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17 जून 2019

मरीज़ के इलाज में अव्यवस्था ,, लापरवाही ,उनका भड़कना ,डॉक्टरों पर जानलेवा हमले ,,फिर डॉक्टरों की हड़ताल ,फिर समझौता ,कोई समाधान नहीं समस्या जस की तस

मरीज़ के इलाज में अव्यवस्था ,, लापरवाही ,उनका भड़कना ,डॉक्टरों पर जानलेवा हमले ,,फिर डॉक्टरों की हड़ताल ,फिर समझौता ,कोई समाधान नहीं समस्या जस की तस ,,मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू ,हमलावरों की गिरफ्तारी ,स्थिति सामान्य ,लेकिन फिर कहीं न कहीं वही हालात ,अस्पताल में ,तोड़फोड़ डॉक्टरों पर हमले स्थाई समाधान ,कोई स्थाई हल निकालने की कोई पहल नहीं ,,जी हाँ दोस्तों ,आप लोगों को बात अजीब लगेगी ,लेकिन डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा ,,मरीज़ों का उनके परिजनों का गुस्सा ,,,आखिर इसका स्थाई समाधान क्या है ,किसी भी ,नेता ,किसी भी सरकार ,किसी भी मंत्री ने कोई पहल नहीं की ,मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया ,राज्य की मेडिकल कॉंसिलें ,,खुद चिकित्सक से सक्रिय राजनीती में जाकर महत्वपूर्ण पदों पर बैठे इनके प्रतिनिधियों ने भी इसके स्थाई समाधान की कोई पहल नहीं की है ,,बात साफ़ है समस्या को जड़ से साफ़ करना होगा ,एक तरफ तो सरकार की अव्यवस्थाएं ,मरीज़ों की निरंतर बढ़ रही संख्या ,ओवरलोड डॉक्टरों का कामकाज सब कुछ ऐसे चिड़चिड़ेपन ,,अव्यवस्था ,,अराजकता ,आरोप प्रत्यारोप का माहौल बना देते है ,के आमजनता मसीहा कहे जाने वाले डॉक्टरों को यमराज समझने लगते ,है ,,चिकित्सक अपनी जगह सही है ,,हमलावरों का गुस्सा वाजिब हो सकता ,है ,लेकिन तरीक़ा गलत चिकित्सकों द्वारा मरीज़ों उनके तीमारदारों की पिटाई का कारण वाजिब हो सकता है ,लेकिन है तो गलत ,और इन सभी के पीछे एक मात्र मुख्य कारण , लापरवाही ,असंतोष ,उतावलापन ,,चिक्तिसासुविधाओं में सरकारी कमी है ,,,में मुबारकबाद देता हूँ हम लोग संस्था के अध्यक्ष कोटा के मशहूर हर दिल अज़ीज़ नेत्ररोग चिकित्सक भाई डॉक्टर सुधीर गुप्ता उनकी टीम को ,जब कोटा सहित दूसरे अस्पतालों में चिकित्सकों पर हमले ,,हिंसा की कार्यवाही बढ़ी ,प्रतिकार में हड़ताल ,मरीज़ों पर चिकित्सकों द्वारा हमले भी बढ़े ,इसी लिए एक वृहद स्थाई समाधान की सोच के साथ डॉक्टर सुधीर ने एक विशेषज्ञ रिपोर्ट तैयार करने का प्रयास किया ,,समाज के हर वर्ग ,हर तबके से जुड़े लोगों से गोष्ठियां आयोजित कर ,ऐसे मामलों के कारण और उनके निवारण के सुझाव ,मांगे चिकित्सकों में ,,उनके व्यवहार ,उनकी परवाहदारी में क्या कमिया है ,जिनमे क्या सुधार हो सकते है ,मरीज़ उनके परिजन अचानक क्यों भड़क जाते है ,सरकार की सुविधाओं में क्या कमी है ,निजी चिकित्सालयों में बिल वगेरा अनावश्यक जांचो ,भर्ती ,अनावश्यक ऑपरेशन को लेकर विवाद क्यों होते है ,सरकार की क्या कमिया है ,जनता में किस तरह के मरीज़ उनके परिजन नोटोरियस होते है ,,,इसका लेखा जोखा तैयार कर इसमें सुधार की बुनियाद को डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने तलाशने की कोशिश की ,लेकिन अभी यह काम शैशव काल में रहा और फिर पेंडिग में है ,,पश्चिमी बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा भड़काऊ ,शर्मनाक है , ऐसी घटना की निंदा होना चाहिये ,लकिन हमलावर गिरफ्तार हो जाए ,उनके साथ रियायत न हो ,,सरकार ऑफिसर केस स्कीम में ऐसे मुक़दमों की सुनवाई करवाए ,भविष्य में ऐसी घटनाये न हो इसके प्रयास हो ,,इतना होने पर ,चिकित्सकों को फिर भी काम बंद रखने पर अड़े रहना ज़ाहिर करता है ,,परदे के पीछे चिकित्सकों का संघर्षः नहीं कोई सियासत है ,,कई राज्यों में