शाबाश कोटा ,शाबाश ,, कोटा के जज़्बे को सलाम ,, कोटा , कोटा के आसपास के
इलाक़े ,नदियों ,,बांधों में पानी के उफान से संकट में है ,आसपास की
बस्तियों में पानी भरा है ,हज़ारों लोग बेघर हो गए है ,चारो तरफ लोगों में
अफवाहों का दौर और संकट की आशंका है ,लेकिन ऐसे मुश्किल वक़्त में कोटा
,कोटा वासियों ,,समाजसेवी संस्थाओं ,,कोटा जिला प्रशासन ,पुलिसकर्मी
,,खासकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,,केबिनेट मंत्री
शान्तिधारीवाल को उत्साहवर्धन ,कढ़ी निगरानी ,राहत कार्यों के प्रबंधन के
लिए सेल्यूट ,सलाम ,वोह बात और है के कुछ लोग ,राजनितिक ऐंगल से सिर्फ और
सिर्फ आलोचना के मानसिक रोग से बाहर नहीं आ रहे है ,छद्म आरोप प्रत्यारोप
,दिखावे के तोर पर विज़िट और फिर सेल्फी ,सोशल मीडिया ,,मिडिया तक सरकार को
कोसने के अलावा कुछ अधिक नहीं कर पाए है ,, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
अलबत्ता इस संकट काल में सरकार की ज़िम्मेदारियों के साथ , प्रशासन के
प्रबंधन के साथ है वोह भी कोटा पहुँच गए है ,जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत ,,केबिनेट मंत्री शान्ति धारीवाल ने कोटा और कोटा वासियों के
इस संकट की घडी में लगातार शामिल रहकर ,,ज़िलाप्रशासन ,समाजसेवियों ,जागरूक
कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित कर , कोटा पर आये संकट से निपटने के
सार्थक प्रयास किये है ,, कोटा में अचानक बाढ़ का संकट ,दर्जनों बस्तियों
में पानी ही पानी ,,लोग अपने आशियाने को छोड़ने को तैयार नहीं ,उन्हें
समझाइश करना ,घरों से बाहर ,निकालना ,नांव ,स्टीमर ,ट्यूब सहित बाढ़ आपदा
राहत के सभी उपकरणों के साथ बाहर निकालना ,आश्रय स्थल तक पहुंचाना ,उनके
लिए नाश्ते ,खाने के पैकिटों का इंतिज़ाम करना ,अव्यवस्थित ज़रूर रहा ,
लेकिन कोटा के हर शख्स में हर राजनीतिक पार्टी से जुड़ी शख्सियत में ,सरकारी
,गैर सरकारी लोगों में मदद का जज़्बा ,कोटा की फ़िक्र ,और कोटा को इस संकट
से उबारने की कोशिश शामिल थी , हर जगह खाने के पैकेट ,नाश्ते की तैयारियां
,, बस्तियों में पानी में उतर कर लोगों को बचाने की कोशिश ,, समझाइश ,उनके
क़ीमती सामानों को बचाने का जज़्बा था ,लेकिन कुछ लोग सैरसपाटे ,हालातों को
देखकर लुत्फ़ लेने वाले भी थे ,बावजूद इसके भी ऐसे लोगों के दिलों में कोटा
के पीड़ितों के दर्द की धड़कन थी ,, अल्लाह ,भगवान ,,वाहेगुरु ,,से इस संकट
से मुक्ति दिलाने की प्रार्थनाये ,दुआएं थीं ,कोटा जिला ,कलेक्टर , पुलिस
अधीक्षक के निर्देशों पर कर्मचारी सक्रिय थे ,,,बिजली , पेयजल , संचार
माध्यमों को सुधारने के वैकल्पिक व्यवस्था के प्रयास थे , मुख्यमंत्री एक
एक पल की खबरों पर नज़र रखे हुए थे ,खुद केबिनेट मंत्री शान्तिधारीवाल ,इस
माहौल में लोगों की मदद ,सुरक्षा ,और तात्कालिक समस्याओं के समाधान के लिए
चिंतित थे , लोकसभा स्पीकर ओम बिरला अपने सभी व्यस्त कार्यक्रमों को छोड़कर
कोटा के संकट में शामिल होकर संकट मोचक बनने के लिए जज़्बा रखकर प्रयासरत थे
, संकट और रहत कार्यों में भी सियासत करने वाले लोग ,,बोने से साबित हो
रहे थे ,, कोटा के मीडिया कर्मी समाजसेवकों के मार्गदर्शक बने थे ,अफवाहों
का कैसे तत्काल खंड़न कर , कोटा के आमलोगों में भरोसे का जज़्बा पैदा रखा जाए
,,सुरक्षा की ज़िम्मेदारियों की कैसे सुझावात्मक निगरानी हो इसमें मीडिया
की सकारात्मक भूमिका सराहनीय रही ,, बच्चे ,महिलाये ,युवा ,छात्र ,छात्राये
,, सभी जाति ,,धर्म ,वर्ग के लोग इस काम में ,जाति ,सम्प्रदाय ,पार्टी ,
पॉलिटिक्स को ताक में रखकर एक दूसरे की मदद के प्रयासों में थे ,,
मददगारों में सिर्फ मददगार और पीड़ितों में सिर्फ पीड़ित थे ,इनमे कोई भी
दलित , उच्चवर्गीय ,,हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख ,ईसाई ,कांग्रेस ,भाजपा नहीं
थे ,सिर्फ मददगार और पीड़ितों का एक वर्ग था ,, पुलिस ,, इंटेलिजेंस ,,
ज़िलाप्रशासन के लगातार सम्पर्क में रहकर सूचनाओं का आदान प्रदान कर रहे है
,जबकि जिला कलेक्टर निश्चित तोर पर आवश्यक ज़रूरतों के लिए राजस्थान सरकार
से तात्कालिक मदद लेकर ,पीड़ितों को सुरक्षा व्यवस्था देने के सफलतम प्रयास
में जुटे है ,, ,,कोटा के कोटा वासियों के मोहब्बत और मदद के इस जज़्बे को
सलाम ,, बस यही तो एक जज़्बा है ,जो कोटा सब जगह के शहरों से अलग ,सब लोगों
से जुदा ,मेरा कोटा ,,अपना कोटा है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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