यह मंदिर
यह मस्जिद
यह मदरसे
यह पाठशालाये
यह गुरुकुल
यह इबादत घर
यह गुरुद्वारे
यह चर्च
सभी तो
मोहब्बत सिखाते है
ईमानदारी से
प्यार से
मोहब्बत से
जीना सिखाते है
फिर तुम क्यों
इन इबादत घरों की इबादत से
इन पाठशालालों
इन मदरसों से
पढ़कर हैवान हो रहे
इंसान होकर भी
इंसान को काट रहे हो
हो सके तो
अपना धर्म
अपना मज़हब
एक बार फिर पढ़ लो
या तो तुम
हिन्दू हो जाओ
या तो मुस्लिम हो जाओ
जो चाहो वोह तुम हो जाओ
बस ध्यान रखना
इंसानियत से कभी मत गिरना
तुम मानोगे न
तुम बदलोगे न
तुम मोहब्बत के
तुम भाईचारा सद्भावना के
मॉडल बनोगे ना बनोगे ना ,,अख्तर
यह मस्जिद
यह मदरसे
यह पाठशालाये
यह गुरुकुल
यह इबादत घर
यह गुरुद्वारे
यह चर्च
सभी तो
मोहब्बत सिखाते है
ईमानदारी से
प्यार से
मोहब्बत से
जीना सिखाते है
फिर तुम क्यों
इन इबादत घरों की इबादत से
इन पाठशालालों
इन मदरसों से
पढ़कर हैवान हो रहे
इंसान होकर भी
इंसान को काट रहे हो
हो सके तो
अपना धर्म
अपना मज़हब
एक बार फिर पढ़ लो
या तो तुम
हिन्दू हो जाओ
या तो मुस्लिम हो जाओ
जो चाहो वोह तुम हो जाओ
बस ध्यान रखना
इंसानियत से कभी मत गिरना
तुम मानोगे न
तुम बदलोगे न
तुम मोहब्बत के
तुम भाईचारा सद्भावना के
मॉडल बनोगे ना बनोगे ना ,,अख्तर
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