आम जनता के लिए कल्याणकारी योजनाए चलाने वाली अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान
में मोटर वाहन संशोधन अधिनियिम के नाम पर ,भारी जुर्माना वसूली का खौफ
बताकर आम जनता को लूटने के मंसूबों पर पानी फेर दिया है ,,राजस्थान सरकार
ने फ़िल्मी नौसिखिया स्टाइल में केंद्र सरकार द्वारा अव्यवाहारिक रूप से
वाहन चालकों के खिलाफ जजियाकर वसूली को मानने से इंकार कर दिया है
,,केंद्र सरकार राजस्थान सरकार पर ऐसी अवैध कार्यवाही को लागू करने के
लिए दबाव बना रही है ,, सभी को पता है डेशिंग चीफ मिनिस्टर ,दक्षिणी भारत
की एक नौसिखिया फिल्म में ,मोटर वाहन चालकों से जुर्माना मनमाना वसूली का
एक आदेश मुख्यमंत्री ने किया था ,बस वही नौसिखिया पन देश की केंद्र सरकार
ने किया है ,,मोटर वाहन अधिनियम के संशोधन को 1 सितंबर से लागू होने के
बारे में घोषणा के बाद ,सभी पुलिसकर्मियों ,, आर टी ओ के अधिकारीयों और इन
सभी लोगों के साथ अखबारी ,मिडिया खबरे बनाकर माहौल बनाने की साज़िश में लगे
लोगों की लूट योजनाओं पर पानी फिर गया है ,,, सड़कों पर कैमरे लगाना
,आसान है ,लेकिन क्राइम कंट्रोल करना उन केंद्रों असंभव तो नहीं ,मुश्किल
होने के बाद भी नामुमकिन नहीं ,लेकिन हमारे यहाँ कैमरों से अपराधी नहीं
पकड़े जाते ,सिर्फ हेलमेट और ओवर स्पीड के चालान बनाये जाते है ,,आम लोग खुद
ही बताये क्या ,सड़को पर किसी ने केंद्र सरकार ,या राजस्थान सरकार की गति
सीमा वाली अधिसूचना कहीं लिखी हुई देखी है ,सांकेतिक चिन्ह देखे है ,नहीं न
तो फिर आम जनता को क्या पता की किस सड़क पर कितनी गति सीमा पर वाहन चलाना
है ,फिर भी मनमानी चालांन बाज़ी नियम तो सभी जानते है ,अधिसूचना का उलंग्घन
ही अपराध है ,और किसी भी अधिसूचना को साक्षर करने के लिए चिन्ह के रूप में
भी लगाना ज़रूरी है ,, लेकिन ऐसा नहीं है किसी को गति सीमा की अधिसूचना
,ठहराव की अधिसूचना की जानकारी हो तो प्लीज़ बताना ज़रूर ,,यहाँ तो संकेतक
चिन्हों पर ,नेताओं के स्वागत सत्कार , बधाईयों के पोस्टर रोज़ लगे मिलते है
,किसी भी यातायात अधिकारी ने ऐसे लोगों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करने की
हिम्मत नहीं दिखाई , किसी भी पुलिस थानाधिकारी ,,यातायात अधिकारी ,पुलिस
कर्मी ने यातायात व्यवस्था को छिन्नभिन्न कर सड़कों पर मोत बाँट रहे
आवारा जानवरों को लेकर नगर निगम को पत्र नहीं लिखा ,, नगर निगम ज़िम्मेदार
अधिकारीयों के खिलाफ विधि की अवज्ञा की एफ आई आर दर्ज कर उन्हें
गिरफ्तार नहीं ,किया सड़को पर जानलेवा खड्डे ,, या यूँ कहिये सड़क ही
नहीं ,सड़क गायब है ,ऐसे लापरवाह अधिकारीयों के खिलाफ यातायत व्यवस्था में
लगे किसी भी पुलिस अधिकारी ने ज़िम्मेदार ठेकेदार या अधिकारी को मुक़दमा
दर्ज करवाकर जेल में नहीं डाला ,,दृष्टिभ्रम ,विज्ञापन जो सड़को के आसपास
,वाहन चालकों को भर्मित कर दुर्घटना का कारण बनते है ,उन्हें सड़कों के
आसपास दोनों किनारों ,सामने के विज्ञापन बोर्डों से हटवाने के लिए ,उनके
खिलाफ फौजदारी कार्यवाही ,नेशनल ,स्टेट हाइवे एक्ट के तहत कोई कार्यवाही
नहीं की गयी है ,,, सड़को पर ट्रेक्टर ट्रॉलियां है , कोई जांच नहीं
कर रहा ,, हीरो हौंडा ,स्कूटर की ठेला रिक्शा गाड़ियां सड़को पर दौड़ रही