ऐसी हड़तालें हुई ,है नतीजा हमेशा दुखदायी रहा ,हाथ कुछ किसी के नहीं लगा ,राजस्थान में पूर्व भाजपा सरकार कार्यकाल में हड़ताली चिकित्सकों की गिरफ्तारी के लिए घरों पर छापे पढ़े ,,गिरफ्तारियां हुई ,कुछ चिकित्सक फरार हुए ,फिर वही सब नार्मल ,तो जनाब जब हड़ताल के कई दिनों के बाद भी नतीजा वही समझौता तो समझौते पहले क्यों नहीं होते ,,,इधर स्थाई समाधान निकालने के लिए केंद्र सरकार के चिकित्सा मंत्रालय को ,चिकित्सा आयोग गठित कर ऐसे कारणों ,उनके निवारण ,डॉक्टरों के व्यववहार ,हालात ,मरीज़ों की स्थिति ,उनका प्रतिकार ,गुस्सा ,निजी अस्पतालों की जांच प्रक्रिया ,बिलिंग ,वगेरा सिस्टम पर नज़र रखकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाकर इसके कारण और निवारण तलाशना चाहिए ,डॉक्टर हो ,वकील हो ,,जज हो ,,मंत्री हो ,,मरीज़ हो ,गरीब हो ,आम आदमी हो कोई भी क़ानून से ,ज़िम्मेदारी के निर्वहन से बढ़ा नहीं है ,उसे अपना कर्तव्य ज़िम्मेदारी ,ईमानदारी से निभाना है पढ़ेगा ,,इसे सुनिश्चित करना ज़रूरी ,है इसके लिए ,मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया को चिकित्सा की सुरक्षा ,,चिकित्सा के पेशे को और गरिमामपूर्ण ज़िम्मेदार ,विश्वसनीय ईमानदार बनाने के लिए ,देश भर के हर ज़िले में अलग अलग क्रॉस टीमें गठित कर स्टिंग करना होगा ,अलग अलग ज़िले के भरोसे के चिकित्सको के साथ कुछ समाजसेवकों को जोड़कर ,सरकारी अस्पताल ,डिस्पेंसरी ,ज़नाना अस्पताल ,,सभी छोटे बढे निजी अस्पतालों में स्टिंग के लिए ,खुद को मरीज़ बनाकर पहले आउटडोर में जाकर एक मरीज़ के साथ हो रहे व्यवहार को जानना होगा ,,चिकित्सक का व्यवहार ईमानदाराना ,मानवीय है तो उसे शाबाशी ,पुरस्कार ,,अगर मनमाना ,टालमटोल ,कॉमर्शियल ,घर दिखाओ ,यह जांच वोह जांच ,कमीशन की दवा ,,निजी चिकित्सालयों में भी इसी तरह स्टिंग अलग अलग बिमारी ,खासकर दिल का मरीज़ बनकर स्टिंग होना चाहिए ,,जो भी सच हो उसकी रिपोर्ट हो ,,चिकित्स्क जो अच्छे है उन्हें पुरस्कार जो बुरे है उन्हें तिरस्कार , उनका चिकित्सक का लाइसेंस रद्द होने की प्रक्रिया उनकी सजा होना चाहिए ,ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ फौजदारी मुक़दमे दर्ज होकर भी कार्यवाही होना चाहिए ,लेकिन जो बेहतर सेवादार ,ईमानदार चिकित्सक है ,बेहतर सेवाएं दे रहे है ,मरीज़ ,उनके तीमारदार से उनका व्यवहार मानवीय है ,,संतोषप्रद है ,फिर भी ,नेतागिरी या पटेलाई के चक्कर में अगर ऐसे चिकित्सको के साथ बदसुलूकी होती है ,ऐसे चिकित्सकों पर हमले होते है ,तो फिर ऐसे हमलावरों को किसी भी सूरत में बख्शना नहीं चाहिये ,,कमसे कम दस वर्ष की सजा ,या फिर उम्र क़ैद की सजा का प्रावधान ,दोनों तरफ मरीज़ और चिकित्सक के लिए हो ,अपराध का सुबूत होने पर कार्यवाही ,प्रसंज्ञान के लिए कोई अपराध विचारण की पूर्व स्वीकृति का बंधन नहीं ,अगर केंद्रीय चिकित्सा मंत्रालय ,केंद्र सरकार ,खुद मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया ,मरीज़ों ,उनके तीमारदारों ,,खुद अपने सदस्य चिकित्सकों को आयना दिखा दे तो जनाब सारी समस्या का स्थाई समाधान हो जाएगा ,,,लेकिन जब चिकित्सक पार्टियों के नेता बन जाए ,प्रवक्ता बन जाए ,रणनीतिकार बन जाए ,,मंत्री बन जाए ,तब उनके हाथों में उनसे जुड़े लोग अलग अलग पार्टी की सरकारों को परेशान करने के लिए बहाने भी तलाश सकते है ऐसी में मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इण्डिया ही मध्यस्थ बनकर ऐसे मामलों का स्थाई समाधान तुरतं निकाल सकती है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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