्पत्ति का रखरखाव का
बेहतर प्रबंधन का प्रयास किया ,सर्वेरिपोर्ट तैयार हुई ,,सम्पत्ति को
अतिरकमणकारियों से छुड़ाने के प्रयास हुए और सरकार को भी महत्वपूर्ण सुझाव
दिए गये ,, अब्दुल क़य्यूम अख्तर ने जब राजस्थान के हर ज़िले का दौरा कर यह
जाना के उनकी कॉम अभी पिछड़ी हुई है ,दबी हुई है ,तो उन्होंने पुरे राजस्थान
में साक्षरता जागरूकता कार्यक्रम की ज़िम्मेदारी अपने हाथ में ली ,,घर घर
मदरसा शिक्षा को बढ़ावा दिया ,,छोटे बच्चे ,बच्चियों को साक्षरता के लिए
जागरूक किया ,पुरे राजस्थान में तालीमी कारवाँ के नाम से जुलुस जलसों का
आयोजन किया ,इस करवा में अब्दुल क़य्यूम अख्तर ने ,देश के लिए मर मिटने वाले
,देश की आज़ादी के लिए खुद को क़ुर्बान करने वाले मुस्लिम समाज के स्वतंत्र
सेनानियों को भी जिलेवार चिन्हित किया ,उनके इतिहास को प्रशासन ,,सरकार ,और
आम जनता तक पहुंचाया ,,, अब्दुल क़य्यूम अख्तर अपनी सभी मसरूफियत के
बावजूद भी ,साक्षरता कार्यक्रम का परचम बुलंद रखकर राजस्थान में निजी स्तर
पर मदरसों के पंजीयन करवाकर ,मदरसा शिक्षा के नाम पर बच्चों को पढ़ाने के
लिए मोटिवेशन चलाते रहे ,, अब्दुल क़य्यूम अख्तर कहते है में कुछ नहीं ,
लेकिन सच्चाई यह है ,के अब्दुल क़य्यूम अख्तर ,यूँ तो कुछ नहीं , लेकिन वोह
बहुत कुछ है ,राजस्थान की सोई हुई जनता ,खासकर मुस्लिम समाज को जागरूक
करने के लिए एक आइकॉन है , और वोह इस काम को ,लाख उलझनों ,परेशानियों
,इल्ज़ामात ,रोक टोक के बाद भी ईमानदारी से निभा रहे है ,, कहने को वोह गैर
सियासी है ,लेकिन हालात उन्हें धर्मनिरपेक्ष ताक़तों के सियासी समर्थन के
लिए मजबूर करते है ,लेकिन वोह हुकूमत में समर्थक होने के बावजूद भी बिना
किसी हील हुज्जत ,बिना किसी जी हुज़ूरी ,बिना किसी खौफ के ,, हुकूमत के
अलम्बरदारों की आँखों में आँखे डालकर ,समस्याओं के समाधान के लिए ,बिंदुवार
बहस करने ,सुझाव देने की हिम्मत रखते ,है अब्दुल क़य्यूम अख्तर आल इण्डिया
मिली कौंसिल के राष्ट्रिय महासचिव है ,,यह मुस्लिम परसनल लो बोर्ड में भी
अपना दखल रखते है , जबकि ,दलित ,अपल्पसंख्यकों में साक्षरता ,रोज़गार
,,स्वरोज़गार ,,उन पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ संघर्ष को लेकर बनी
समाजसेवी संस्थाओं के अब्दुल क़य्यूम अख्तर मार्गदर्शक है ,, अब्दुल क़य्यूम
अख्तर मोब्लिचिंग के खिलाफ सरकार के लत्ते लेते रहे है , जबकि दलित
अल्सपंख्यकों के पक्ष में सक्षरता ,स्वरोजगार ,नाइंसाफी को लेकर संघर्ष
करते रहे है ,, अब्दुल क़य्यूम अख्तर कहते है ,हमारे वोट ,हमारी सरकार
,लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व ,,टिकिटों के बटवारे में हमारी उपेक्षा हम
बर्दाश्त नहीं करेंगे ,वोह सियासी साक्षरता की तरफ भी मुस्लिम समाज ,दलित
समाज को लेकर कई गोष्ठियां ,कई सेमिनार ,बैठके आयोजित कर जागरूकता
कार्यक्रम चला चुके है ,अब्दुल क़य्यूम अख्तर का कहना है यह वतन हमारा है
,हमे यह वतन सो कोल्ड राष्ट्रभक्तों से कहीं ज़्यादा प्यारा है ,,, लेकिन
इस वतन की हुकूमत में ,सरकार में ,,संगठनों में हमे हमारी नुमाइंदगी चाहिए
जो हम लेकर रहेंगे ,,वोह कहते ,है दलित ,अल्पसंख्यक देश की रीढ़ की हड्डी
है ,,सब मिलकर देश के विकास ,सुरक्षा ,,जंग ऐ आज़ादी में हिस्सेदार है ,तो
फिर आज क्यों सच्चर रिपोर्ट हमारे हालातों को ललकारती ,है ,, क्यों सच्चर
रिपोर्ट आने के बाद भी हमारे हालातों को सुधारने के लिए हुकूमत कोई भी
कार्ययोजना तैयार नहीं करती है ,हमारी अधिक संख्या वाले क्षेत्रों में हमे
क्यों टिकिट नहीं दिए जाते ,अगर हमे पार्टियों से टिकिट मिलते है तो हमारे
वोट लेने वाली पार्टियों के दूसरे समाज के वोटर हमारे समाज के पार्टी के
टिकिट पर खड़े होने वाले उम्मीदवार को क्यों वोट डालते ,यह फ़र्क़ ,यह भेदभाव
हमे मिटाना होगा ,,अब्दुल क़य्यूम अख्तर अभी थके नहीं है ,वोह राजस्थान और
हिन्दुस्तान को इन मुद्दों पर जागरूक कर रहे है ,बहुत जल्द वोह राजस्थान के
हर ज़िले के जागरूक ज़िम्मेदार लोगों को लेकर ,,अल्पसंख्यक और दलित समाज को
बेदार यानी जागरूक करने के लिए ,,बेदारी कारवां ,यानी जागरूकता कार्यक्रम
की शुरुआत करने जा रहे है ,जिसमें ,शिक्षा के अधिकार ,,साक्षरता ,स्वरोजगार
,छात्रवृत्ति ,रोज़गार ,व्यवसाय संचालन में प्रशिक्षण ,सुरक्षा ,फ़र्ज़ी
मुक़दमों से बचाव ,,वक़्फ़ सम्पत्तियों के रखरखाव और उक्त सम्पत्ति से
अतिक्रमण मुक्त वक़्फ़ ,,सरकार ,,सियासी पार्टियों में हिस्सेदारी सहित कई
मुद्दों को लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जायेगा , उम्मीद है
,अब्दुल क़य्यूम अख्तर अपनी टीम के साथ एक जुट होंगे ,मज़बूत होंगे ,अल्लाह
उन्हें इस पाकीज़ा काम में कामयाबी अता फरमाए ,इसी दुआ के साथ इसी उम्मीद के
साथ ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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