राष्ट्रपिता महात्मागांधी की 150 वीं जयंती के कार्यक्रम ,,करोड़ों करोड़ के
विज्ञापन ,,गोष्ठियों की हज़ारो रिपोर्टिंग ,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट
मिडिया की खोजपूर्ण खबरे ,,लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को गाँधीवादी विचारधारा का समर्थक ,प्रचारक
,साबित करने के प्रयास में जुटे है ,तब उन्ही की पार्टी भाजपा के कोटा में
नगरनिगम बोर्ड के प्रबंधन में ,महात्मागांधी के आश्रम की दुर्गति के हालात
क्या है ,,, क्यों है ,यह हालात महात्मा गांधी की यादगार में बने इस आश्रम
भवन के कब सुधरेंगे ,इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ,,,प्रिंट मीडिया में
कोई खबर न हो तो मेरे आदरणीय भाइयों की जागरूकता पत्रकारिता कार्यक्रम के
तहत यह मोटिवेशनल पोस्ट करना ज़रुरी है ,, जी हाँ दोस्तों ,नाथूराम गोडसे
ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की कायराना हत्या की ,उनके अंतिमसस्कार के
बाद ,,महात्मा गांधी की अस्थियां ,दर्शन के लिए कोटा भी आयी ,कोटा महात्मा
गांधी स्कूल ,,और पुराने श्रीपुरा बस स्टेण्ड क्षेत्र में स्थित एक भवन में
रखी गयी ,जिसे एक स्मारक बना कर महात्मा गांधी आश्रम का नाम नगरनिगम कोटा
ने दिया , महात्मा गांधी की अस्थियों के कलश रामपुरा स्थित शिवदास घाट पर
विसर्जित किए गए ,,महात्मा गाँधी स्कूल तो महात्मा गांधी ही ,रहा ,,शिवदास
घाट पर महात्मा गाँधी के इस इतहास को जीवित रखने की कोई पहल नहीं की गयी
,जबकि महात्मा गांधी के नाम से बने महात्मा गाँधी आश्रम को श्रीपुरा मोटर
स्टेण्ड में ,,नाथूराम गोडसे की विचारधारा के पुनर्जीवित होने से बदल कर
,विकास भवन कर दिया गया ,,, इस भवन के मुख्य दरवाज़े पर आज भी वोह
ऐतिहासिक पट्टी लगी है जिसमे महात्मा गाँधी आश्रम ,निर्माण वर्ष और
अस्थियों के बारे में लिखा है ,,,लेकिन अब यह भवन महात्मा गाँधी की अस्थि
कलश रखने के बाद ,,एक ऐतिहासिक हो गया था ,,इस तथ्य को कोई नहीं जानता ,,बस
इसका नाम विकास भवन है ,और यह जर्जर हालात में है ,कभी शादी ब्याह के लिए
यह भवन उपयोग में आता था ,इससे ज़्यादा इसकी कहानी अब लोगों के ज़हन में
कुछ नहीं है ,,सुमन श्रंगी के महापौर काल में ,मेने इस भवन का नाम फिर से
विकास भवन से बदलकर महात्मा गांधी भवन रखने की प्रार्थना की थी ,,,इस मामले
में नगर निगम कोटा के तत्कालिक बोर्ड में ,मेरे इस पत्र का समर्थन
,,,तात्कालिक पार्षद रंजीत कछावा ने , जमील अहमद एडवोकेट ने भी किया
,लेकिनं बस यह प्रस्ताव कागज़ों में क़ैद होकर रह गया ,अब जब महात्मा गांधी
जयंती के नाम पर बढे बढे कार्यक्रम है ,खुद प्रधानमंत्री खुले रूप से गांधी
विचारधारा के प्रचारक है ,ऐसे में कोटा में भाजपा विचारधारा के नगरनिगम
बोर्ड ,महापौर ने ,इस भवन को फिर से महात्मा गांधी भवन के रूप में विकसित
करने की कोई पहल नहीं की है ,,भवन जर्जर है ,महात्मा गांधी आश्रम के
ऐतिहासिक तथ्य वाली पट्टिका को ,बधाई
देने वालों ने ढक दिया है ,लेकिन गांधी विचारकों ,,इलेक्ट्रॉनिक ,,प्रिंट
मिडिया के पत्रकार साथियों ने इसके इतिहास ,इसके तथ्य ,महात्मा गांधी की
अस्थियों ,,उनकी आत्मा से जुडी हुई इस स्मृति भवन के संरक्षण ,विकास के लिए
कुछ खास नहीं किया है ,ऐसे भवन को संरक्षित कर यहाँ गाँधी आश्रम के नाम पर
एक गांधी म्यूज़ियम भी बनाया जा सकता है ,अगर ऐसा नहीं तो इस विकास भवन का
नाम फिर से ,महात्मा गांधी के नाम पर पुनर्जीवित किया जा सकता है ,यहाँ जो
भी कार्यक्रम हो रहे है ,उस भवन को जर्जर स्थिति से निकालकर विकसित किया जा
सकता है , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गांधी विचारधारा प्रचार अगर
दिखावा नहीं है ,अगर उनकी पार्टी के कोटा नगर निगम बोर्ड से जुड़े उनके
अधीनस्थ लोकसभा अध्यक्ष के नज़दीकी नगर निगम बोर्ड के लोग ,, प्रधानमंत्री
की गांधीवादी प्रचारक विचारधारा से नाराज़ नहीं है ,तो उन्हें लोकसभा
अध्यक्ष को ,,खुद को ,श्रीपुरा मोटर स्टेण्ड स्थित ,महात्मा गांधी की
रूहानी यादों से जुड़े इस स्मारक को फिर से महात्मा गांधी के नाम पर नामकरण
करना होगा ,,जो पट्टिका मुख्य दरवाज़े पर इतिहास बयान कर रहे है उसे
संरक्षित रखना होगा ,साफ़ सुथरा करना होगा ,,देखते है ,, कोटा के लोकसभा
अध्यक्ष के खुसूसी ,भाजपा नगर निगम बोर्ड से जुड़े लोग ,,प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की गांधी वादी विचारधारा का किस हद तक ,किस तरह से सम्मान
प्रदर्शित करते है ,वरना राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गांधी वादी
विचारधारा के तहत सरकारी स्तर पर जो समिति बनाइये जिस समिति में गांधीवादी
समर्थक विचारकों के साथ कोटा जिलाकलेक्टर भी कर्ता धर्ता है ,उन्हें अपना
गांधीवादी विचारक होने ,गांधी स्मारक के संरक्षक होने का धर्म , कर्तव्य
निभाना चाहिए ,देखते है ,एक ब्रेक के बाद ,इस महात्मा गांधी आश्रम श्रीपुरा
मोटर स्टेण्ड कोटा के भवन का नया एपिसोड ,,मीडिया की खुसूसी भूमिका के बाद
,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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