है ,खुद यातायात विभाग के नियंत्रण में दुपहिया वाहन उठाने वाली गाड़ियों
का पंजीयन , उनकी बॉडी बदलाव को लेकर क्या अनुमति लेकर पंजीयन करवाय गया ,
है कोई देखने वाला नहीं है ,,बसों का ठहराव ,,ऑटो चालकों ,, मैजिक
,, मिनीबस ,टेम्पों ,का सड़कों पर मनमाना राज ,ओवर लोड वाहनों का संचालन
,, मंज़िली ठहराव की बसें ,कॉन्ट्रेक्ट केरीज परमिट होने पर भी टिकिट
लेकर चलाने के खिलाफ इनका ध्यान नहीं है ,बस दोपहियां वाहन ,,, अधिकतम
कर चालक कभी कभार ,ज़्यादातर दो पहिया वाहन चालकों की घोड़ी कसने ,, कभी
हेलमेट के नामा पर ,कभी कागज़ात जांच के नाम पर उन पर गाज गिरती है ,अगर
टूटी सड़क ,, खडडे में गिर जाने से मोटर साइकल स्लिप होती है ,तो खबर आती
है हेलमेट पहना होता तो बच जाता ,यह खबर नहीं आती के सड़क पर खड्डे अगर
नहीं होते तो मोटर साइकल सवार बाच सकता था ,गांय से टकराकर कोई गिरे तो
खबर आती है ,हेलमेट अगर होता तो , गांय के उत्पात गांय मालिकों के खिलाफ
कार्यवाही की खबर गोण हो जाती है ,,आप सभी जानते है ,कोटा शहर में कई
दर्जन लोग आवारा जानवरों के कारण मोत का शिकार हुए है ,कई सैकड़ों लोग
गंभीर घायल हुए है ,लकिन कोई माई का लाल यातायात पुलिस अधिकारी जो
दुपहिया वाहन चालकों को शिकारी की तरह दबोचने की कोशिश में लगा रहता है
,ऐसा नहीं आया ,जिसने किसी लापरवाह अधिकारी के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करवाकर
उसे गिरफ्तार करवाया हो ,किसी जानवर के मालिक के खिलाफ मुक़दमा दर्ज
करवाकर उसे गिरफ्तार करवाया हो ,अपने कर्तव्य तो निभाते नहीं और दुसरो के
खिलाफ सुर्खियां बटोरने के लिए छोटे लोगों को प्रताड़ित किया जाता है ,,खेर
वाहन व्यवस्थित होना चाहिए ,, क़ानून की पालना होना चाहिए , के मोटर वाहन
अधिनियम में जुरमाना और वाहन मालिकों के खिलाफ कार्यवाही के लिए
हेलमेट चेकिंग के अलावा पवाली चास से भी अधिक ऐसी चाराये है ,जिन पर अगर
ध्यान दिया जाए ,तो यातायात व्यवस्था में सुधार होगा ,,राजस्थान की
कल्याणकारी सरकार ,वाहन पार्किंग सहित कई व्यवस्थाओं के लिए अतिरिक्त बजट
दे रही है ,अगर यातायत पुलिसकर्मियों की संख्या कम कर उनसे क़ानून
व्यवस्था का काम लिया जाए तो यक़ीनन वाहन चालकों खासकर दुपहिया वाहन
चालकों से लूट की शिकायतें कम होंगी और अतिरिक्त पुलिस कर्मी होने से थाना
क्षेत्रों में गश्त बढ़ेगी ,अपराधों में नियंत्रण व्यवस्थाएं लागू होंगी
,, अपराधियों की निगरानी ,उनकी धरपकड़ के लिए पूइसकर्मियों की कमी भी
पूरी की जा सकेगी ,,केंद्र सरकार का दायित्व है के पहले वोह देश के हर
राज्य ,हर ज़िले ,हर कस्बे ,गाँव की सड़के ,अतिक्रमण मुक्त ,आवारा जानवर
मुक्त ,, दृष्टि भ्रम विज्ञापन मुक्त ,, सड़कें साफ़ सुथरी , छोड़ी ,, बिना
खड्डे वाली आम जनता की आवाजाही के लिए सुरक्षित रहे , इसके लिए पहले
अतिरिक्त बजट देकर व्यवस्थाएं करे ,फिर जुर्माने की लूट को लागू करे
,यह भारत देश है , यह देश की व्यवस्थाएं है यहाँ फिल्मों से
नौसिखिया अव्यवहारिक सीख लेकर कार्यवाही अमल में लाना एक छोटी सोच से अधिक
कुछ नहीं ,, ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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